छत्तीसगढ़
गरियाबंद/स्वराज टुडे: उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व से वन्यप्राणी प्रेमियों के लिए दुखद खबर सामने आई है। पोटाश बम की चपेट में आने से एक माह से दर्द लिए इधर-उधर की ठोकरें खाते हुए घूम रहे नन्हें हाथी शावक की मौत हो गई है। बेरहम इंसान की करतूत ने बेजुबां जानवर की जान ले ली है।
बता दें कि वन्यप्राणियों के शिकार के लिए रखे पोटाश बम को हाथी शावक ने खा लिया था, इससे कि गंभीर रूप से घायल हो गया था, इसकी दो दिनों से तबीयत और बिगड़ गई थी। इसके इलाज के लिए रिजर्व प्रशासन और वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अपनी टीम के साथ जुटे हुए थे, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो पाया और हाथी शावक अघन ने शनिवार की दोपहर 3:35 बजे आखिरी सांस ली। विभाग के उपनिदेशक वरुण जैन ने हाथी शावक की मौत की पुष्टि की है।
पोटाश बम का लेने से हाथी शावक हो गया था घायल
मालूम हो कि माहभर पहले वन्यप्राणियों के शिकार के लिए लगाए गए पोटाश बम को नन्हें हाथी शावक ने खा लिया था, जिससे कि उसके जबड़े और पैर में चोटें आई थी। जानकारी मिलते ही वन अमला हाथी शावक की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी हुई थी। उसके इलाज के लिए डॉक्टर्स एवं ट्रैकर्स ड्रोन के माध्यम से मॉनिटरिंग भी कर रही थी, लेकिन हाथियों के झुंड के बीच शावक के होने से काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
20 दिनों से घायल था हाथी शावक
बताना लाजिमी होगा कि घटना के लगभग 20 दिनों बाद घायल हाथी शावक का इलाज किया गया, जहां हाथियों के झुंड के साथ ही शावक की मां ने भी उसे अकेले छोड़ दिया था। शावक को ट्रेंकुलाइज कर उसका इलाज किया गया, उसके बाद स्थिति में थोड़ा सुधार आने लगा, इसके बाद रिजर्व प्रशासन ने राहत की सांस ली थी। लेकिन अचानक शावक की तबियत बिगड़ गई थी, जिसको लेकर विभाग सहित डॉक्टर्स की टीम लगी हुई थी।
जीभ व मुंह में आई जख्म
जानकारी के मुताबिक हाथी शावक दो दिन पहले रिसगांव रेंज से तौरेंगा रेंज पहुंचा हुआ है। पोटाश बम चबाने से जीभ व मुंह में आई जख्म लाख कोशिशों के बावजूद ठीक नहीं हो सका था। सूजन बढऩे के कारण हाथी अब कुछ भी नहीं खा पा रहा था। शावक काफी कमजोर होने से ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। सोए हालत में ही हाथी का उपचार जारी था। हाथी के दयनीय स्थिति को लेकर अफसर चिंतित थे। विभाग के हर प्रयास के बावजूद भी शावक को आखिरकार नहीं बचाया जा सका। शावक की मौत से वन विभाग में शोक की लहर है।
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