शिक्षक दिवस पर ब्रह्माकुमारी संस्था में शिक्षकों का सम्मान; भारत विश्वगुरू था और हमेंशा रहेगा- ब्रह्माकुमारी रूक्मणि

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के टी.पी. नगर स्थित विश्व सद्भावना भवन में “भारत को विश्वगुरू बनाने में शिक्षक की अहम भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर महापौर राजकिशोर प्रसाद तथा स्थानीय सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी रूक्मणी दीदी, प्राचार्य डॉ किरण चौहान कमला नेहरू महाविद्यालय, आशा आजाद सहायक प्राध्यापक अटल विहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, संजय जैन व्याख्याता साडा कन्या उ.मा.वि. कोरबा, जमनीपाली सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी बिन्दू, प्राचार्य विवेक लाण्डे पंप हाउस कोरबा, संतोष यादव योग गूरू, एफ आर. पटेल अग्रसेन गुरुकुल, अनिता जी प्राचार्य हाई स्कुल बुंदेली, प्राचार्य पुरूषोत्तम पटेल तुमान, मंजु तिवारी हाई स्कुल दादरखुर्द, साधना शर्मा संचालिका कम्प्युटर संस्थान तथा सुरेश द्विवेदी सेवानिवृत प्र0धानपाठक उपस्थित थे।

महापौर राजकिशोर प्रसाद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए छात्रो के भविष्य गढ़ने का काम करते है। उन्होने कहा कि यदि व्यक्ति के पास क्षमता है तो उस क्षमता का उपयोग समाज को लाभान्वित करने में किया जाना चाहिए। आज की शिक्षा पहले की तुलना में कमर्शियल हो गया है। समय परिवर्तन होता जा रहा है। परंतु फिर भी हमें बच्चों के सर्वांगीण गुणों के विकास के लिए कार्य करते रहना हैं। और वर्तमान समय योग शिक्षको का भी मांग बढ़ते जा रहा है। कहा भी जाता है स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होता है।

सभी अतिथियों ने अपने उद्बोधन दिए। इस संगोष्ठी में सार यह निकला कि भारत को विश्वगुरू बनाने की जरूरत नहीं है वो विश्वगुरू था, है, और हमेशा रहेगा। परंतु उसमें जो धुल की परतें जम गई है उसे निकालने की जरूरत है। चाहे वो धर्म, जाति, भेदभाव, या किसी भी अन्य रूप का हो। बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कारवान बनाना इस बात पर बल दिया गया। और इसके लिए राजयोग अर्थात् मेडिटेशन को महत्वपूर्ण बताया गया।

सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी रूक्मणि दीदी ने कहा कि भारत वो देश है जहां तैतीस करोड देवी-देवता वास करते थे। जिसका प्रमाण है कि आज हर घर में देवी देवताओं की तस्वीरे है जिनकी हम पूजा करते है। और वो हमारे पूर्वज है। परंतु हम अपने को दैवी परिवार का इसलिए नहीं मान पाते क्योंकि हमारा आचरण वैसा नही है। देवताओं में जहां शुद्धता व पवित्रता है वो अब हमारे में नही रहा। परम शिक्षक, परम सतगुरू वो एक परमात्मा जो हमें मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़ा रहा है। उन्होने समस्त शिक्षको से राजयोग सीखने की अपील की। ताकि बच्चों को और अधिक संस्कारवान बनाया जा सके।

ब्रहमाकुमारी बिन्दू दीदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए एकाग्रता को महत्वपूर्ण बताया। अंत में अतिथियों ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण किया। और दीप प्रज्वलन किया। ब्रह्माकुमारी बहनो द्वारा समस्त अतिथियों को ईश्वरीय सौगात, श्रीफल व पौधा दिया गया व संगोष्ठी में सभी आमंत्रित शिक्षको को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर संस्था की ओर से रामा कर्माकर जी ने मधुर स्वागत गीतो से समां बांधा। मुख्य रूप से कमल कर्माकर, पूर्व उपप्राचार्य व व्याख्याता उदयनाथ साहू, रामनाथा सोनी, सरिता चौधरी, कौशल कुलमित्र, मंजू बहन, शिवानी तथा संस्था के अन्य भाई बहने भी उपस्थित थे।

दीपक साहू

संपादक

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