आजादी के बाद पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट पर होने जा रहा ऐसा, हाय रे कांग्रेस की मजबूरी !!

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे: नई दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस और आप के बीच हुए सीट बंटवारे में चार सीट AAP को मिली हैं, जबकि तीन सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। नई दिल्ली सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। इस बार के चुनाव में बड़ी दिलचस्प चीज देखी जाएगी।

आजादी के बाद पहली बार होने जा रहा ऐसा

नई दिल्ली लोकसभा सीट पर कांग्रेस अपनी सहयोगी आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी। उसने आप के लिए ये सीट छोड़ दी है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब कांग्रेस पार्टी का कोई उम्मीदवार यहां मैदान में नहीं है। वाकई ये बेहद दिलचस्प बात है, क्योंकि देश की राजधानी में देश की सबसे पुरानी पार्टी ने पहली बार इस सीट के लिए किसी से समझौता किया और यहां से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। इससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली एक और बात है।

कांग्रेस को वोट नहीं देंगे राहुल, सोनिया, प्रियंका

देश की सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में से एक नई दिल्‍ली सीट पर इस बार आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। यह वही सीट हैं जहां के मतदाताओं में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी व उनकी बहन प्रियंका वाड्रा समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता हैं। ऐसे में यह पहली बार होगा जब सोनिया, राहुल, प्रियंका समेत यहां रहने वाले तमाम कांग्रेस नेता कांग्रेस की बजाए किसी और (आम आदमी पार्टी) पार्टी को वोट करेंगे।

मतलब इस सीट पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत तमाम कांग्रेस के नेताओं को कांग्रेस के लिए वोट डालने का मौका नहीं मिलेगा। ये पहली बार है जब गांधी परिवार का सदस्य अपनी पार्टी को छोड़ किसी अन्य पार्टी के लिए वोटिंग करेगा। दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच हुए सीट समझौते के कारण इस बार कांग्रेस यहां मुकाबले से बाहर है।

कभी दोस्त, कभी दुश्मन… ये सियासत है भईया!

वाकई सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है। यहां सारी लड़ाई कुर्सी की है और कुर्सी के लिए कोई भी कुछ भी करता है। कभी शायद कांग्रेस और ‘आप’ में हुए गठबंधन से पहले आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह व अन्य सदस्यों ने दिल्‍ली विधानसभा में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव का विधानसभा अध्यक्ष समेत पार्टी के सदस्यों ने समर्थन भी किया था। कांग्रेस और ‘आप’ अभी भी पंजाब में एक दूसरे के विरोधी हैं और अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन दिल्ली में दोनों साथ-साथ चुनाव लड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी सोनिया गांधी की गिरफ्तारी की मांग भी करती रही है।

क्या कहता है नई दिल्ली सीट का चुनावी इतिहास?

आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव से अब तक कांग्रेस 7 बार नई दिल्‍ली लोकसभा सीट पर चुनाव जीत चुकी है, वहीं भाजपा ने यहां से अब तक 11 बार जीत दर्ज की है। इस लोकसभा सीट से पहला चुनाव साल 1952 में किसान मजदूर प्रजा पार्टी की नेता सुचेता कृपलानी ने जीता था। इसके बाद 1957 में हुआ दूसरा चुनाव भी उन्होंने ही जीता था, लेकिन 1957 में वह कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। उनके बाद यहां से भारतीय जनसंघ के बलराज मधोक निर्वाचित हुए। छठी लोकसभा के लिए यहां से जनता पार्टी के टिकट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुने गए। 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी यहां से भाजपा के सांसद बने। भाजपा अध्यक्ष रहे लालकृष्ण आडवाणी भी यहां से सांसद चुने गए।

इसके अलावा सुपर स्टार राजेश खन्ना यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। भाजपा की ओर से 11वीं, 12वीं, व 13वीं, लोकसभा के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री जगमोहन यहां से चुनाव जीते। 2004 व 2009 में कांग्रेस के अजय माकन यहां से सांसद बने।

कब-कब किसने जीता नई दिल्ली सीट पर चुनाव?

लोकसभा कब से कब तक सांसद पार्टी
पहली 1952-57 सुचेता कृपलानी किसान मजदूर प्रजा पार्टी
दूसरी 1957-60 सुचेता कृपलानी कांग्रेस
उपचुनाव 1961-62 बलराज मधोक भारतीय जन संघ
तीसरी 1962-67 मेहर चंद खन्ना कांग्रेस
चौथी 1967-71 प्रोफेसर मनोहर लाल सोंधी भारतीय जन संघ
5वीं 1971-77 मुकुल बनर्जी कांग्रेस
छठी 1977-80 अटल बिहारी वाजपेयी जनता पार्टी
7वीं 1980-84 अटल बिहारी वाजपेयी जनता पार्टी
8वीं 1984-89 कृष्णा चन्द्र पन्त कांग्रेस
9वीं 1989-91 लालकृष्ण आडवाणी भाजपा
10वीं 1991-92 लालकृष्ण आडवाणी भाजपा
उपचुनाव 1992-96 राजेश खन्ना कांग्रेस
11वीं 1996-98 जगमोहन भाजपा
12वीं 1998-99 जगमोहन भाजपा
13वीं 1999-04 जगमोहन भाजपा
14वीं 2004-09 अजय ललित माकन कांग्रेस
15वीं 2009-14 अजय ललित माकन कांग्रेस
16वीं 2014-19 मीनाक्षी लेखी भाजपा
17वीं 2019-24 मीनाक्षी लेखी भाजपा

बांसुरी स्वराज vs सोमनाथ भारती का मुकाबला

इस बार भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से सोमनाथ भारती मैदान में हैं। सोमनाथ भारती आम आदमी पार्टी के विधायक हैं और दिल्‍ली सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों से यहां भाजपा का कब्जा है और मीनाक्षी लेखी इस सीट से जीत कर लोकसभा पहुंची थीं।

कौन हैं बांसुरी स्वराज और सोमनाथ भारती?

भाजपा उम्मीदवार बांसुरी स्वराज ने वारविक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन की है। उन्होंने लंदन के बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की पढ़ाई और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट कैथरीन कॉलेज से मास्टर्स की है। वहीं ‘आप’ के सोमनाथ भारती की बात की जाए तो वह भी पेशे से वकील हैं। वह दिल्ली की केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में वह दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं। सोमनाथ भारती ने 1997 में आईआईटी दिल्ली से एमएससी की थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ किया और दिल्ली हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस भी की है।

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दीपक साहू

संपादक

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