बालको द्वारा आयोजित किसान मेला से कृषि नवाचार को मिला बढ़ावा

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छत्तीसगढ़
कोरबा-बालकोनगर/स्वराज टुडे: वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने किसान दिवस के अवसर पर जिले के बेला और सोनगुढ़ा गांव में किसान मेला-2025 का आयोजन किया। इस मेले में 40 गांवों से आए 750 से अधिक किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में तकनीकी विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी, बैंक प्रतिनिधि और कृषि उद्यमी भी शामिल हुए। यह मेला किसानों के लिए आधुनिक खेती और सतत आजीविका से जुड़ी जानकारी साझा करने का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम साबित हुआ।

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बालको ने यह आयोजन बायफ, सतत आजीविका एवं विकास संस्थान के सहयोग से किया। मेले में कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, पशुपालन और फसल बीमा से जुड़ी आधुनिक तकनीकों पर चर्चा और प्रदर्शन किए गए। बालको की ‘मोर जल मोर माटी’ परियोजना के तहत किसानों को वितरित किए गए कृषि उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई गई। नकटीखार स्थित हाई-टेक नर्सरी से जुड़े स्टॉल में गुणवत्तापूर्ण पौधों की जानकारी दी गई।

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किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के स्टॉल में किसानों को समूह बनाकर काम करने और बाजार से जुड़ने के लाभ बताए गए। इसके अलावा मारुत ड्रोन, क्रॉम्पटन मोटर, बिड़ला पाइप, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के स्टॉल्स के माध्यम से आधुनिक तकनीक, सिंचाई समाधान, सरकारी योजनाओं और कृषि आधारित स्वरोजगार के अवसरों की जानकारी दी गई।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री राजेश कुमार ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा में किसानों की भूमिका बहुत अहम है। बालको में हम केवल तकनीक या प्रशिक्षण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि किसानों को आय के नए अवसर और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रहे हैं। ‘मोर जल मोर माटी’ जैसी पहल के जरिए हम कृषि, बागवानी और पशुपालन को लाभकारी आजीविका के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं।

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रोगबहरी गांव के किसान अर्जुन कंवर ने कहा बताया कि बालको के सहयोग से मेरी खेती में बड़ा बदलाव आया है। प्रशिक्षण से मुझे बेहतर खेती, उत्पादन को बढ़ाना और लागत में कमी के साथ आदि जरूरी बातें सीखने को मिला। इस साल बेहतर खेती अपनाने के लिए मुझे सम्मान भी मिला, जिससे मुझे और आगे सीखने व दूसरे किसानों को प्रेरित करने की ताकत मिली।

मोर जल मोर माटी परियोजना जल प्रबंधन, बहुफसली खेती, बागवानी और पशुपालन को बढ़ावा देती है। यह परियोजना 3,200 एकड़ से अधिक क्षेत्र में 8,000 से ज्यादा किसानों तक पहुंच चुकी है। अब तक 6,000 से अधिक किसानों ने आधुनिक खेती के तरीके अपनाए हैं, जिससे उनकी आमदनी और उत्पादन में वृद्धि हुई है। लगभग 25 प्रतिशत लाभार्थी युवा किसान हैं, जो यह दिखाता है कि खेती को आजीविका के रूप में अपनाने में युवाओं की रुचि बढ़ रही है।

सरकारी योजनाओं और संस्थागत सहयोग से किसानों को जोड़कर बालको ग्रामीण आजीविका को मजबूत कर रहा है और छत्तीसगढ़ में टिकाऊ कृषि विकास को बढ़ावा दे रहा है। यह पहल दिखाती है कि ज्ञान, नवाचार और सहयोग से किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

दीपक साहू

संपादक

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