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छत्तीसगढ़
रायपुर/स्वराज टुडे: पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर की गिरफ्तारी के बाद पूरी कुंडली खुल गई. सुरेश 1500 रुपए में बावर्ची की नौकरी करता था. धीरे-धीरे संपर्क बनाए और ठेकेदार बन बैठा.
इतना ही नहीं उसने अफसरों से ऐसी साठगांठ बैठाई कि चंद सालों में ही करोड़ों की सड़क बनाने का ठेका ले लिया. वह यहीं नहीं रुका, बल्कि उसने अपनी शादी में इतने रुपए उड़ाए की लोग उसकी शादी को शहर की सबसे महंगी शादी कहते हैं. विदाई के बाद दुल्हन को हेलीकॉप्टर से लाया गया था.
बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या करवाने वाले सुरेश चंद्राकर को लेकर बड़े खुलासे हुए हैं. आरोपी सुरेश साल 2008 में पुलिस विभाग में खानसामा का काम करता था, जहां उसकी तनख्वाह महज 1500 रुपए थी. इसके बाद साल 2012 से छोटी-मोटी ठेकेदारी शुरू की. साल 2016 में सबसे बड़ा ठेका 50 करोड़ का मिला. अधिकारियों के साथ साठगांठ से इसी सड़क का रिवाइज बजट बनाकर 120 करोड़ किया. बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाके में सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्टर बना.
जिस सड़क को लेकर मुकेश ने भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए खबर बनाई थी, उसी सड़क ने सुरेश चंद्राकर को करोड़ों का मालिक बनाया. सुरेश सलवा जुडूम आंदोलन के समय एसपीओ फोर्स में भर्ती हुआ. मात्र 1500 रुपए तनख्वाह थी. 2010 में नौकरी छोड़ी. 2012 से छोटी मोटी ठेकदारी शुरू की. उसके बाद इसे बीजापुर के घोर नक्सल प्रभावित इलाके में निर्माण के काम मिलने लगे. 2016 में गंगालूर से नेलनार 32 किमी सड़क निर्माण का ठेका 50 करोड़ में मिला. 2019 में कांग्रेस के कार्यकाल में अधिकारियों की साठगांठ से ठेका 120 करोड़ में रिवाइज बजट बनाकर कीमत बढ़ा दी. सड़क का काम अब तक चल रहा है सड़क पूरी नहीं हुई और सुरेश को 90 प्रतिशत राशि का भुगतान हो चुका है.
जो सड़क 17 किमी बनी थी, जिसमें इस साल बनी हुई करीब 6 किमी सड़क भी थी. वो इसी साल बारिश में बह गई. बवाल कटा तो खुद मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए. सामाजिक नेता ने आरटीआई लगाई, उसे जानकारी तो नहीं मिली, लेकिन आरोप है कि उसे एट्रोसिटी के फर्जी मामले में जेल भेज दिया गया. सड़क पर आरटीआई लगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अजय सिंह कहते हैं कि सुरेश चंद्राकर के पास पहले साइकिल नहीं थी. अब 50 से ज्यादा गाड़ियों का काफिला है. एक एक गाड़ी की कीमत 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की है. सड़क का बजट रिवाइज कराकर 50 करोड़ से 120 करोड़ कर दिया. सड़क बनी ही नहीं राशि दे दी गई. सड़क बारिश में बह गई. मैने आरटीआई लगाया तो जेल भेज दिया गया.
वरिष्ठ पत्रकार सुरेश महापात्रा कहते हैं कि, सड़क अगस्त में बह गई. मुख्यमंत्री ने जांच के मौखिक आदेश दिए, लेकिन अधिकारियों ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई. पत्रकार मुकेश ने 29 दिसंबर को खबर की और ठेकेदार ने 1 जनवरी को उसकी हत्या कर दी. बस्तर के पत्रकार मुकेश की हत्या को प्रशासन के भ्रष्ट तंत्र की बलि मानते हैं. पत्रकारों का कहना है कि इस पूरी सड़क का निर्माण कार्य पुलिस ही करवा रही थी. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्र से मिलने वाले केंद्रीय सहायता मद खर्च करने और इस इलाके में निर्माण का पूरा अधिकार पुलिस के पास है. पुलिस तो मुकेश की गुमशुदगी के बाद उसे ढूंढने में भी लापरवाही कर रही थी, पत्रकारों ने दबाव बनवाकर स्ट्रक्चर तुड़वाया.
मुकेश की लाश को ढूंढ पाना भी मुश्किल होता, जिस तरह से पुलिस कोताही बरत रही थी. पत्रकारों ने दबाव बनाकर स्ट्रक्चर तोड़ा. पुलिस के साथ ही सुरेश काम कर रह था. उसके प्रति पुलिस की एक सिंपैथी है. मुकेश की अंत्येष्टि में शामिल हुए सारे पत्रकारों का कहना था कि बीजापुर एसपी और थानेदार को हटाना चाहिए था. सुरेश चंद्राकर पिछले 7 -8 सालों में सैकड़ों करोड़ों का मालिक बना वो भी सिर्फ नक्सली इलाकों में ठेकेदारी का काम करके. पुलिस विभाग के बीजापुर में करवाए जा रहे 90 प्रतिशत निर्माण सुरेश ही करता है. उसने खुद की शादी में 20 करोड़ से ज्यादा खर्च किए. दुल्हन हेलीकॉप्टर से लाया था. उसकी शादी में बॉलीवुड स्टार धर्मेश और यूक्रेन रशिया की कई नृत्यांगनाओं ने मनोरंजन किया था.
अगर जल्लाद सुरेश चंद्राकर के फर्श से अर्श तक पहुंचने की पूरी गंभीरता से जांच हो तो अनेक पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अफसरों की छुट्टी तय है. लेकिन प्रदेश में राजनीति इस कदर हावी है कि लगता नहीं कि इस मामले में कोई सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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