विश्व आत्महत्या नियंत्रण दिवस के मौके पर शासकीय इं.वि. स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कार्यशाला का आयोजन

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे:  महाविद्यालय, कोरबा के मनोविज्ञान विभाग द्वारा किया गया। जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीमती अवन्तिका कौशिल ने छात्र-छात्राओं को बताया कि प्रतिवर्ष विश्व में लगभग 05 लाख लोग प्रतिवर्ष आत्महत्या करते हैं। भारत के 2022 के आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 1.5 लाख (एक लाख पचास हजार) लोग आत्महत्या करते हैं. यदि प्रतिदिन की बात करें तो लगभग 500 लोग प्रतिदिन आत्महत्या करते हैं।

आत्महत्या की रोकथाम हेतु एवं जनजागृति हेतु 2003 से WHO के अनुसार प्रतिवर्ष 10 सितम्बर को विश्व आत्महत्या नियंत्रण दिवस मनाया जाता हैद्ध इसका उद्देश्य आत्महत्या की रोकथाम हेतु जनजागृति लाना है। प्रतिवर्ष होने वाली इस त्रासदी को रोकने हेतु निराशा हताशा जैसे मानवीय प्रवृत्ति को कम करना है। लोगों को समझाना है कि प्रत्येक समस्या का समाधान है, केवल आवश्यकता है कि आप अपनी समस्या के बारे में बात करें। नकारात्मक विचारों से दूर रहें। महाविद्यालय के मनोविज्ञान के स्नातकोत्तर के सेमेस्टर प्रथम एवं तृतीय के समस्त छात्र-छात्राओं ने

महाविद्यालय की कक्षाओं में जाकर छात्र-छात्राओं को इसकी जानकारी दी। बताया कि प्रत्येक वर्ष विश्व आत्महत्या नियंत्रण दिवस की एक थीम होती है. इस वर्ष यह थीम है-

Changing the Narrative”

कथा बदलना” ” यानि आत्महत्या के बारे में अपनी सोच बदलें।

स्नातकोत्तर के छात्र मुकेश ने बताया कि इस थीम का उद्देश्य व्यक्तियों समुदायों, संगठनों और सरकारों को आत्महत्या और आत्मघाती व्यवहार के बारे में खुली और ईमानदार बातचीत में शामिल होने के लिये प्रेरित करना है।

स्नातकोत्तर की छात्रा गुनगुन ने बताया कि सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में मानसिक स्वास्थ्य कार्यकमों के द्वारा आत्महत्या नियंत्रण के प्रयास किये जा रहे हैं।

प्रीती सिदार ने बताया कि प्रत्येक वर्ष लाखों लोग मानसिक तनाव एवं सामाजिक दबाव के कारण आत्महत्या करते हैं। प्रीति हलदर ने कहा कि लोग आत्महत्या का प्रयास आवेश में करते हैं यदि बस उसी क्षण उन्हें कोई रोक ले तो यह नहीं होगा।

अतिथि शिक्षा सुश्री हेमलता ने आत्महत्या से जुड़े मुद्दों पर बात करते हुये कहा कि आत्महत्या के कारणों मे पारिवारिक, सामाजिक कारणों के साथ-साथ मानसिक बिमारियां भी जिम्मेदार होती है, जैसे डिप्रेशन, एंगजायटी, सायकोटिक डिसआर्डर, नशे से जुड़ी बीमारियां ये सभी भी आत्महत्या जैसे व्यवहार को बढ़ावा देती है। ऐसे में मानसिक बिमारियों की पहचान कर उनका सही समय पर इलाज करान भी इस दिशा में सार्थक कदम होगा।

अतिथि शिक्षक सहायक सुश्री रंजीता पटेल ने आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की पहचान बताते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति की दैनिक दिनचर्चा अचानक बदल जाती है निराशाजनक बातें करते हैं ऐसे व्यक्तियों से बात करें। आप उनकी बातें सुन ले। उन्हें हौसला दे यही कोशिश उन्हें रोक सकती है।

प्राचार्य डॉ. श्रीमती आर. बी. शर्मा ने मनोविज्ञान विभाग के छात्र-छात्राओं के इस प्रयास की सरहाना की तथा मानव जीवन को अमूल्य बताते हुये अपने आत्मविश्वास एवं सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों का सामना हिम्मत से करने की सलाह दी। समस्याओं के समाधान हेतु बात करने एवं मनोवैज्ञानिक सलाह लेकर इस नकारात्मक स्थिति को दूर करने का प्रयास करने की बात कही। विश्व आत्महत्या नियंत्रण दिवस पर एम.ए. प्रथम सेमे के छात्र निक्की, बिनु, नेहा, गरिमा, रितेश उपस्थित रहें।

दीपक साहू

संपादक

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