IIT में सिलेक्ट हुआ अतुल, नहीं कर पाया 17500 रुपए फीस का बंदोबस्त; आखिरी 15 मिनट में चली गई थी सीट, फिर ऐसे चमक उठी किस्मत

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उत्तर प्रदेश
मुजफ्फरनगर/स्वराज टुडे: आईआईटी में सिलेक्ट होने का सपना हर साल लाखों छात्र देखते हैं, लेकिन एडमिशन मिलने का सौभाग्य हजारों को ही मिल पाता है. ऐसे में अगर किसी छात्र का एडमिशन हो जाए लेकिन वह फॉर्म भरने के लिए फीस ही इकट्ठा न कर पाए तो उसका क्या होगा?

जी हां मजबूरी भी ऐसी चीज है जो इंसान को सबसे ज्यादा जरूरत के वक्त तड़पाती है. ऐसा ही कुछ यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले अतुल कुमार के साथ हुआ. हालांकि अतुल ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार लड़ाई लड़कर आखिरकार बहुत बड़ी जंग जीत ली है. आखिर क्या है पूरा मामला खुद अतुल की जुबानी पढ़िए…

मुजफ्फरनगर के खतौली थाना क्षेत्र के टिटोड़ा गांव के रहने वाले अतुल कुमार बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उन्होंने दिन रात मेहनत करने के बाद आईआईटी क्वालीफाई किया. उन्हें आईआईटी की 17500 रुपये फीस भरनी थी. इतनी बड़ी उपलब्धि उनके परिवार के सामने एक दुविधा की तरह आई. दुविधा इसलिए क्योंकि एक तरह तो बच्चे के एडमिशन की खुशी पूरे परिवार में छाई थी दूसरे गरीबी का जंजाल उन्हें फीस इकट्ठा भी नहीं करने दे रहा था. जैसे-तैसे उनके परिवार ने लास्ट डेट से पहले पैसे इकट्ठे कर लिए लेकिन वेबसाइट ही बंद हो गई. इसके बाद आईआईटी ने उनके लिए रास्ते बंद कर दिया.

साहस और सूझबूझ से मिली सीट

अतुल कुमार पढ़ने में तो होशियार हैं ही वह बेहद साहसी भी हैं. इस होनहार छात्र ने हार नहीं मानी और कोर्ट का दरवाजा खटखटकाया. अतुल पहले झारखंड हाई कोर्ट गए, इसके बाद मद्रास हाई कोर्ट गए और बाद में सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया. अतुल बताते हैं कि उन्हें आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की सीट अलॉट हुई थी. फीस भरने की आखिरी तारीख 24 जून थी. उनके माता-पिता आखिर दिन तक पैसे इकट्ठे नहीं कर पाए. लास्ट डेट के दिन शाम करीब 4.45 बजे उनके घरवालों ने पैसों का इंतजाम कर लिया. पैसों का इंतजाम करने के बाद जैसे ही उन्होंने फॉर्म भरने की कोशिश की वैसे ही वेबसाइट बंद हो गई.

SC से मिला न्याय

अतुल ने बताया कि डेडलाइन 5 बजे की थी लेकिन उससे पहले ही वेबसाइट ने काम करना बंद कर दिया था. वह बार-बार बैकिंग डिटेल डाल रहे थे इसके बाद भी कुछ नहीं हो पा रहा था. सीट अलॉट होने के बाद भी फीस नहीं भर पाने की वजह से उनकी सीट कैंसिल हो गई थी. अतुल ने बताया कि वह दुखी हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हाई कोर्ट का रुख किया. इसके बाद झारखंड हाई कोर्ट का रुख किया. इसके बाद अतुल ने जंग जारी रखी और मद्रास हाई कोर्ट चले गए. जहां पर 24 सितंबर को सुनवाई हुई. अतुल ने बताया कि वहां जस्टिस ने उनसे कहा था कि उनकी पूरी मदद की जाएगी. आखिर में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आदेश दिया है कि अतुल को धनबाद आईआईटी में अपनी सीट फिर से मिलेगी.

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दीपक साहू

संपादक

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