महिला दिवस: त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति होती है महिलाएं- हिना यास्मीन खान

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रूई की मानिंद नाज़ुक , मुलायम सी अंदर से पत्थर की तरह सख़्त है। वह आधे पेट खा कर ज़िंदा रह सकती है लेकिन प्यार उसे पूरा चाहिए। उसके कानो में बाली ,नाक में नथ, हाथों में चूड़ियाँ, पैरो में पाजेब उसका गहना ही नहीं एक संस्कार हैं। एक बंधन हैं जिसमें वह एक पत्नी और एक बहू के रिश्तों से जानी जाती है। वह अपने सारे कर्तव्य और दायित्वों को निभा जाती है।

आप उसे नाम देते हैं अपना और वह आपको दे जाती है अपनी पूरी उम्र । आप अपने वंश को उसकी कोख में रखते हैं । नौ माह फिर जन्म ली हुई संतान में अपना अक्स देख गर्व से विभोर होते हैं। उसकी बलैयाँ लेते हैं।
इधर फिर उसके बिगड़े शरीर के आकार से हूक आती है तो फिर नार के सपने भी बदलने की सोच भी रखने लगते हैं । लेकिन वह स्थिर सी आगे बढ़ती है आपके साथ वह आपकी संतान को आपके प्रेम, देखभाल में सम्मिलित करती है ।

आप मस्तिष्क में कमाए धन को बैंक में भरने की सोचते हैं। वह अपनी सोच, आखों में आपको भरी हुई घूमती है। आप क़मीज़ की क्रीज़ , बालों की स्टाइल दर्पण में देखते हैं। वह अपने सिंदूर , बिंदी की व्यवस्थित आकार और उसके बने रहने के सुख को निहारा करती है
ज़िद , झंझट के सहज मनोभाव के बाद सुलह में उसे आपकी बाहों का घेरा चाहिए। कितनी महान सी है वो कि तपती हुई ज़िम्मेदाररियों को निभाने के बाद उसे बस आपका साथ चाहिए। उसकी शायद भगवान भी ज़्यादा सुनते हैं इसलिए तो व्रत या त्योहार में दिये की लौ में उसका ही संजोया हुआ हाथ चाहिए।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई ।

हिना यास्मीन खान
जिला अभियोजन अधिकारी
रायपुर (छ.ग.)

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8 मार्च जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज महिला दिवस है।  जिस महिला के बिना किसी भी घर के दिन की शुरूआत नहीं होती आज उस महिला का भी दिन आ गया International womens day.
जिस प्रकार संपूर्णं सृष्टि के रचेता परम पिता ब्रम्हा जी हैं उसी प्रकार संपूर्णं धरती की धरोहर महिला हैं नारी का संपूर्ण जीवन उसके जन्म के साथ ही शुरू हो जाता हैं जब जन्म लेती हैं तो नन्हीं सी परी कहलाती हैं जब थोड़ी बड़ी होती हैं तो छोटे भाई बहनों की जवाबदारी, जिम्मेदारी हँस कर सह लेती हैं।

वो नादानी भरे बचपन को ही नहीं जी पाती है। नन्हीं सी परी कितनी बड़ी हो गई उसमें कितनी समझदारी आ गई हैं , बोल बोल कर उसका बचपन में ही बड़े हो जाना, वो बात बात पर भाई बहन से नोक झोक होने पर बहन को ही डाँटा जाना, वो बचपन में ही तुम तो समझदार हो बोल कर उसको ही शांत करवा देना, वो शादी होते ही पराये घर की पूरी जवाबदारी जिम्मदारी अपने कंधो पर ले लेना , वो पति की दोस्त बन जीवन के सभी दुःखों को हँस कर सह लेना, हर कदम हर मुश्किलों के बीच यूँ डॅट कर खड़े रहना, संपूर्ण जीवन नारी की ही गोद से शुरू हो कर नारी पर ही खतम हैं बस आप सभी से ये यही कहना चाहूँगी
नारी को ताड़ित करने वालों,
मत करो अत्याचार
नारी से नर तू बना
नारी से बना संसार
स्वयं शिव जी ने भी शक्ति की अराधना कि हैं तभी तो सौभाग्य की बात हैं कि महिला दिवस और महाशिवरात्रि पर्व एक ही दिन पड़ा  आप सभी देशवासियों को महाशिवरात्री पर्व एवं महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ

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भारती भूपेन्द्र साहू
अग्रसेन महाविद्यालय
कोरबा (छ्ग)

 

दीपक साहू

संपादक

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