अब स्कूलों में भी सुरक्षित नहीं बेटियां, 9 छात्राओं के यौन शोषण मामले में टीचर समेत 5 गिरफ्तार

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तमिलनाडु
सिरुमुगाई/स्वराज टुडे: तमिलनाडु के सिरुमुगाई से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां रूटीन विजिट पर निकले बाल संरक्षण अधिकारी उस समय हैरान रह गए जब उन्होंने पाया कि टीचर द्वारा ही कथित तौर पर 9 छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया गया है.

अधिकारियों के समक्ष छात्राओं ने कर दिया खुलासा

दरअसल, जिला बाल संरक्षण अधिकारियों ने यौन उत्पीड़न और बाल विवाह के बारे में सेमिनार आयोजित करने के लिए अलंगोम्बू सरकारी स्कूल का दौरा किया था. इस दौरान जब स्टूडेंट्स से उन्होंने बातचीत की तो महिला अधिकारी ये जानकर हैरान रह गई कि स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत नटराजन द्वारा कक्षा 7 और 8 की नौ छात्राओं का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था.

प्रिंसिपल को पता था, लेकिन नहीं की शिकायत

बाल संरक्षण अधिकारियों ने बताया कि छात्राओं की क्लास टीचर को आरोपी नटराजन की इन हरकतों के बारे में जानकारी थी. स्कूल प्रिंसिपल की ओर से इस मामले की आंतरिक जांच भी की गई थी. लेकिन किसी ने भी पुलिस को ये शिकायत नहीं दी थी. बाल संरक्षण अधिकारियों ने छात्राओं से बातचीत के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और आगे की जांच जारी है.

महाराष्ट्र के बदलापुर और अकोला में भी ऐसा ही मामला

बता दें कि महाराष्ट्र के बदलापुर में भी दो स्कूली बच्चियों से यौन शोषण का मामला सामने आया था. इसी तरह अकोला में भी स्कूल की छात्राओं के साथ शर्मनाक घटना की खबर सामने आई थी. यहां सरकारी स्कूल का टीचर छात्राओं को अश्लील वीडियो दिखाता था. इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है. आरोप है कि टीचर करीब चार महीनों से ये हरकत कर रहा था. छात्राओं ने बाल कल्याण समिति को कॉल किया और पूरी बात बताई. यह घटना तब सामने आई, जब बदलापुर में दो किंडरगार्टन की बच्चियों के यौन शोषण को लेकर भारी विरोध-प्रदर्शन हो रहा है.

बेटियों की सुरक्षा को लेकर पालक चिंतित

स्कूलों में छात्राओं की सुरक्षा का पूरा जिम्मा विद्यालय प्रबंधन पर होता है लेकिन इन दिनों आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जहां गुरुजनों ने ही छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया है । हैरानी की बात ये है कि ज्यादातर मामलों में स्कूल प्राचार्य ही ऐसे संवेदनशील मामलों को दबाने में लग जाते हैं । वहीं आलम ये है कि ऐसे टीचरों के कारण पूरी टीचर बिरादरी संदेह के घेरे में आ गयी है। अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर पालकों की चिंता साफ देखी जा सकती है ।

अगर यही हाल रहा तो को-एजुकेशन की प्रथा ही बंद करनी पड़ सकती है । पालक अपनी बेटियों को उसी विद्यालय में एडमिशन कराना पसंद करेंगे जहां समस्त स्टाफ महिलाएं ही हों और शाला परिसर में पुरुषों का प्रवेश पूर्णतः वर्जित हो।

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दीपक साहू

संपादक

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