छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: चेक बाउंस के मामले में कोरबा की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने बालकोनगर निवासी एक आरोपी को एक वर्ष की कठोर कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है। इस आरोपी ने पंजाब नेशनल बैंक की निहारिका कोसाबाड़ी शाखा को लोन की अदायगी के लिए चेक जारी किया था जो बाउंस हो गया।
बैंक से ऋण लेकर वापस अदायगी करने में लापरवाही का मामला
मिली जानकारी के अनुसार राजेश कुमार महंत पिता बीरादास महंत निवासी साडा कालोनी के पीछे उस्मान खान चाल बालकोनगर ने दिनांक 28 जुलाई 2012 को पंजाब नेशनल बैंक की निहारिका-कोसाबाड़ी स्थित शाखा से 5 लाख 70 हजार रुपए का ऋण लिया था। आरोपी द्वारा ऋण की अदायगी नियमित रूप से नहीं किये जाने पर यह एनपीए की श्रेणी में 7 अप्रैल 2017 को आ गया था। जिस पर ऋण अदायगी के लिए बैंक प्रबंधक द्वारा कहे जाने पर आरोपी द्वारा दिनांक 1 जुलाई 2021 को चेक क्रमांक 147302 रुपए 6 लाख 98 हजार 425 रुपए 35 पैसे का चेक बैंक के नाम पर दिया गया, जो खाते में पर्याप्त रकम नहीं होने के कारण अगले दिन यानि 2 जुलाई 2021 को बाउंस हो गया।
पक्षकार की ओर से अधिवक्ता धनेश सिंह ने की पैरवी
इसकी सूचना आरोपी को बैंक की ओर से लिखित में देते हुए पुनः भुगतान करने का निवेदन किया गया लेकिन आरोपी द्वारा टालमटोल किया जाता रहा और ऋण की अदायगी में कोई रूचि नहीं दिखाई गई जिस पर बैंक की ओर से अधिवक्ता धनेश सिंह के माध्यम से आरोपी महंत को नोटिस जारी किया गया और ऋण का भुगतान तत्काल करने को कहा गया।
लीगल नोटिस का आरोपी ने नही दिया जवाब
अधिवक्ता धनेश सिंह द्वारा लीगल नोटिस दिए जाने के बावजूद जब आरोपी ने ऋण का भुगतान नहीं किया तो इसे प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा की अदालत में वाद दायर करते हुए ले जाया गया जिस पर अदालत ने सुनवाई करते हुए आरोपी को एक वर्ष कठोर कारावास तथा 8 लाख 93 हजार 984 रूपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोपी द्वारा अर्थदंड नहीं दिए जाने पर 6 माह कारावास की पृथक सजा काटनी होगी।
अधिवक्ता धनेश सिंह ने कहा कि अगर चेक जारी करने वाला पैसा देने से इनकार कर देता है या लीगल नोटिस का जवाब नहीं देता है, या फिर किसी भी प्रकार की बातें बना कर समय गुजारने की कोशिश करता है तो आप निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत सिविल कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं। इसके तहत आरोपी को 2 साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। जुर्माने की राशि चेक की राशि का दोगुना हो सकती है। इस मामले में राजीनामा कभी भी किया जा सकता है।
चेक बाउंस के मामले में आप भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 420 के तहत क्रिमिनल केस भी कर सकते हैं। इसके लिए यह साबित करना होता है कि चेक जारी करने वाले का इरादा बेईमानी करने का था। इसके लिए आरोपी को 7 साल की जेल और जुर्माना दोनों हो सकती है।
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