Featuredअन्य

बिखरे ना परिवार हमारा: अंकुर सिंह (कवि)

बिखरे ना परिवार हमारा

भैया न्याय की बातें कर लो,
सार्थक पहल इक रख लो।
एक मां की हम दो औलादें,
निज अनुज पे रहम कर दो।।

हो रहा परिवार की किरकिरी,
गली, नुक्कड़ और बाजारों में।
न्यायपूर्ण आपसी संवाद छोड़,
अर्जी दिए कोर्ट कचहरी थानों में।।

लिप्सा रहित हो सभा हमारी,
निष्पक्ष पूर्ण हो संवाद हमारा।
मैं कहूं तुम सुनो तुम कहो मैं,
ताकि खत्म हो विवाद हमारा ।।

कर किनारा धन दौलत को,
भाई बन कुछ पल बात करों।
मां जैसे देती रोटी दो भागों में,
मिलकर उस पल को याद करों।।
बिन मां बाप का अनुज तुम्हारा,
मां बाप बनके आज न्याय करों।।

हर लबों पे अपनी कानाफूसी,
बैरी कर रहे अपनी जासूसी।

भैया, गर्भ एक लहू एक हमारा,
कंधों पे झूलने वाला मैं दुलारा।
आओ मिलकर रोके दूरियां,
ताकि बिखरे ना परिवार हमारा।।
ताकि बिखरे ना………. ।।

*अंकुर सिंह*
हरदासीपुर, चंदवक
जौनपुर, उ. प्र. -222129.

यह भी पढ़ें :  राशिफल 15 मार्च 2024: जानिए कैसा रहेगा आपका आज का दिन

Deepak Sahu

Editor in Chief

Related Articles

Back to top button