छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: आज दिनांक 6/8/2024 को विश्व के प्रथम आदिवासी शक्तिपीठ में राजस्थान से डॉक्टर श्रीमती हीरा मीणा जी एवं उनके पति श्री डॉक्टर मीना जी का आगमन हुआ। उन्होंने अपने आगमन में शक्तिपीठ के पुरखा शक्तियों का सेवा पूजन कर शक्तिपीठ के सभागार में जंगों मातृशक्ति संघ आदिवासी शक्तिपीठ के मातृ शक्तियों के द्वारा अपने पारंपरिक रूढ़िजन्य प्रथा के आधार पर अभिनंदन किया गया।
हर्ष का विषय है कि उपरोक्त दोनों शख्सियत आदिवासी समाज के सबसे बड़े सामाजिक नेतृत्व एवं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है । आज वह राजस्थान से चलकर शक्तिपीठ दर्शन हेतु आए । शक्तिपीठ में आकर उन्होंने शक्तिपीठ के पदाधिकारियों से मिलकर बहुत आनंदित हुए । साथ ही शक्तिपीठ में चलाए जा रहे कार्यक्रमों जिसमें शिक्षा के प्रति जागरूकता , स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूकता , नशा उन्मूलन के प्रति जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति जागरूकता सहित संपूर्ण आदिवासियों में वैचारिक समानता कर एकता का जो मशाल शक्तिपीठ के माध्यम से पूरे जिले में प्रचार प्रसार किया जा रहा है, उसकी भूरी भूरी प्रशंसा की ।
उन्होंने कहा शक्तिपीठ जो कार्य कर रहा है वह कार्य आज की तारीख में पूरी दुनिया में कोई नहीं कर रहा है । पूरे समाज को एक कर हर तरह के समस्याओं का निदान बच्चों को निशुल्क आवासीय छात्रावास देकर शिक्षा के प्रति लगातार जागरूकता एवं वर्ष 2011 से लेकर 2025 तक शक्तिपीठ में रहकर 44 बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर आज अलग-अलग तरह के नौकरी पाकर अपनी अपने परिवार सहित समाज का भी बेहतर सेवा कर रहे हैं । उनके संबंध में जानकर उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई।
शक्तिपीठ के द्वारा चलाए जा रहे हैं बच्चों की कैरियर गाइडलाइंस एवं चलाए जा रहे कोचिंग सेंटर एवं कमर्शियल परिसर बनाकर समाज के लोगों को व्यवसाय से जोड़ने का काम को भी बखूबी सराहा । डॉक्टर श्रीमती हीरा मीणा ने अपने उद्बोधन में बहुत सारी संवैधानिक जानकारियां रुनिजनी परंपरा कस्टमरी लॉ एवं अपने पूर्वज योद्धाओं और आदिवासी समाज के वर्तमान परिवेश पर उन्होंने गहन बातें गंभीरता पूर्वक रखा ।
उनके साथ आए उनके पति डॉक्टर मीना जी ने भी अपनी उद्बोधन में हर तरह की बातों को राजनीतिक जागरूकता शैक्षणिक जागरूकता एवं आर्थिक जागरूकता पर अपनी बेहतरीन व्याख्यान दी साथ में शक्तिपीठ के संरक्षक मोहन सिंह प्रधान ने शक्तिपीठ के संबंध में एवं शक्तिपीठ क्यों बनाया गया और इसकी आवश्यकता क्या थी और शक्तिपीठ के भूत भविष्य वर्तमान में किए जाने वाले कार्यों का जिक्र किया और भविष्य में उन्होंने कहा यह विरासत हम सहेज कर अपनी नई पीढ़ी को तैयार कर आने वाले समय की मजबूत आदिवासियों की बुनियाद उनकी रूढ़िजन्य परंपरा रीति रिवाज विशिष्ट शैली सांस्कृतिक पहचान को अमूल धरोहर के रूप में सहेज कर नीति निरंतर बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होगी अंत में जंगों रायतार मातृशक्ति संघ की संरक्षक श्रीमती सुमन मित्रा नेताम ने आभार व्यक्त करते हुए सभा का समापन की घोषणा की उपरोक्त अवसर पर जंगों रायतार मातृशक्ति संघ के अध्यक्ष श्रीमती कृष्ण राजेश मांझी कोषाध्यक्ष श्रीमती रमाराज सहित मातृशक्ति पदाधिकारी मौजूद रहे उपरोक्त कार्यक्रम को संचालन श्री निर्मल सिंह राज उपाध्यक्ष शक्तिपीठ ने किया ।

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