SDM ज्योति मौर्य से भी बड़ी है इस सहायक प्राध्यापिका की बेवफाई की दास्तां, जीवन खत्म हो जाने के बाद भी आरक्षक पति को नहीं मिला न्याय, पढ़िए रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: बेमेतरा में पदस्थ पुलिस आरक्षक उमाकांत राठौर ने दर्री स्थित अपने घर पर 19 सितंबर 2020 को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी लेकिन उस बदनसीब को आज तक न्याय नहीं मिल सका है ।

इससे पहले कि हम आरक्षक उमाकांत राठौर के कष्टमय वैवाहिक जीवन के बारे में आपको बताएं हम आपको उसके पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बता दें । सीएसईबी कर्मचारी लक्ष्मीचंद राठौर दर्री के आवासीय परिसर में अपनी पत्नी और 4 पुत्रों के साथ बहुत ही सुखमय जीवन यापन कर रहे थे । उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपने चारों पुत्रों को उच्च शिक्षा देकर काबिल इंसान बनाया । ईश्वर की कृपा ये रही कि चारों पुत्रों की अच्छी नौकरी लग गई । बड़े उत्साह के साथ उन्होंने एक एक करके अपने सभी बेटों का विवाह संपन्न कराया।

उमाकांत ने किया था प्रेम विवाह

तीसरे नंबर का पुत्र उमाकांत राठौर भी पुलिस विभाग में आरक्षक था । लेकिन उमाकांत का स्कूल लाइफ से ही अपनी क्लासमेट एक छात्रा से प्रेम संबंध था । पुलिस विभाग में नौकरी लग जाने के बाद जब उमाकांत ने अपने घर में अपनी प्रेमिका से शादी की बात की तो पहले घरवाले तैयार नहीं हुए क्योंकि दोनों अलग अलग समाज के थे लेकिन उमाकांत की जिद और उसकी खुशी के खातिर घरवालों ने सहमति दे दी । फिर दोनों परिवारों की सहमति से साल 2007 में उन दोनों का विवाह बड़े धूमधाम से संपन्न कराया गया।

विवाह के बाद उमाकांत ने अपनी पत्नी को दिलाई उच्च शिक्षा

उमाकांत के बताए अनुसार उसने अपनी पत्नी को अपने खर्चे पर B.Ed, M.Ed और M.phil कराया । उसका कहना था कि वो आरक्षक है तो उसके लिए और आगे पढ़ाई कर पाना संभव नहीं था लेकिन पत्नी की पढ़ाई में वो पूरी मदद करेगा ताकि वो अच्छी नौकरी हासिल कर सके । फिर पढ़ाई पूरी होने के बाद उसकी पत्नी का कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा में बतौर सहायक प्राध्यापिका नौकरी लग गई । चूंकि उमाकांत की पोस्टिंग बेमेतरा जिले में थी इसलिए उसने कमला नेहरू महाविद्यालय से नौकरी छुड़वाकर अपने जिले के समृद्धि कॉलेज में बतौर वाइस प्रिंसिपल की नौकरी लगवा दी । लेकिन कुछ समय तक वहां नौकरी करने के बाद उसकी पत्नी बेमेतरा छोड़कर  कोरबा आ गई और फिर से कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा में बीएड विभाग में बतौर सहायक प्राध्यापिका ज्वाइन कर ली ।

उमाकांत ने पत्नी के प्रेम संबंधों का किया खुलासा

उमाकांत के मुताबिक पत्नी की नौकरी लगने के बाद उसके व्यवहार में काफी परिवर्तन आ गया था। उसने खुलासा करते हुए कहा उसकी पत्नी जब कमला नेहरू महाविद्यालय में ही एमएससी की पढ़ाई कर रही थी तभी उसका अपने ही प्रोफेसर से प्रेम संबंध स्थापित हो गया था।  यह बात उस प्रोफ़ेसर ने उसे खुद बताई थी लेकिन उसे प्रोफेसर की बात पर यकीन नहीं हुआ और उमाकांत की प्रेमिका ने भी उसे भरोसा दिलाया कि वो केवल उससे ही प्यार करती है और उसी से शादी करेगी । तभी उसने अपनी प्रेमिका से विवाह किया था । लेकिन उसकी पत्नी और उस प्रोफेसर के बीच प्रेम संबंध शादी के बाद भी जारी रहा ।

पत्नी के व्यवहार से छीन गई परिवार की सुख शांति

उमाकांत से मिली जानकारी के मुताबिक पत्नी के कमला नेहरू कॉलेज ज्वाइन करने के बाद उनके बीच दूरियां काफी बढ़ गई थी । उसकी पत्नी दर्री स्थित ना अपने मायके में रहती थी ना ससुराल में बल्कि कमला नेहरू कॉलेज के पास ही किराए के मकान में अकेली रहने लगी थी । एक नवब्याहता का अकेले रहना कई संदेहों को जन्म दे रहा था । इसके कारण दोनों के बीच आए दिन झगड़े होने लगे । उसकी पत्नी ही उसे मां बहन की गंदी गंदी गालियां देती और उसकी बेरहमी से पिटाई कर देती। उसके शरीर में कई जगहों पर वो दांतों से काट लेती । पत्नी खुद ही उसके साथ मारपीट करती और अपने कपड़े फाड़कर अपने आप को चोट  पहुंचा कर खुद ही पुलिस थाने शिकायत दर्ज कराने पहुंच जाती । इससे उसका जीवन नारकीय हो गया था।

उमाकांत के मुताबिक अपने प्रेम संबंधों के कारण ही वो बेमेतरा में उसके साथ रहने की बजाय कोरबा में ही रहती थी। हालांकि उसने और उसके परिवार वालों ने पत्नी को मनाने की अनेकों बार कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी ।

पत्नी ने दर्ज कराया दहेज का झूठा केस

उमाकांत ने बताया कि बेमेतरा का दो मंजिला मकान, 35 तोला सोना और लगभग 2 किलो चांदी के जेवरात उसने पत्नी को दे दिया । बावजूद इसके उसने मेरे, मेरे माता पिता और भाइयों भाभियों के विरुद्ध दहेज का झूठा मामला दर्ज कराकर पूरे परिवार को खून के आंसू रुलाया।

बेटे के प्यार से भी कर दिया वंचित

साल 2014 से उसकी पत्नी अपने माता पिता के पास रह रही है ।उनका एक ही बेटा है लेकिन पत्नी ने बेटे के प्यार से भी उसे वंचित कर दिया । उसे अपने ही बेटे से कभी मिलने नहीं दिया । वो चाहता तो वो भी अपनी पत्नी के खिलाफ प्रताड़ना का केस दर्ज करा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि वो अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और किसी भी तरह से उसके लिए परेशानी खड़ी करना नहीं चाहता था।

इंस्पेक्टर बन जाने के बाद लौटने की पत्नी ने रखी थी शर्त

उमाकांत के पिता लक्ष्मीचंद राठौर ने बताया कि जब वे लोग बहु को मनाने उसके घर गए थे तो उसने अपने पिता दिलीप साव और माता श्रीमती रूखमणी साव के सामने ही शर्त रखी कि जिस दिन उसका आरक्षक पति तीन स्टार हासिल करके इंस्पेक्टर बन जायेगा उसी दिन वो ससुराल लौटेगी ।

उमाकांत ने की खुदकुशी की कोशिश

भले ही उमाकांत पुलिस विभाग में आरक्षक था लेकिन उसकी पत्नी खुशबू राठौर ने पूरे परिवार की हालत खराब करके रख दी थी । जानकारी के मुताबिक अपना सबकुछ समर्पित कर देने के बाद भी अपनी पत्नी से प्रताड़ित उमाकांत ने दर्री लाल मैदान में फिनायल पीकर जान देने की कोशिश की थी लेकिन वक्त रहते उपचार मिल जाने से उसकी जान बच गई। उधर घटना की जानकारी जब पत्नी को दी गई तो वह अस्पताल की ओर रुख करने की बजाय अपनी मां के साथ कोतवाली पहुंच गई ताकि उस पर किसी तरह का कोई आरोप ना लगे । बाद में उसने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी लगा दी।

19 सितंबर 2020 को उमाकांत ने दुनिया को कह दिया अलविदा

अपने बच्चे के भविष्य और परिवार की कुशलता के लिए उमाकांत अपनी पत्नी की सारी गलतियों को माफ करने के लिए तैयार था। वह चाहता था कि उसकी पत्नी भी अपने और बेटे के भविष्य के खातिर लौट आए और परिवार की जिम्मेदारियों को संभाल ले। ससुराल में रहकर उसके माता पिता की सेवा करे या फिर बेमेतरा में उसके साथ रहे,  लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2019 में तलाक हो जाने के बाद दोनों पति पत्नी का संबंध पूरी तरह समाप्त हो गया । पत्नी के इस विश्वासघात से उमाकांत इतनी बुरी तरह टूट गया कि वह अपने आप को शराब में डूबो लिया । डिप्रेशन की वजह से वो ठीक से नौकरी भी नहीं कर पाता था। आखिर में 19 सितंबर 2020 को उसने अपने घर पर फांसी लगा ली ।

मुखाग्नि और पिंडदान करने के लिए भी बेटे को नहीं भेजा

उमाकांत द्वारा खुदकुशी कर लिए जाने की सूचना जब उसकी पत्नी को दी गई और उससे निवेदन भी किया गया कि कम से कम उसके बेटे के हाथों उसके पिता का पिंडदान एवं मुखाग्नि संस्कार करवाने उसे दर्री भेज दें । लेकिन पत्नी इसके लिए भी तैयार नहीं हुई । अंतिम संस्कार से लेकर दशगात्र तक ना खुद ससुराल आई ना उसने अपने बेटे को भेजा ।

बेटे की मौत के सदमे में पिता भी चल बसे

उमाकांत को सबकुछ भूलकर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करने के लिए उसके माता पिता और भाइयों के अलावा उसके दोस्तों ने भी काफी समझाया था। लेकिन किसी को यकीन नहीं था कि उमाकांत इस तरह आत्मघाती कदम उठा लेगा। उमाकांत के निधन से उसके पिता लक्ष्मीचंद राठौर काफी सदमे में आ गए और दशगात्र के कुछ दिनों बाद ही हृदयाघात से वह भी चल बसे ।

दहेज प्रताड़ना का मामला आज भी न्यायालय में है लंबित

अपने परिजनों की इच्छा के विरुद्ध जाकर जिस महिला से उमाकांत ने प्रेम विवाह किया था उसी के चलते आज उसका परिवार बिखर कर रह गया है। ना पति रहा ना ससुर लेकिन दहेज का झूठा प्रकरण आज भी न्यायालय में लंबित है और परिवार बेवजह पेशी काटने को मजबूर है। जिस परिवार में खुशियों की बयार बहती थी, बच्चों की किलकारियों से घर रोशन हुआ करता था वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ है । भाई और पिता को गुजरे भले ही आज 2 साल से ज्यादा हो गए लेकिन उनकी कमी से आज भी उनका परिवार उबर नहीं सका है ।

कमला नेहरू महाविद्यालय में भी विवाद की जड़ बन गई है उमाकांत की पत्नी

बता दें कि दिवंगत उमाकांत राठौर की तलाकशुदा पत्नी खुशबू राठौर कमला नेहरू महाविद्यालय में पदस्थ वही सहायक प्राध्यापिका है जिसके विरुद्ध लड़ाई झगड़ा, गाली गलौच, मारपीट समेत छात्रों और प्राध्यापकों को प्रेमजाल में फंसाकर उनका शोषण कर उनकी गृहस्थी को बर्बाद करने की शिकायत महाविद्यालय , महिला आयोग और सिटी कोतवाली में दर्ज है।

उमाकांत की पत्नी के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहता ससुराल पक्ष

ये तो आरक्षक उमाकांत के परिवार वालों की महानता है कि वो सब कुछ जानते समझते हुए भी आज तक चुप हैं और उसकी पत्नी के खिलाफ पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराना नहीं चाहते क्योंकि उस पर कानूनी कार्रवाई करवाने से परिवार की दो जिंदगियां वापस लौट कर तो आने वाली नहीं है । दूसरी महत्वपूर्ण बात ये भी है कि उस पर अगर कार्रवाई हुई तो इसका सीधा असर उमाकांत के बेटे पर पड़ेगा ,जो वे लोग बिलकुल नहीं चाहते । मानवीय संवेदना दिखाते हुए ससुराल पक्ष ने उमाकांत के निधन से पुलिस विभाग द्वारा प्राप्त अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन उसके बेटे के नाम भरवा दिया है ताकि उसका भविष्य सुरक्षित हो ।

आपको बता दें कि दिवंगत उमाकांत और उसके पिताजी ने जीवित रहते अपनी जो भी समस्याएं और पीड़ा बताई थी उसकी ऑडियो क्लिप स्वराज टुडे न्यूज के पास उपलब्ध है ।

यह भी पढ़ें: डैमेज कंट्रोल में जुटा कमला नेहरू महाविद्यालय प्रबंधन, प्रेसवार्ता आयोजित कर गिनाई कॉलेज की उपलब्धियां…लेकिन समस्याएं जस की तस

दीपक साहू

संपादक

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