
उत्तर प्रदेश
काशी/स्वराज टुडे: वाराणसी. बाबा विश्वनाथ की नगरी में 80 सालों से बंद एक मंदिर को खोला गया. बुधवार को सिद्धेश्वर महादेव के इस मंदिर को दशकों का बाद खोला गया. ये मंदिर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मदनपुरा में है. बंद मंदिर को खोलने के लिए प्रशासन की टीम यहां पहुंची थी. जिसे खुलवाकर इसकी साफ-सफाई कराई गई. इस दौरान मंदिर में एक शिवलिंग मिला.
बताया जा रहा है कि सफाई के दौरान मंदिर के अंदर जो शिवलिंग मिला है वह खंडित है. बता दें कि हिन्दू संगठन ने इस मंदिर को खोलने की मांग की थी. अब मकर संक्रांति के बाद खंडित शिवलिंग की स्थापना की जाएगी. फिलहाल क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात है. मंदिर खुलते ही हर हर महादेव के नारे के साथ भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया.
80 वर्षों से बंद पड़े सिद्धेश्वर महादेव मंदिर को खोला गया
प्राचीन नगरी वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मदनपुरा में स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर बुधवार को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। यह मंदिर पिछले 80 वर्षों से बंद था। भारी पुलिस बल के साथ गई प्रशासन की टीम ने मंदिर को खुलवाकर उसकी सफाई करवाई।
बता दें कि इससे पहले संभल में दशकों से बंद पड़े एक मंदिर को खुलवाया गया था. संभल जिले के दीपा सराय के पास स्थित हनुमान मंदिर को बीते दिसंबर महीने में खुलवाया गया है. ये मंदिर 46 सालों से कब्जे से घिरे रहने के कारण बंद था. जिस प्रशासन की मौजूदगी में कब्जा हटाकर खुलवाया गया है. मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा और एक शिवलिंग मिला है.
कानपुर में भी कब्जे से मुक्त कराया गया मंदिर
इसके बाद बीते 19 दिसंबर को कानपुर के पेंचबाग इलाके में दो शिव मंदिरों को कब्जा मुक्त कराया गया. ये मंदिर लगभग 35 साल पुराना बताया जा रहा है, जिस पर कब्जा कर लिया गया था. सनातन मठ मंदिर रक्षा समिति ने इन मंदिरों के बारे में जानकारी प्राप्त की थी कि वहां अतिक्रमण हो चुका है. जब समिति के पदाधिकारियों ने जांच की तो यह सामने आया कि दोनों मंदिरों को बंद कर दिया गया था और उनके आसपास कब्जा कर लिया गया था. इसके बाद समिति ने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से शिकायत की. पुलिस की मदद से इन मंदिरों से अतिक्रमण हटवाया गया और अब इनका जीर्णोद्वार कर पूजा-अर्चना के लिए तैयार किया जाएगा.
अमेठी में 120 साल से बंद पड़ा था मंदिर
24 दिसंबर को अमेठी में 120 साल पुराना शिव मंदिर मिला. यह मंदिर औरंगाबाद गांव में स्थित है. ग्रामीणों का आरोप है कि कि गैर समुदाय के लोगों ने मंदिर पर कब्जा किया और पिछले 20 वर्षों से पूजा-अर्चना पर रोक लगा रखी थी. इस विवाद को लेकर ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी (एसडीएम) से शिकायत की थी. जिसके बाद तहसीलदार ने जांच शुरू की.
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