सीएम शिवराज चौहान के खिलाफ विवादित पोस्टर लगाने के मामले में 2 कांग्रेसी नेता गिरफ्तार, आखिर किस दिशा में जा रही देश की राजनीति ??

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मध्यप्रदेश
बुरहानपुर/स्वराज टुडे: मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में मुख्यमंत्री शिवराज के खिलाफ विवादित पोस्टर लगाने के मामले में पुलिस ने दो कांग्रेसी नेताओ को गिरफ्तार किया है। यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष उबेदउल्लाह और पूर्व कांग्रेस पदाधिकारी संदीप जाधव को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज के QR कोड पर 50 प्रतिशत लाओ, फ़ोन पे पर काम कराओ वाले विवाविद पोस्टर के बाद कार्रवाई की गई है। मुख्यमंत्री के विवादित पोस्टर लगाते समय कांग्रेस नेता सीसीटीवी कैमरों में कैद हुए थे, जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लिया है।

MP में पोस्टर वॉर और Phone-pe पर सियासत

तहसील के सामने गुजराती मार्केट समेत शहर के कई जगहों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के फोटो के साथ क्यूआर कोड वाले पोस्टर लगाए थे। इस पर लिखा था 50 प्रतिशत लाओ फोन पे काम कराओ। इस घटनाक्रम के दूसरे ही दिन पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संदीप जाधव नामक आरोपी को चिह्नित किया।

भाजपा ने की कड़ी निंदा

आज पूर्व कांग्रेस पदाधिकारी संदीप जाधव और यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष उबेदउल्लाह की गिरफ्तारी हुई है। इस पर भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ओछी राजनीति कर रही है। इस तरह के पोस्टर लगा रही है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं । दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ।

जानें क्या है पूरा मामला 

बता दें कि मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जारी पोस्टर वॉर में डिजिटल पेमेंट ऐप फोन पे भी उतर गया है। कंपनी ने कांग्रेस को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए फोन से कुछ सवाल पूछे। फोन पे के जरिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया। इसके साथ ही फोन पे अनइंस्टॉल करने की धमकी दी थी।

राजनीति का हिस्सा बनती जा रही है अमर्यादित टीका टिप्पणी

राजनीतिक विमर्श के निम्नतम स्तर का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि देश के संवैधानिक प्रमुख यानी राष्ट्रपति पद तक को नहीं बख्शा गया। ऐसा नहीं कि भाषाई मर्यादा तार-तार करने वाले सिर्फ कांग्रेसी ही हैं। भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी इस मामले में पीछे नहीं। अपने ही अंदाज में विरोधियों पर तंज कसने में माहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अनेक भाजपा नेता भी भाषाई मर्यादा लांघने के लिए आलोचना के पात्र बनते रहे हैं। कभी सोनिया गांधी को राजमाता पुकारा जाता था तो राहुल गांधी को शहजादा और पप्पू कहने की तो भाजपाइयों में होड़ लगी हुई है। कभी कांग्रेसी रहे असम के भाजपाई मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बढ़ गई दाढ़ी में राहुल ईराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन जैसे दिखे।

अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले नेता कैसे करेंगे देश का कुशल नेतृत्व ?

चुनावी लाभ के लिए भड़काऊ भाषणों की खतरनाक प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ रही है। बिना किसी राग-द्वेष के संविधान के अनुसार आचरण-व्यवहार करने की शपथ लेने वाले केंद्रीय मंत्री तक देश के इन गद्दारों को गोली मारो -जैसे नारे मंच से लगवाने में संकोच नहीं करते तो देश के रक्षामंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार पदों पर रहे मुलायम सिंह यादव बलात्कारियों के बचाव में कह गए कि लड़कों से गलतियां हो जाती हैं। ऐसा नहीं है कि नैतिक मूल्यों का यह पतन सिर्फ राजनीति में नजर आता है लेकिन यह ज्यादा घातक इसलिए है कि राजनीतिक नेतृत्व नीति निर्माता ही नहीं होता। बड़ी संख्या में लोग उससे प्रेरित भी होते हैं। पहले तो मुख से ही अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता था लेकिन अब उसे पोस्टर का रूप देकर एक नई परिपाटी की शुरुआत की जा रही है ।  सवाल उठता है कि ऐसे नेता कैसा नेतृत्व देंगे और फिर कैसा देश समाज बनेगा।

दीपक साहू

संपादक

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