नई दिल्ली/स्वराज टुडे: लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे. इससे पहले C-Voter के फाउंडर यशवंत देशमुख ने देश के सबसे बड़े राज्य यूपी को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है. UP में क्या दिख रहा है, इस सवाल पर देशमुख ने कहा कि बीएसपी कितना भी गिर जाए लेकिन कांग्रेस से उसका वोट शेयर ज्यादा रहेगा.
बीजेपी ने अलोकप्रिय सांसदों को ही दिया पुनः टिकट
दूसरी चीज बीजेपी के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि यूपी एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी ने किसी भी वर्तमान सांसदों के टिकट नहीं काटे. इसी वजह से बीजेपी का खेल बिगड़ता नजर आ रहा है.
एक इंटरव्यू में यशवंत देशमुख ने कहा कि यूपी में बीजेपी ने पुराने लोगों को टिकट दिया. इनमें से बहुत से अलोकप्रिय सांसद हैं, उन्हें टिकट दे दिया गया है. क्षेत्र की जनता उनके कार्यकाल से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है. टिकट चयन में जो गलतियां हुईं, उससे बीजेपी को यूपी से जैसी जीत की उम्मीद थी, वो मिलती नहीं दिख रही है. ऐसा लोग बता रहे हैं. ये स्थानीय चुनाव हो रहे हैं, इनमें बहुत सारी सीटों पर कड़े मुकाबले की संभावना जताई जा रही है.
C-Voter के फाउंडर ने कहा कि पूरे देश में स्थानीय मुद्दों पर चुनाव नहीं हो रहा है. जहां बीजेपी ने उम्मीदवारों के चयन में गलती की, वहां लोकलाइज इलेक्शन हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा जा रहा है. मोदी के पक्ष या विरोध में वोट कर रहे हैं. जहां टिकट बांटने में बीजेपी से गलती हुई, वहां भी पीएम मोदी के नाम पर टिकट मांगा जा रहा है. विपक्ष इस चुनाव को लोकलाइज करने की कोशिश में जुटी है. विपक्ष को काफी देर में समझ आया कि मोदी को केंद्र में लाकर वे चुनाव नहीं जीत सकते.
उन्होंने कहा कि ये बड़ी सही रणनीति रही विपक्ष की. जब आपने पौने 5 साल तक पीएम मोदी पर आरोप प्रत्यारोप पर राजनीति की. बाद में आपको अहसास हुआ कि लोकलाइज चुनाव करने से ही फायदा होगा. विपक्ष उन सीटों पर लोकलाइज करने में सफल हुई, जहां बीजेपी ने टिकट सही नहीं दिया. ऐसी सीटों पर अब बीजेपी पीएम मोदी के प्रचार से गलती सुधारने की कोशिश कर रही है.
ऐसे में अगर अपने क्षेत्र में स्वयं का कोई जनाधार नहीं होने के बावजूद बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव जीतते हैं तो यही कहा जा सकता है कि मोदी लहर के चलते उनकी नैय्या पार हो गई. और यदि कहीं जनता ने ऐसे निष्क्रिय प्रत्याशियों को खारिज कर दिया तो भाजपा को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है. अब 4 जून को ही स्पष्ट हो सकेगा कि जनता ने पार्टी को देखते हुए मोदी को प्राथमिकता दी या विपक्षी पार्टी के सक्रिय प्रत्याशियों (लोकलाइज) को.
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