श्रीनगर/स्वराज टुडे: : जेल में बंद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक के घर समेत कुल 9 स्थानों की तलाशी ली गई। टीम ने मंगलवार सुबह श्रीनगर में कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की।
सरला भट्ट दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले की रहने वाली थी। वो शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान श्रीनगर नगर में बतौर नर्स काम करती थी। उनको अप्रैल 1990 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकियों ने अगवा किया था।
क्या है सरला भट्ट हत्याकांड?
सरला भट्ट अनंतनाग जिले की रहने वाली थीं और सौरा स्थित शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (SKIMS) में नर्स थीं। 14 अप्रैल 1990 को आतंकवाद के चरम पर JKLF से जुड़े आतंकियों ने SKIMS के हब्बा खातून छात्रावास से उनका अपहरण कर लिया। जांच अधिकारियों के अनुसार, सरला भट्ट को अगवा करने के बाद कई दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म और शारीरिक यातनाएं दी गईं। 19 अप्रैल 1990 को श्रीनगर के मल्लाबाग स्थित उमर कॉलोनी में गोलियों से छलनी और क्षत-विक्षत हालत में उनका शव मिला।
शव के पास मिला था धमकी भरा नोट
मौके से मिले एक नोट में सरला भट्ट को पुलिस मुखबिर बताया गया था। यह आरोप उन पर लगाया गया था कि उन्होंने कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने या सरकारी नौकरी छोड़ने के उग्रवादी आदेशों की अनदेखी की थी। इस हत्याकांड में नए सिरे से साक्ष्य जुटाने के लिए SIA ने पुलिस और सीआरपीएफ के साथ संयुक्त छापेमारी की। श्रीनगर में मारे गए इन छापों में JKLF के 9 पूर्व कमांडरों के घर शामिल हैं, जिनमें यासीन मलिक का आवास भी है।
एक बार फिर सुर्खियों में आया मामला
SIA का कहना है कि छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल सबूत जुटाए गए हैं, जो मामले को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। एजेंसी का मकसद 1990 में हुए इस जघन्य अपराध के पीछे की पूरी साजिश का खुलासा करना है।
आपको बता दें कि लंबे समय तक इस केस की फाइल धूल फांकती रही लेकिन हाल में केंद्र सरकार के निर्देश पर इस पुराने आतंकी मामलों को फिर से खोला गया। इसी सिलसिले में सरला भट्ट केस एक बार फिर जांच के दायरे में आ गया। इस समय यासीन मलिक तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। 2017 में दर्ज हुए टेरर फंडिंग केस में एनआईए कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया था।
खूंखार आतंकी को UPA सरकार ने दिया था गेस्ट ऑफ ऑनर का सम्मान
सोशल मीडिय पर वायरल यह तस्वीर 17 फरवरी 2006 की है। कश्मीर को लेकर अलगाववादी नेतां, कश्मीर के अन्य नेताओं और संगठनों के साथ राउंड टेबल टॉक से पहले उन्होंने जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासिन मलिक से मुलाकात की थी। गेटी इमेजेज पर यह तस्वीर उपलब्ध है। UPA की सरकार में उसे Y+ श्रेणी की सुरक्षा भी प्रदान की गई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यासीन मलिक को पीएम आवास पर बुलाया था। इस मुलाकात के दौरान मनमोहन सिंह यासीन मलिक से गर्मजोशी से मिले थे। पीएम आवास से निकलकर उसने मीडिया से बात भी की थी। 2019 में मोदी सरकार ने यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया। उसे 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था। यासीन के साथ कई अन्य अलगाववादी नेताओं पर भी टेरर फंडिंग का शिकंजा कसा गया।
ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर केंद्र में मोदी की सरकार नहीं आयी होती तो यही खूंखार आतंकी यासीन मलिक UPA सरकार में ना केवल बहुत बड़े ओहदे पर होता बल्कि खुलेआम शाही मेहमान बनने का लुत्फ उठा रहा होता।
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