रावण केवल एक राक्षस योद्धा ही नहीं थे, बल्कि वे वेदों, पुराणों और शास्त्रों के प्रगाढ़ ज्ञाता भी थे। उनकी विद्या और शक्ति के साथ-साथ, उनकी शिव भक्ति भी अद्वितीय थी। ऐसा कहा जाता है कि रावण जैसा शिव भक्त न कभी हुआ और न कभी होगा।
रावण की शिव भक्ति
रावण की शिव भक्ति सर्वोच्च मानी जाती है। उन्होंने न केवल शिव स्तोत्र का निर्माण किया, बल्कि कई दिव्य और चमत्कारी मंत्र भी उत्पन्न किए। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, रावण द्वारा निर्मित ये मंत्र सिद्ध हैं, और इनका जाप करने से जीवन में विभिन्न प्रकार की सफलताएँ प्राप्त की जा सकती हैं।
रावण संहिता और मंत्र
रावण संहिता में उल्लेखित मंत्रों में से कुछ प्रमुख हैं:
ऊँ क्लीं ह्रीं ऐं ओं श्रीं महा यक्षिण्ये सर्वैश्वर्यप्रदात्र्यै नमः।
जाप का लाभ: इस मंत्र का रोजाना जाप करने से व्यक्ति आर्थिक तंगी से छुटकारा पा सकता है।
विशेष मंत्र: “इमिमन्त्रस्य च जप सहस्त्रस्य च सम्मितम्। कुर्यात् बिल्वसमारुढो मासमात्रमतन्द्रितः।”
ॐ हीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ हीं नमः।
जाप का लाभ: इस मंत्र से घर में लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है।
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
जाप का लाभ: इस मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति होती है और आर्थिक समृद्धि बढ़ती है।
इन मंत्रों का जाप करके व्यक्ति भगवान शिव को प्रसन्न कर सकता है और इससे होने वाले अनगिनत लाभ प्राप्त कर सकता है।
रावण से जुड़े कुछ तथ्य
प्रश्न- रावण ने किस स्तोत्र का निर्माण किया था?
उत्तर- रावण ने शिव तांडव स्त्रोत का निर्माण किया था, जो भगवान शिव की स्तुति में अद्वितीय है।
प्रश्न -रावण की दूसरी पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर- रावण की दूसरी पत्नी का नाम धन्यमालिनी था।
निष्कर्ष
रावण की विद्या, भक्ति और मंत्रों का गहन ज्ञान हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और ज्ञान का प्रयोग कैसे किया जा सकता है। रावण के ये मंत्र न केवल तात्कालिक लाभ के लिए उपयोगी हैं, बल्कि आत्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं और धर्मग्रंथों से ली गयी जानकारी पर आधारित है। स्वराज टुडे न्यूज़ इसकी पूर्णतया सत्यता एवं सटीकता का दावा नहीँ करता है।
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