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स्कूल के आसपास बच्चों को परोसा जा रहा गुटाखा व सिगरेट, कोटपा अधिनियम की उड़ रही धज्जियां, जिम्मेदार अधिकारी कुंभकरणीय निद्रा में लीन

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रायगढ़-घरघोड़ा/स्वराज टुडे: राज्य सरकार द्वारा छोटे बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए कई प्रकार की जन-जागरूकता योजना चलाई जाती है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है मामला रायगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाला धर्मजयगढ़ विकासखंड के घरघोड़ा ब्लॉक के पाठशालाओं की स्थिति अत्यंत ही बत्तर है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल भवनों की हालत और शिक्षक और शिक्षिकाओं की गैर जिम्मेदारी हरकत अक्सर चर्चाओं में रही है।

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सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कई ग्राम पंचायत के स्कूल शिक्षक रोज शराब पीकर बच्चों को पढ़ने आते हैं। और ऐसा नहीं किसकी जानकारी उनके ऊपर बैठे अधिकारियों को नहीं है पर इनका उनका आशीर्वाद प्राप्त है। स्कूल के सामने ही गुटखा, सिगरेट उपलब्ध है। प्राइमरी व मिडिल स्कूल के बच्चों को शुरुआत से ही गुटखा व सिगरेट की लत पड़ने लगी है। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल व कालेजों के सामने नशीली चीजों की खुलेआम बिक्री हो रही है। दूसरी ओर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं।

इतना ही नही खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के सामने स्कूलों के खिड़कियों के बाहर आसपास नशीली तंबाकू वा अन्य कई प्रकार के गुटखों के पैकेट व गुटको के रैपरो का अम्बार लगा पड़ा है। जिसे देख लगता है बच्चे क्लास रूम में इसका सेवन करते हुए पढ़ाई करते हैं जिस पर शिक्षको के द्वारा किसी प्रकार का रोक-टोक नहीं किया जाता । जिससे आने वाले समय में छात्रों के स्वास्थ्य में असर पड़ सकता है और उन्हें गंभीर बीमारी का सामना भी करना पड सकता है।

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विद्यार्थियों में बढ़ रही है नशे की लत

कोटपा अधिनियम 2003(तंबाकू नियंत्रण कानून के तहत स्कूल, कालेज व अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में पाना-गुटखा, सिगरेट प्रतिबंधित है। इसके गुटखा, सिगरेट बेचे जा रहे हैं। स्कूली बच्चों को आसानी से नशे का सामान उपलब्ध हो रहा है। तंबाकू और धूम्रपान की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई खास प्रयास नहीं किया जा रहा है, जिससे स्कूली बच्चे नशे से दूर रहे। स्कूल-कालेज और अस्पताल क्षेत्र में धूम्रपान और तंबाकू बेचने पर रोक लगी है। लेकिन इसी जगह पर सबसे ज्यादा तंबाकू खरीदी बिक्री हो रही है। यहां तक कि धूम्रपान प्रतिबंधित क्षेत्र में भी दर्जनों गुटखा, तंबाकू, सिगरेट की दुकानें खुली हुई है। यह क्षेत्र नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है।

नियमित नहीं होती जांच

स्कूल, कालेज व अस्पताल के आसपास नशा सामग्री बेचने पर प्रतिबंधित है। लेकिन जिम्मेदार विभाग के अफसरों द्वारा नियमित जांच नहीं की जाती हैं। इसके चलते दुकानें संचालित हो रही हंै। साल में कभी-कभार कार्रवाई के लिए अभियान चलाया जाता है। इसके बाद अफसर शांत बैठ जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप बच्चों को आसानी से गुटखा, तंबाकू मिल रहा है।

Deepak Sahu

Editor in Chief

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