आजकल हम महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों की चौंकाने वाली खबरें सुनते और देखते हैं, जिससे महिलाओं में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो गई है। आज भी महिलाएं घर से बाहर निकलने और यात्रा करने में खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं।
इतना ही नहीं, कुछ लोग इतने अमानवीय होते हैं कि वे कन्या भ्रूण का गर्भ में ही हत्या कर देते हैं। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने भ्रूणहत्या को सबसे बड़ा पाप माना है। लेकिन क्या आप जानते हैं, हर घर में बेटियां क्यों नहीं जन्म लेतीं? इसके बारे में श्रीकृष्ण ने क्या कहा है और गरुड़ पुराण में इसे कैसे समझाया गया है? आइए जानते हैं।
कन्या रत्न कैसे प्राप्त होता है? श्रीकृष्ण ने बताया…
यह भी सत्य है कि कुछ लोग अब भी बेटियों को बोझ मानते हैं। हिंदू धर्म में प्राचीन काल से बेटियों को समान अधिकार दिए गए हैं। लेकिन ज्ञान की कमी के कारण कुछ लोग बेटियों को बोझ मानते हैं। उन्हें शायद यह नहीं पता कि हिंदू धर्म में बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। आज भी हिंदू समाज में नवरात्रि के समय कन्या पूजन किया जाता है। कन्या रत्न आसानी से नहीं मिलता, इसके पीछे एक खास कारण है जिसे श्रीकृष्ण ने विस्तार से बताया है।
गरुड़ पुराण में क्या कहा गया है?
गरुड़ पुराण में एक कथा का वर्णन किया गया है। इस कथा में श्रीकृष्ण बताते हैं कि किन घरों में बेटियों का जन्म होता है। कथा के अनुसार, एक दिन अर्जुन और श्रीकृष्ण बैठे हुए थे। दोनों जन्म और मृत्यु के बारे में चर्चा कर रहे थे। तभी अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा, “हे देव! किस कर्म के कारण माता-पिता को कन्या रत्न प्राप्त होता है? अर्थात भगवान बेटियों के जन्म के लिए घरों का चयन कैसे करते हैं?”
श्रीकृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं, “पार्थ, अचानक तुम्हारे मन में यह सवाल कैसे आया?” अर्जुन कहते हैं, “नारायण! मैं सोच रहा था कि सभी बेटियां लक्ष्मी का रूप होती हैं, और देवी लक्ष्मी हर घर में नहीं आतीं। इसलिए मैंने आपसे यह प्रश्न पूछा।” इस पर श्रीकृष्ण उत्तर देते हैं।
किस घर में बेटियों का जन्म होता है? श्रीकृष्ण का उत्तर
श्रीकृष्ण ने कहा, “अर्जुन! जिस घर में बेटा जन्म लेता है, वह उसके भाग्य से मिलता है, लेकिन जिस घर में बेटी का जन्म होता है, वह सौभाग्य से प्राप्त होता है। बेटे भाग्य से मिलते हैं, जबकि बेटियां सौभाग्य से। जिन पुरुषों और महिलाओं ने अपने पिछले जन्मों में अच्छे कर्म किए हैं, केवल उन्हीं को बेटी के माता-पिता बनने का गौरव प्राप्त होता है।
भगवान बेटियों के जन्म के लिए उन्हीं घरों का चयन करते हैं जो उनकी जिम्मेदारी को निभा सकें। ईश्वर जानते हैं कि कुछ लोग धनवान होने के बावजूद बेटियों की जिम्मेदारी नहीं उठा सकते, जबकि कुछ गरीब लोग भी अपनी बेटियों को बड़े प्रेम और समर्पण से पाल सकते हैं। सृष्टि के रचयिता को पहले से पता होता है कि बेटियों के लिए उपयुक्त माता-पिता कौन हो सकते हैं।”
बेटियों के बिना सृष्टि अधूरी!
श्रीकृष्ण अर्जुन से आगे कहते हैं, “कन्याएं ही इस संसार को चलाती हैं। जिस दिन इस दुनिया में बेटियों का जन्म रुक जाएगा, उस दिन यह संसार रुक जाएगा। और कुछ ही समय में यह सृष्टि नष्ट हो जाएगी। बेटियां अपने माता-पिता को सबसे अधिक प्रेम देती हैं। विवाह के बाद, वह ससुराल में बहू और पत्नी बनकर वहां प्रेम बांटती है। और जब वह मां बनती है, तो अपने बच्चों को अपना सब कुछ देती है।
जहां एक बेटा केवल एक वंश को आगे बढ़ाता है, वहीं बेटियां दो कुलों का गौरव बढ़ाती हैं। बेटियों के बिना यह सृष्टि अधूरी है।”
स्त्री योनि में जन्म क्यों होता है?
गरुड़ पुराण में यह बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार अगला जन्म मिलता है। जो लोग मृत्यु के समय स्त्रियों के बारे में विचार करते रहते हैं, उनका अगला जन्म स्त्री योनि में होता है। इतना ही नहीं, अगर किसी पुरुष ने अपने जीवनकाल में स्त्रियों का शोषण या उत्पीड़न किया हो, तो उसका पुनर्जन्म भी स्त्री के रूप में होता है।
यह भी पढ़ें: मोहर्रम: ताजिये का नहीं है इस्लाम धर्म से कोई ताल्लुक, भारत समेत इन चार देशों में ही है ताजियादारी की परंपरा
यह भी पढ़ें: पुरुष ही नहीं महिलाएं भी होती हैं नागा साधु;लेकिन प्रकिया होती है बड़ी जटिल
Editor in Chief