उत्तरप्रदेश
बरेली/स्वराज टुडे: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को उपचार कराने में बहुत राहत मिल रही है। सरकारी अस्पतालों के अलावा बड़े निजी अस्पतालों में भी उन्हें निश्शुल्क उपचार मिल रहा है।
दीपमाला हास्पिटल के डाक्टर ने आयुष्मान कार्ड लेकर उपचार कराने पहुंचे मरीज और उसके तीमारदार को खरी-खोटी सुनाने के बाद प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर तीमारदार को खदेड़ दिया। वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद सीएमओ ने जांच कमेटी गठित कर दी है।
‘फ्री वाले इलाज में मरीज सही नहीं होगा’
शाहजहांपुर जिले के मिर्जापुर, कलान से महिला मरीज को दीपमाला हास्पिटल में भर्ती कराया गया है। प्रसारित हो रहे वीडियो में मरीज के तीमारदार से डा. सोमेंद्र मेहरोत्रा कहते सुनाई दे रहे हैं कि फ्री वाले इलाज में तुम्हारा मरीज कभी सही नहीं होगा। अस्पताल को 2,200 रुपये मिल रहे हैं।
सरकारी अस्पताल वालों के पास ना ज्ञान है और ना सुविधा !
सरकार, सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं कर सकती है, क्योंकि उसके पास न ज्ञान है और सुविधा है। 14 करोड़ का बजट डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल में मिलता हैं। सब खा जाते हैं नेता सब मिलकर। तुम मेरे अस्पताल से बाहर निकल जाओ, हमारे सामने मत पड़ना। देख रहे हो, यह पैदा किया मोदी जी ने। यह मरीज कहां से आया, इसकी फाइल निकालो।
इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित वीडियो शासन तक पहुंच गया है। वीडियो का संज्ञान लेते हुए सीएमओ डा. विश्राम सिंह ने एसीएमओ डा. राकेश और डा. लईक अहमद अंसारी की दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। जागरण वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
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आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी पैसे लेने की पहले भी आती रहीं शिकायतें
सरकार ने गरीबों के अलावा 70 साल से अधिक उम्र के हर वर्ग के मरीजों को आयुष्मान कार्ड से पांच लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार की सुविधा दी है। पिछले दिनों शहर के कई अन्य प्राइवेट अस्पतालों की शिकायत सीएमओ कार्यालय में पहुंचती रही है कि आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी उनसे रुपये लिए जा रहे हैं। नोडल अधिकारी ने उनकी समस्याओं का निदान कराया था।
दीपमाला अस्पताल के कथित डॉक्टर डॉ सोमेश मेहरोत्रा ने दी सफाई
आयुष्मान योजना सरकार की जन कल्याणकारी योजना है, लेकिन इसमें सभी इलाज की दरें तय हैं। ऐसा नहीं है कि एक बीमारी पर पूरे पांच लाख लगा दिए जाएं। मरीज पहुंचने के बाद आयुष्मान कार्ड लगाकर अनुमति ली जाती है, फिर इलाज शुरू होता है, अगर अचानक कोई मरीज आ जाए और कार्ड का अप्रूवल न मिले तो दिक्कत होती है, जिस इंजेक्शन को लगाने की बात है, वह अप्रूवल से पहले का मामला है, लेकिन लड़का समझने को तैयार नहीं था। मैंने जो बोला वह फ्रस्ट्रेशन में बोला है। सरकार या जनप्रतिनिधियों से मेरी कोई शिकायत नहीं है। बीते चार माह में आयुष्मान कार्ड से इलाज के बाद बिल का अब तक भुगतान नहीं हुआ है। मेरी परेशानी को भी मानवीय पक्ष से देखा जाना चाहिए। सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं भी उपलब्ध मानव संसाधन के लिहाज से बेहतर हैं।
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