भारत में बाल यौन शोषण के खिलाफ अर्पण ने “प्रोटेक्ट बाय पॉक्सो” अभियान शुरू किया

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मैं बच्चों की सुरक्षा से जुड़े “प्रोटेक्ट बाय पॉक्सो” अभियान के साथ खड़ी हूं-विद्या बालन

मुंबई/स्वराज टुडे: भारत में 50% बच्चों ने यौन शोषण का सामना किया है (एमडब्लूसी डी 2007 रिपोर्ट), हर दिन 182 नए मामले सामने आए (एनसीआरबी 2022 रिपोर्ट के अनुसार)। जैसे-जैसे बाल यौन शोषण (सीएसए) की दर देशभर में बढ़ रही है, भारत के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठन, अर्पण ने एक साहसिक और जन जागरूकता अभियान शुरू किया है, जो खास तौर पर सीएसए की यौन शोषण रोकथाम पर केंद्रित अभियान का हिस्सा है।

यह पहल देश भर में बाल यौन अपराधियों को लक्षित करता है। इस अभियान का उद्देश्य जनता को यह समझाना है कि सीएसए क्या है और स्पष्ट रूप से यह संदेश देना है कि बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा न तो स्वीकार्य है और न ही सहनीय। एनसीआरबी 2022 के अनुसार, बच्चों के खिलाफ होने वाले सभी अपराधों में 42% यौन अपराध से संबंधित होते हैं।

“प्रोटेक्ट बाय पॉक्सो” अभियान एक शक्तिशाली, स्पष्ट संदेश देता है: बाल यौन शोषण एक अपराध है – अब रुक जाइए या परिणाम भुगतिए। यह अभियान अपराधियों को चेतावनी देता है कि उन्हें पोकसो अधिनियम (बच्चों से यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012) के तहत कड़े कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा, साथ ही सामाजिक परिणाम भी भुगतने होंगे। अर्पण का उद्देश्य सीएसए कानूनों और सुरक्षा के बारे में व्यापक जागरूकता बढ़ाना, अपराधियों पर लगाम लगाना और यह सुनिश्चित करना है कि वे समझें कि उन्हें उनके कार्यों के लिए पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाएगा।

अर्पण की संस्थापक और सीईओ पूजा तपारिया ने कहा, “हम अब इस गंभीर समस्या की जड़ को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें यौन शोषण को रोकने और बच्चों को नुकसान से बचाने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।” उन्होंने कहा, “यह अभियान अपराधियों को यह समझाने के बारे में है कि उनकी कार्रवाइयां अनदेखी नहीं की जाएंगी। उन्हें पकड़ा जाएगा, अलग-थलग किया जाएगा, और कड़े कानूनी परिणामों का सामना करना ही होगा। हमारे बच्चों को ऐसी दुनिया में बड़ा होने का अधिकार है, जहां वे खुद को सुरक्षित समझ सकें, और पोस्को अधिनियम उनकी रक्षा के लिए एक ढाल के रूप में खड़ा है।”

अर्पण की सद्भावना राजदूत व बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन ने इस अभियान का समर्थन करते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि हम सब एक साथ आएं और बच्चों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाएं। इस मुद्दे की पैरवी करने वाले पक्षधर के रूप में, मैं अर्पण और “प्रोटेक्ट बाय पोकसो” अभियान के साथ खड़ी हूं, क्योंकि बच्चों को दुर्व्यवहार के डर से मुक्त होकर बड़ा होना चाहिए। अपराधी बच्चों के विश्वास का फ़ायदा उठाने या उनका फ़ायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन यह अभियान सुनिश्चित करता है कि ऐसे जघन्य कृत्य करने वाले बिना दंडित किए नहीं रहेंगे। वे बच नहीं सकेंगे।”

“प्रोटेक्ट बाय पॉक्सो” अभियान बाल सुरक्षा सप्ताह (14-20 नवंबर) के दौरान व्यापक जनसंपर्क प्रयास के साथ शुरू किया गया था। मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण ठाणे महानगर पालिका और बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई और ट्रांसपोर्ट के सहयोग से, अर्पण की ओर से मुंबई और ठाणे में महा मुंबई मेट्रो और सार्वजनिक बसों में बच्चों की सुरक्षा के बारे में संदेश का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। विलेपार्ले और बांद्रा में बिलबोर्ड्स, पश्चिमी लाइन की लोकल ट्रेनें और शहर भर के ऑटो रिक्शा भी इस अभियान का हिस्सा बने हैं। अभियान के तहत एक फिल्म मुंबई के पीवीआर थिएटरों में दिखाई जा रही है और साथ ही जियो सिनेमा, जी5 और एमएक्स प्लेयर सहित प्रमुख ओटीटी प्लैटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध है। इसके अलावा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गोवा और आंध्र प्रदेश के स्कूलों ने भी इस अभियान में शामिल होकर अपने मुख्य द्वारों पर स्कूल यूनिफॉर्म प्रदर्शित किया है।

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दीपक साहू

संपादक

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