नई दिल्ली/स्वराज टुडे: बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जारी हैं. बीते कुछ दिनों में ना सिर्फ हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है बल्कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की गई है. चाहे बात इस्कॉन मंदिर को बंद कराने की हो या फिर इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास और उनके साथियों को गिरफ्तार करने की.
हर बीतते दिन के साथ बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और उनके प्रति नफरत बढ़ती जा रही है. बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने भी बीते कुछ दिनों से हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को गलत ठहराया है. उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि बांग्लादेश की मौजूदा सरकार के शासन काल में नरसंहार हो रहा है. बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर भारत सरकार भी नजर बनाए हुए हैं. इन सब के बीच बांग्लादेश के मौलाना इनायतुल्लाह अब्बासी ने पीएम मोदी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है.
मौलाना ने क्या दिया है बयान
मौलाना इनायतुल्ला अब्बासी ने बांग्लादेश में हिंदुओं की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा है कि 14 करोड़ बांग्लादेशी मुसलमान अपने 28 करोड़ हाथों में लाठी लेकर एक साथ आएंगे और लाल किले पर कब्जा कर लेंगे.इनायतुल्ला अब्बासी ने कहा कि मैं उन दोनों (पीएम मोदी और ममता बनर्जी) से कहूंगा कि वे सावधान रहें, अगर आपने बांग्लादेश की तरफ हाथ उठाया, तो 14 करोड़ बांग्लादेशी उस हाथ को तोड़ देंगे. बांग्लादेश का दुश्मन हिन्दुस्तान है.
मंदिरों में की गई थी तोड़फोड़
बांग्लादेश के चट्टोग्राम में बीते शुक्रवार को नारेबाजी कर रही भीड़ ने तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की थी. इस्कॉन के एक पूर्व सदस्य के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के बाद से चट्टोग्राम में विरोध प्रदर्शन जारी है. यह हमला बंदरगाह शहर के हरीश चंद्र मुनसेफ लेन में दोपहर करीब 2:30 बजे हुआ और इस दौरान शांतानेश्वरी मातृ मंदिर, शनि मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर को निशाना बनाया गया.
कहां से शुरू हुआ मामला
‘सनातन जागरण जोत’ के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास पर पिछले महीने चटगांव में भगवा झंडा फहराने के लिए देश के झंडे का कथित रूप से अपमान करने के लिए बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा देशद्रोह का आरोप लगाया गया है. देश में बांग्लादेशी हिंदुओं के सड़कों पर उतरने के बाद दास को मंगलवार को चटगांव की एक अदालत में पेश किया गया और बाद में जेल भेज दिया गया. इसी समय, न्यायालय भवन में हिंसा भड़क उठी, जिसके कारण 32 वर्षीय अधिवक्ता सैफुल इस्लाम अलिफ की मृत्यु हो गई. बांग्लादेश में कट्टरपंथी अब दास के समर्थकों को अधिवक्ता की मृत्यु के लिए दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि न्यायालय परिसर में उस दिन हुए उपद्रव में कोई हिंदू शामिल नहीं था.
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