चुनाव के वक़्त घर-घर दारू मुर्गा और नोट पहुंचाने वाले नेताओं और उनके समर्थकों के पास घर घर राष्ट्रीय ध्वज पहुंचाने का वक़्त नहीं, हर घर तिरंगा कितना सफल !!!

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: भारत देश आज आजादी के 75 वी वर्षगांठ मना रहा है। वहीं केंद्र सरकार के आह्वान पर 11 अगस्त से 17 अगस्त तक आजादी का अमृत महोत्सव की  हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत की गई है जिसमें लोगों से अपने घर की छत पर तिरंगा लगाने की अपील की जा रही है।

हर घर तिरंगा अभियान का उद्देश्य है लोगों में देशभक्ति जगाना

प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल इस अभियान से जन-जन को जोडने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देशित भी कर चुके हैं । बता दें कि इस अभियान का उद्देश्य लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जागृत करना और तिरंगे के महत्व के विषय में जागरूक करना है। केंद्र व राज्य सरकार के इस अभियान से पोस्ट ऑफिस एवं महिला स्व सहायता समूह के द्वारा झंडे का निर्माण करके बिक्री कर रहे हैं।

पोस्ट ऑफिस में 25 रु तो बाजार में मनमाने कीमत पर बिक रहे हैं झंडे

 

अवसर का लाभ उठाने में लोग पीछे नहीं रहते । चाहे हम कोरोना काल में दवाइयों और दैनिक जरूरतों की चीजों की बात करें या फिर हर घर तिरंगा अभियान में झंडे की बिक्री की । जहाँ पोस्ट ऑफिस में पॉलिस्टर कपड़े से बने झंडे की कीमत 25 रु रखी गई है, वहीं पॉलिस्टर कपड़े से बना झंडा मार्केट में दुकानदारों द्वारा 50 से डेढ़ सौ की कीमत में बेचा जा रहा है ।

कोरबा जिले में पिछले 6 अगस्त से पोस्ट ऑफिस में झंडे की बिक्री बंद हो गई है,जिसके बाद दुकानदारों ने ग्राहकों की देश भक्ति पूर्ण भावनाओं का फायदा उठाते हुए राष्ट्रीय ध्वज को भी ज्यादा मुनाफा कमाने का माध्यम बना लिया है।  ₹25कीमत के झंडे 50 से 150 रू में बेचे जा रहे हैं वही खादी से बने झंडे 400 ₹500 रुपए में बेचे जा रहे हैं और झंडे की कमी के कारण आमजन ज्यादा रेट में झंडे खरीदने को मजबूर है ।

राष्ट्रीय झंडे पर हावी राजनीतिक पार्टी के झंडे

सोशल मीडिया के जरिए लोग राजनीतिक दलों पर तंज भी कसने लगे हैं कि राजनीतिक पार्टी के झंडे होते तो हर हाथ में फ्री में पकड़ा दिए जाते लेकिन यहां तो राष्ट्रीय झंडा के वितरण का सवाल है जिसमें किसी को कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलने वाला । इससे स्पष्ट होता है कि नेताओं की नजर में राजनीतिक पार्टी के झंडे ज्यादा महत्वपूर्ण है ।

वितरण के लिए प्राप्त राष्ट्रीय झंडा चिन्हित लोगों को बांटे गए

वितरण हेतु  राष्ट्रीय झंडे की जो खेप आयी उसे जनप्रतिनिधियों ने भी चेहरे देखकर बांटे हैं।  वही चुनाव के समय घर घर दारू और पैसा सहित अन्य सामग्रियां अपने नाम और फोटो छपे थैलों में भरकर बांटने वाले नेता और उनके समर्थक आज झंडा पहुंचाने आम नागरिकों तक नहीं पहुंचा पाए हैं। यही वजह है कि अधिकांश लोगों के घरों की छतों पर तिरंगा नजर नहीं आ रहा है ।

 

दीपक साहू

संपादक

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