छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए जिला प्रशासन ने 118 अतिथि शिक्षकों की भर्ती की स्वीकृति डेढ़ माह पहले दे दी थी। सत्र शुरू होने से पहले भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा विभाग व प्राचार्यों को दी गई थी।
अतिथि शिक्षकों के मानदेय निर्धारण में देरी की वजह से अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। शिक्षा सत्र की शुरूआत को एक दिन का समय शेष है। विद्यालय में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को शिक्षक की कमी से जूझना पड़ेगा।
नियमानुसार शिक्षा सत्र की शुरूआत 18 जून से की जानी थी, लेकिन तेज धूप को देखते शासन ग्रीष्म अवकाश को 25 जून तक बढ़ा दिया गया। अधिक समय मिलने के बाद भी नए सत्र के लिए स्कूल के पट खुलने को लेकर प्रशासन स्तर पर तैयारी शून्य नजर आ रही है। जर्जर भवन में भविष्य संवारने पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं को इस वर्ष फिर से शिक्षक, गणवेश, खेल सामाग्री, प्रायोगिक सामान, फर्नीचर आदि जैसे संसाधनों की कमी से जूझना पड़ेगा। सरकारी स्कूलों में प्रतिवर्ष 40 से 50 शिक्षक सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
जिस अनुपात में स्कूलों से शिक्षकों की संख्या कम हो रही है उसके अनुरूप नई भर्ती नहीं हो रही। स्कूलों सबसे बड़ी समस्या विषय शिक्षकों की है। प्राथमिक व मिडिल व हाई स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को वैकल्पिक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। कला व वाणिज्य के विषयों को अन्य विषय के शिक्षक तो पढ़ा लेते हैं, लेकिन गणित, रसायन, भौतिक जैसे विषयों को पढ़ाना कला व वाणिज्य के शिक्षकों के लिए असंभव है।
इन्ही समस्याओं को देखते हुए 118 शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय लिया है। वास्तव में जिले के स्कूलों में शिक्षकों के 370 पद रिक्त हैं। बहरहाल अतिथि शिक्षकों की भर्ती तीन स्तर पर की जानी है। प्राचार्य पंचायत स्तर आवेदन लेकर भर्ती करेंगे। आवेदक नहीं मिलने पर जनपद स्तर पर आवेदन मंगाया जाएगा। यहां भी भर्ती नहीं हुई तो जिला स्तर आवेदन लेकर शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
शिक्षकों के लिए वांछित विषय में स्नातकोत्तर व बीएड होना अनिवार्य है। जिला शिक्षा विभाग की ओर से एक जुलाई तक शिक्षकों की भर्ती पूरा करने का दावा किया जा रहा है। इससे पहले भी अतिथि शिक्षकों की भर्ती की गई थी, लेकिन आवेदन के बाद दावात्ति, अंतिम सूची के अलावा प्रतीक्षा सूची जारी करने में माह भर का समय लग जाता है। इस बीच बच्चों को बिना शिक्षक के ही स्कूलों में समय गुजारना होगा।
12,000 रूपये मानदेय पर्याप्त नहीं
अतिथि शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने 12,000 रूपये मानदेय निर्धारित किया है। नियमित शिक्षकों का मानदेय जहां 45 हजार से 60 हजार रूपये है वहीं अतिथि शिक्षकों के लिए वेतन बहुत कम है। गांव में शिक्षक नहीं मिलने पर शहर पर शिक्षा विभाग को भरोसा रहता है। इतने कम वेतन में शहर से गांव जाकर शिक्षक पढ़ाने के बजाए निजी स्कूलों में अध्यापन कराते हैं। शहर में शिक्षकों को ट्यूशन पढ़ाने के अलावा अथवा कोचिंग सेंटर में भी अध्यापन करने के एवज में नियमित शिक्षकों के समान राशि मिल जाती है। अतिथि शिक्षकों की भर्ती तो कर ली जाती है लेकिन उन्हे नियमित मानदेय नहीं दिया जाता। इस वजह से भी अतिथि शिक्षक गांव जाकर बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते।
145 अतिशेष शिक्षक पदस्थ हैं शहर के स्कूलों में
उन्न्यन के हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में अब भी 109 शिक्षकों की कमी बनी हैं। रिक्त पद वाले सभी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल हैं। वहीं शहर में ऐसा एक भी स्कूल नहीं जहां अतिशेष शिक्षक न हो। अपनी सुविधा के लिए शिक्षकों ने ग्रामीण क्षेत्र से शहर में स्वयं को अटैच करा रखा है। जिला शिक्षा विभाग के रिकार्ड के अनुसार 145 अतिशेष शिक्षक हैं, जिन्हे उनके मूल पद में भेजा जाए तो ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ाई की दशा सुधर सकती है। ग्रामीण क्षेत्र में अध्यापन करने वाले शिक्षकों की नजर स्कूल की पढ़ाई पर कम बल्कि वापस लौटने के लिए पहुंचने वाली बस के समय पर अधिक रहती है।
106 प्राथमिक शाला एकल शिक्षक के भरोसे
प्राथमिक शाला में पढ़ाई बच्चों के लिए नींव स्तर के शिक्षा को निर्धारित होता। सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से पढ़ाई कमजोर होने का खामियाजा बच्चों आगामी कक्षाओं तक भुगतना पढ़ता है। जिले में 1526 प्राथमिक शालाओं का संचालन हो रहा है। इनमें 106 स्कूल एकल शिक्षक के दम पर संचालित हो रहे हैं। शिक्षकों की पदोन्नति व सेवानिवृत्ति के कारण विद्यालय शिक्षक विहीन हो रहे हैं। प्राथमिक शाला झोरा, भांठापारा, गांगपुर आदि ऐसे विद्यालय हैं जो बीते वर्ष एकल शिक्षकीय थे। शिक्षकों के पदोन्नति व सेवा निवृत्त होने के बाद ये स्कूल शिक्षक विहीन हो गए हैं। वैकल्पिक शिक्षक के भरोसे स्कूल का संचालन हो रहा है।
आरटीई प्रवेश में व्यस्त शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया में व्यस्त है। नए शिक्षा सत्र में 2,128 सीट के लिए 7,398 आनलाइन आवेदन किया गया। स्क्रूटनी के दौरान 1685 आवेदन अपात्र हो गए। कई अभिभावकों ने दो स्कूलों में आवेदन किया था। पहली लाटरी में 1,995 विद्यार्थियों का चयन हुआ है। 213 सीट अब भी खाली है। अभिभावकों को दो जुलाई को होने वाली दूसरी लाटरी में चयन का इंतजार है। निजी स्कूलों का संचालन शहरी व आसपास के गांवों में ही हो रही है। जबकि ज्यादातर नवप्रवेशी बच्चे सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं। इसके बाद भी स्कूलों संसाधन की उपलब्धता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
फैक्ट फाइल
1526- प्राथमिक शाला
293- निजी स्कूलों का संचालन
52- स्वामी आत्मानंद स्कूलों का संचालन
2,128- आरटीई के सीट
7,398- प्राप्त आवेदन
1,915- बच्चों ने लिया प्रवेश
213- सीट निजी स्कूलाें में अब भी खाली
जिला शिक्षा अधिकारी तामेश्वर प्रसाद ने बताया कि शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों के लिए 118 अस्थाई शिक्षकों की भर्ती की जानी है। प्रक्रिया की जिम्मेदारी प्राचार्यों को दी गई। एक जुलाई से पहले सभी स्कूलों के लिए शिक्षकों की भर्ती पूरी कर ली जाएगी।
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