एविल इंजेक्शन बना नशे का नया जरिया, मेडिकल दुकानों पर धड़ल्ले से बिक रहा इंजेक्शन,किशोरों की जिंदगी को डुबो रहा जहर

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बिहार
मुरलीगंज/स्वराज टुडे: नशेबाज नशाखोरी का कोई न कोई तरीका निकाल ही लेते हैं. कोरेक्स, बोनफिक्स, आयोडेक्स, हिमगंगे तेल और सॉल्यूशन जैसी चीजें अब पुरानी हो गयी है. अब बिहार के मुरलीगंज में नशे का नया खतरनाक ट्रेंड देखने को मिल रहा है.

दवा दुकानों में आसानी से उपलब्ध है इंजेक्शन

जानकारी के मुताबिक मुरलीगंज नगर पंचायत क्षेत्र में नशे का एक खतरनाक ट्रेंड तेजी से उभर रहा है. एलर्जी के इलाज में उपयोग होने वाला ‘एविल इंजेक्शन’ (फेनिरामाइन मैलेट) अब युवाओं और किशोरों के बीच नशे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है.

हैरान करने वाली बात यह है कि यह दवा मेडिकल दुकानों पर डॉक्टर की पर्ची के बिना भी आसानी से उपलब्ध है.

10 से 20 वर्ष के किशोर कर रहे IV के जरिए सेवन

डॉक्टर राजेश कुमार के मुताबिक, किशोर इसे बुप्रेनोर्फिन जैसी मादक दवाओं के साथ मिलाकर IV (इंट्रावीनस) रूप में ले रहे हैं. यह सीधे दिमाग को प्रभावित करता है. कई मामलों में इससे भ्रम, तेज बुखार, दिल की धड़कन तेज होना, और मांसपेशियों का क्षरण तक हो चुका है.

इंजेक्शन के साथ कोडीन सिरप व अन्य नशे की सामग्री बरामद

हाल ही में वार्ड नंबर नौ में चोरी की घटना के बाद एक सर्विस दुकान से एविल इंजेक्शन और सिरिंज के खाली वायल बरामद हुए. इससे यह साफ हुआ कि यह इंजेक्शन नशे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

हर कोने में बिक रहा नशा, प्रशासन मौन

मुरलीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव दिनेश मिश्रा उर्फ बाबा ने कहा कि शहर के हर गली-मुहल्ले में नशे का सामान मिल रहा है. गांजा, सिगरेट, गुटखा से लेकर कोडीन सिरप और इंजेक्शन तक, सब खुलेआम बिक रहे हैं. न स्कूलों की परवाह है, न प्रशासन की.

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शराबबंदी के बाद बढ़ा इंजेक्शन का चलन-

20 सूत्री कार्यक्रम के प्रखंड उपाध्यक्ष सूरज जायसवाल के अनुसार, शराबबंदी के बाद किशोर वर्ग नशे के दूसरे विकल्प की तलाश में इंजेक्शन जैसे खतरनाक विकल्प अपना रहे हैं. दुकानदार थोड़ी लालच में बिना पर्ची दवाएं बेच रहे हैं.

स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव, जान तक जा सकती है

विज्ञान शिक्षक सुनील कुमार कहते हैं कि यह नशा सीधे दिमाग और नर्व सिस्टम को प्रभावित करता है. इससे सोचने-समझने की शक्ति खत्म होती जाती है और जान जाने तक की नौबत आ सकती है. -सख्त निगरानी की जरूरत- डॉक्टरों का मानना है कि एविल जैसी ओटीसी दवाओं की बिक्री पर सख्ती जरूरी है. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि युवाओं की जिंदगी को इस धीमे जहर से बचाया जा सके.

300 रुपये में बिकती है ब्राउन शुगर की एक पुड़िया. … मुरलीगंज बायपास, मीरगंज चौक, कार्तिक चौक सहित दर्जनों स्थानों पर हो रही नशे की बिक्री. … एनडीपीएस एक्ट की धारा 22 के तहत हो सकती है दस साल तक की सजा का प्रावधान है.

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दीपक साहू

संपादक

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