ईरान ने इजरायल पर किया हमला, आर्टिकल 51 को बताया वजह, जानिए क्या है कनेक्शन

- Advertisement -

नई दिल्ली/स्वराज टुडे: देश में चुनाव का माहौल चल रहा है और दुनिया में इस वक्त हलचल मची है। इस बीच ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया है। ईरान ने 300 मिसाइल और ड्रोन से अटैक किया है। कहा जा रहा है कि ये उस हमले की जवाबी कार्रवाई है जो दो हफ्ते पहले इजरायल की तरफ से की गई थी।

1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्वक में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ था। हवाई हमले में दूतावास की पूरी इमारत को तबाह कर दिया गया। कहा जा रहा है कि ईरान के सात बड़े अधिकारी इस हमले में मारे गए हैं। ईरान का आरोप है कि ये हमला इजरायल ने किया। सीरिया इजरायल के बॉर्डर पर है। सीरिया के जरिए ईरान हिज्बुल्ला को हथियार भेजता है।

इजरायल और ईरान के बीच क्यों हुए रिश्ते खराब

इजरायल का ऐसा आरोप रहा है कि सीरिया और इराक में इस्लामिक रिव्यल्यूशनरी गार्ड वहां से कॉर्डिनेट करते हैं। इसलिए वो वहां अलग अलग ठिकानों पर हमले करता है। अक्टूबर 2023 में हमास ने इजरायल पर आतंकी हमला किया। उसके बाद से इजरायली हमलों का संख्या सीरिया और इराक में बढ़ी है। तब ईरान की तरफ से धमकी दी जाती थी कि हम बदला लेंगे। उसने डॉयरेक्ट इजरायली भूमि पर आज तक हमला नहीं किया। 1948 में अरब इजरायल वॉर हुआ और फिर 1956 में स्वेज नहर संकट, 1967 में सिक्स डे वॉर, 1973 का युद्ध लेकिन ईरान कभी इन युद्धों में किसी की तरफ से शामिल नहीं हुआ। 1979 तक तो इजरायल और ईरान दोस्त हुआ करते थे। इस्लामिक क्रांति के बाद दोनों देशों के रिश्ते खराब हुए।

ईरान ने आर्टिकल 51 की दुहाई देकर अटैक को बताया सही

इजरायल पर ईरान की ओर से किए गए हमले के बाद पूरे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया है। ईरान के स्थायी मिशन ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियों गुटेरेस और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष वैनेस फ्रेजियर को पत्र लिखा, जिसमें ईरान ने इजरायल पर हमला करने के पीछे संयुक्त राष्ट्र के अनुच्छेद 51 का हवाला दिया और इसे अपना वैध अधिकार बताया। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के मुताबिक अनुच्छेद 51 में कहा गया है कि यदि संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य के खिलाफ सशस्त्र हमला होता है, तो वर्तमान चार्टर में अंतनिर्हित व्यक्तिगत या सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार को नष्ट नहीं करेगा, जब कि सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय नहीं करती।

अब इजरायल की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी। इजरायल के रिएक्शन पर ही वेस्ट एशिया और पूरी दुनिया की पॉलिटिक्स निर्भर करेगी। पश्चिम एशिया में और अशांति भारत के लिए चिंताजनक है। लेकिन तेहरान और जेरूसलम के मुकाबले में भारत कहां खड़ा है? नई दिल्ली के लिए क्या दांव पर है।

भारत की तात्कालिक चिंताएँ क्या हैं?

इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने पर ईरान ने शनिवार को होर्मुज जलडमरूमध्य के पास एमएससी एरीज़ नामक एक कंटेनर जहाज पर कब्जा कर लिया। इज़रायली-संबद्ध जहाज में चालक दल के 17 भारतीय सदस्य हैं और यह मुंबई में न्हावा शेवा बंदरगाह की ओर जा रहा था। MSC एरीज़ अब ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के नियंत्रण में है। भारतीय दल की सुरक्षा भारत के लिए बड़ी चिंता है। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ईरानी समकक्ष अमीर अब्दुल्लाहियन से बातचीत की है और इस मुद्दे को उठाया है। तेहरान ने जारी किया है कि भारतीय प्रतिनिधियों को जल्द ही एमएससी एरीज़ के भारतीय चालक दल के सदस्यों से मिलने की अनुमति दी जाएगी। ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से कहा है कि तेहरान जल्द ही भारत सरकार के अधिकारियों को मालवाहक जहाज एमएससी एरीज़ पर सवार 17 भारतीय चालक दल के सदस्यों से मिलने की अनुमति देगा, जिसे ईरानी सेना ने होर्मुज जलडमरूमध्य के पास जब्त कर लिया था। ईरानी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, जयशंकर ने अपने ईरानी समकक्ष के साथ फोन पर एमएससी एरीज़ पर 17 भारतीय चालक दल के सदस्यों की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की और इस संबंध में तेहरान से सहायता का अनुरोध किया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इज़राइल में भारत का लगभग 97,467 बड़ा प्रवासी है। देश में 18,000 से अधिक भारतीय काम करते हैं, जिनमें से कई देखभालकर्ता और कृषि श्रमिक हैं। अधिक भारतीयों के यात्रा करने की उम्मीद है क्योंकि दोनों देशों ने निर्माण श्रमिकों के रूप में नियोजित करने के लिए 1,500 नागरिकों को यहूदी राष्ट्र में ले जाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2 अप्रैल को पहला जत्था भेजा था, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में आने तक दूसरा जत्था नहीं भेजने का फैसला किया है।

ईरान और इजराइल के साथ कैसे हैं भारत के रिश्ते?

भारत किसी का पक्ष नहीं ले सकता और उसे एक बार फिर कूटनीतिक राह पर चलने की जरूरत है। नई दिल्ली के ईरान और इजराइल दोनों के साथ रणनीतिक संबंध हैं। ईरान एक पुराना साझेदार है और दोनों ने वर्षों से अपने संबंध बनाए रखे हैं। तेहरान भारत के कच्चे तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा है लेकिन यह पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित हुआ है। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है और यह महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान भारतीय सामानों को भूमि पारगमन की अनुमति नहीं देता है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आतंकवाद, अल्पसंख्यकों के साथ तालिबान का व्यवहार और काबुल में सरकार नई दिल्ली और तेहरान दोनों को चिंतित करती है।

भारत के इज़राइल के साथ रणनीतिक संबंध भी हैं, खासकर जब रक्षा और सुरक्षा की बात आती है। नई दिल्ली देश से सैन्य उपकरणों का शीर्ष खरीदार है और इज़राइल ने गोला-बारूद प्रदान करके कारगिल युद्ध में भारत का समर्थन किया था। भारत-इज़राइल व्यापार संबंध मजबूत हुए हैं और व्यापार लगभग 7.5 बिलियन डॉलर का है। भारत और इज़राइल दोनों की आतंकवाद के बारे में समान चिंताएँ हैं, जिन्हें 26/11 के हमलों के दौरान बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था।

ईरान-इज़राइल तनाव बढ़ने से भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

पश्चिम एशिया में व्यापक संघर्ष भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। देश अपना 80 प्रतिशत कच्चा तेल इसी क्षेत्र से आयात करता है। वृद्धि की स्थिति में, पश्चिम एशिया से तेल की आपूर्ति प्रभावित होने की संभावना है और इससे कीमतों में वृद्धि होगी। यदि कीमतें लंबी अवधि तक ऊंची रहती हैं, तो इससे मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है। मौजूदा स्थिति ऐसी है कि मुद्रास्फीति नीचे की ओर जा रही है और चालू खाता घाटा प्रबंधनीय है। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने मनीकंट्रोल के हवाले से कहा कि अर्थव्यवस्था कुछ समय तक इसे झेलने में सक्षम रहेगी। हालाँकि, अगर यह लंबे समय तक जारी रहता है, तो इसका असर मुद्रास्फीति और चालू खाते दोनों पर पड़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी और मौद्रिक सहजता में देरी हो सकती है।

भारत की प्रमुख अरब देशों, ईरान और इज़राइल के साथ रणनीतिक साझेदारी है। पश्चिम एशिया में इसके हित अब तेल आयात और श्रम निर्यात तक ही सीमित नहीं हैं। अरब देश भारत के आर्थिक और राजनीतिक साझेदार हैं और एक व्यापक संघर्ष उन्हें इसमें शामिल कर सकता है। भारत अस्थिर क्षेत्र में सभी हितधारकों के साथ काम कर रहा है और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे पर जोर दे रहा है। इससे नई दिल्ली को रणनीतिक और आर्थिक लाभ होगा। लेकिन संभावित व्यापक संघर्ष भविष्य की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।

यह भी पढ़ें: रेलवे में निकली बंपर भर्ती ! आरपीएफ कांस्टेबल व एसआई के 4660 पदों पर वैकेंसी, जानिए आवेदन की अंतिम तिथि

यह भी पढ़ें: 6 महिलाओं समेत 26 इनामी नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, लोन वर्राटू के तहत हुई घर वापसी

यह भी पढ़ें: आखिर क्यों सलमान खान की जान लेना चाहता है लॉरेंस बिश्नोई ? दुश्मनी की वजह जान चौंक जाएंगे आप 

दीपक साहू

संपादक

- Advertisement -

Must Read

- Advertisement -
506FansLike
50FollowersFollow
873SubscribersSubscribe

राशिफल 27 जुलाई 2024: जानिए कैसा रहेगा आपका आज का दिन

आज का राशिफल: शनिवार 27 जुलाई का दिन कुंभ सहित मिथुन और तुला राशि के लिए लाभकारी और सुखद रहेगा। दरअसल आज चंद्रमा मीन...

Related News

- Advertisement -