सनातन धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। यह वह समय होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है यानी दिखाई नहीं देता।
माघ माह में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। कई भक्त इस तिथि पर मौन साधना करते हैं, जिसके कारण इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, लेकिन क्या आप इसका कारण जानते हैं?
माघ मास की अमावस्या तिथि 09 फरवरी को सुबह 08:02 बजे लग रही है। वहीं इसका समापन 10 फरवरी को सुबह 04 बजकर 28 मिनट पर होगा. ऐसे में मौनी अमावस्या 09 फरवरी, शुक्रवार को मनाई जाएगी. मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त से ही गंगा स्नान शुरू हो जाता है और पूरे दिन चलता रहता है. ऐसे में इस तिथि पर स्नान का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा-
स्नान का शुभ समय- सुबह 05 बजकर 21 मिनट से शुरू
मौन रहने का महत्व (अमावस्या पर मौन व्रत)
माघ माह में पड़ने वाली मौनी अमावस्या पर कई श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद पूरे दिन मौन व्रत भी रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र देव को मन का देवता माना जाता है। अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, जिसके कारण मन की स्थिति खराब हो सकती है। ऐसे में मैंने अमावस्या तिथि पर मौन रहकर अपने मन को नियंत्रित करने का प्रयास किया है।
मौनी अमावस्या पर स्नान का महत्व
मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी विशेषकर गंगा में स्नान करने की परंपरा है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन देवता और पितर प्रयागराज के संगम में स्नान करने आते हैं। ऐसे में जो भी व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करता है उसे लंबी उम्र के साथ-साथ सेहत भी मिलती है। अगर आपके लिए गंगा नदी पर जाकर स्नान करना संभव नहीं है तो आप घर पर भी पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
Editor in Chief