धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए WHO ने पहली बार जारी की गाइडलाइन्स, इन तरीकों को बताया असरदार

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे: Smoking एक खतरनाक आदत है जो सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। इन दिनों कई लोग स्मोकिंग की लत से परेशान हैं लेकिन इससे होने वाले नुकसानों की वजह से कुछ ऐसे भी हैं जो स्मोकिंग छोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसे में हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने स्मोकिंग छोड़ने के लिए पहली बार गाइडलाइन्स जारी है।

हर साल तम्बाकू के चलते दुनिया में 80 लाख लोगों की मौत

वर्तमान में भागदौड़ की जिंदगी और तनाव के चलते लोग विभिन्न तरीके से इसे अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना रहे हैं। यही वजह है कि तंबाकू का सेवन दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बना हुआ है। इसकी वजह से हार्ट डिजीज, रेस्पिरेटरी डिजीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि आज कम उम्र के किशोरों में भी तंबाकू की लत देखी जा सकती हैं ।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक हर साल तंबाकू की वजह से 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है, जिनमें में करीब 70 लाख से ज्यादा मौतें सीधे तंबाकू के इस्तेमाल के कारण होती हैं।

जागरूकता के कारण अनेक लोग धुम्रपान से पाना चाहते हैं छुटकारा

आमतौर पर लोग स्मोकिंग के जरिए भी तंबाकू का सेवन करते हैं। हालांकि, इन दिनों कई लोग ऐसे भी हैं, जो सेकंड-हैंड स्मोकिंग की वजह से न चाहते हुए इसका सेवन कर रहे हैं। स्मोकिंग सेहत के लिए काफी हानिकारक होती है और यही वजह है कि कई लोग इसे छोड़ने के लिए काफी मेहनत भी करते हैं। ऐसे में स्मोकिंग छोड़ने की इस वैश्विक लड़ाई में अपना योगदान देते हुए WHO तम्बाकू का उपयोग कम करने और इसे छोड़ने के लिए पहली बार दिशानिर्देश जारी किए हैं।

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आइए जानते हैं क्या है WHO की यह नई गाइडलाइन्स

1) कॉम्बिनेशन थेरेपी
फार्माकोथेरेपी को बिहेवियरल इंटरवेंशन के साथ मिलाने से स्मोकिंग छोड़ने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

2) रिकमेंडे मेडिकेशन्स
वैरेनिकलाइन एक प्रिस्क्रिप्शन दवा है, जो क्रेविंग्स और विथड्रॉयल सिंप्टम्स (withdrawal symptoms) को कम करने में मदद करती है।

3)-निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एनआरटी)
निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी स्मोकिंग छोड़ने में मददगार साबित होती है। इसमें निकोटीन गम और पैच जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं, निकोटीन की कंट्रोल डोज देने में मदद करते हैं।

4) बुप्रोपियन
बुप्रोपियन एक एंटीडिप्रेसेंट है, जो लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करने में प्रभावी पाया गया है।

5) साइटिसिन
यह एक प्लांट बेस्ड अल्कलॉइड है, जिसका इस्तेमाल कुछ देशों में धूम्रपान छोड़ने में मदद के लिए किया जाता है।

6) बिहेवियरल इंटरवेंशन
स्मोकिंग छोड़ने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट के साथ 30 सेकंड से 3 मिनट तक के नियमित सेशन ले सकते हैं।

तम्बाकू उत्पाद कंपनियों को ही सरकार क्यों बंद नही कर देती

यह तंबाकू , सिगरेट कंपनियां किसानों से खरीदती हैं। इस तरह से किसानों की आमदनी और संपन्नता एक तरह से सुरक्षित करती हैं। अब अगर आप देखें तो एक तरफ यदि तंबाकू का उत्पादन बंद होता है, तो किसानों की आमदनी का जरिया भी काफी कम हो जाता है, क्योंकि धान और अन्य तिलहनों को पैदा करने में आमदनी कम होती है।

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उपभोक्ता देश है। ग्लोबल यूथ टोबाको सव्रे, 2019 के अनुसार भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं यानी हर 5वां भारतीय किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहा है। भारत में तंबाकू एवं पान मसाला गुटखा का बाजार 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। ऐसे में गुटखा निर्माता कंपनियां बाजार पर पकड़ बनाए रखने के लिए सारे तरीके इस्तेमाल करती हैं। भारत में तंबाकू लॉबी इतनी मजबूत है कि राजनीतिक दलों पर उनका बहुत गहरा प्रभाव है। तंबाकू की खपत के खिलाफ कोई भी कार्रवाई राजनीतिक मुद्दा बन जाएगी और उन लोगों की लोकप्रियता को प्रभावित करेगी जिन्होंने प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। गुटखा निर्माता इस बात को भी अच्छी प्रकार से जानते हैं कि सरकार गुटखा कभी बंद नहीं करवा सकती।

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आप इस बात से अंदाजा लगाएं कि ITC जो सिगरेट बनाने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी है जिसमे सरकार की भागीदारी 40 % तक है । यानी हर साल सरकार को तंबाकू उत्पाद कंपनियों से हजारों करोड़ रु आयकर प्राप्त होता है। अब सरकार अपनी ही कम्पनी कैसे बन्द करेगी जो आय का सबसे बड़ा साधन है।

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दीपक साहू

संपादक

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