लो जी किरायेदारों की हो गई बल्ले-बल्ले, रेंट पर रहना हुआ और आसान, जानें सरकार का नया नियम

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे: देश में किराये के घरों कमर्शियल स्पेस की मांग लगातार बढ़ रही है. ऐसे माहौल में सरकार ने न्यू रेंट एग्रीमेंट 2025 लागू किया है, जिसका मकसद किराये की प्रक्रिया को आसान, पारदर्शी विवाद-मुक्त बनाना है.

यह नियम मॉडल टेनेन्सी एक्ट (MTA) हालिया बजट प्रावधानों के आधार पर तैयार किए गए हैं, ताकि पूरे देश में एक समान भरोसेमंद किराया व्यवस्था बनाई जा सके.

लगेगा पांच हजार का जुर्माना

सरकार का सबसे बड़ा जोर अब किराया समझौते की अनिवार्य रजिस्ट्री पर है. नए नियमों के तहत कोई भी रेंट एग्रीमेंट साइन होने के दो महीने के भीतर रजिस्टर्ड होना जरूरी होगा. इसके लिए किरायेदार मकान मालिक दोनों ऑनलाइन राज्य सरकार के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पोर्टल का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर नजदीकी रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्री करा सकते है. अगर यह प्रक्रिया तय समय में पूरी नहीं की गई, तो ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाएगा.

किरायेदारों के लिए क्या बदला?

1. अनिवार्य रजिस्ट्री

अब मौखिक या अनौपचारिक कॉन्ट्रैक्ट चल नहीं पाएगा. रजिस्टर्ड एग्रीमेंट होने से किरायेदार के अधिकार भी मजबूत होंगे गलतफहमियों की गुंजाइश कम होगी.

2. सिक्योरिटी डिपॉजिट पर सीमा

सबसे बड़ा राहत भरा कदम अब सिक्योरिटी डिपॉजिट पर कैप लगा दिया गया है. रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी पर केवल 2 महीने का किराया. कमर्शियल प्रॉपर्टी पर 6 महीने का किराया. इससे किरायेदारों पर शुरुआती वित्तीय बोझ काफी घटेगा

3. तय नियमों के तहत ही किराया वृद्धि

अब मनमानी बढ़ोतरी नहीं होगी. किराया सिर्फ तय नियमों के अनुसार बढ़ाया जा सकेगा मकान मालिक को पहले से लिखित सूचना देनी होगी. इससे किरायेदार को प्लानिंग का समय मिलेगा.

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4. निष्पक्ष बेदखली प्रक्रिया

किरायेदार को अचानक घर खाली करने के लिए नहीं कहा जा सकेगा. नए एक्ट में बेदखली के नियम साफ-साफ लिखे गए हैं ताकि दोनों पक्षों के हित सुरक्षित रहें.

5. 60 दिनों में विवाद का निपटारा

किरायेदार-मकान मालिक के बीच विवाद लंबे समय तक फंसे न रहें, इसके लिए स्पेशल रेंट कोर्ट रेंट ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं. इनका लक्ष्य है कि हर केस 60 दिनों के भीतर निपटा दिया जाए.

न्यू रेंट एग्रीमेंट 2025 का उद्देश्य एक ऐसा वातावरण बनाना है, जहां किरायेदार और मकान मालिक दोनों सुरक्षित महसूस करें. स्पष्ट नियम, सीमित डिपॉजिट, तय किराया वृद्धि तेज़ न्याय व्यवस्था. ये सभी प्रावधान भारत के बढ़ते किराया बाजार को अधिक संगठित विश्वसनीय बनाने की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं.

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दीपक साहू

संपादक

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