जश्न रिज़ॉर्ट में 27 एवं 28 दिसंबर को 39 वां अंतरराष्ट्रीय मंगलपाठ और भजनोत्सव का भव्य आयोजन, छत्तीसगढ़ समेत अन्य प्रान्तों से भी बड़ी संख्या में दादी भक्त होंगे शामिल

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: नमो नारायणी समिति कोरबा के तत्वावधान में 27 एवं 28 दिसंबर 2025 को 39 वां अंतरराष्ट्रीय मंगलपाठ और भजनोत्सव का आयोजन जश्न रिसोर्ट राताखार कोरबा में आयोजित किया जा रहा है जिससे भारत के विभिन्न राज्यों से आएं दादी भक्तों का भी सानिध्य प्राप्त होगा ।

27 दिसंबर को निकाली जाएगी भव्य शोभायात्रा एवं पालकी यात्रा

उक्त कार्यक्रम के तहत 27 दिसंबर शनिवार को सुबह 9 बजे श्री पंचदेव मंदिर पुराना बस स्टैंड कोरबा से शोभा यात्रा एवं पालकी यात्रा का आयोजन किया गया है जिसमें 651 मनोकामना निशान एवं 151 कलश के साथ उक्त शोभा यात्रा पुराना बस स्टैंड, पावर हाउस रोड, सुनालिया ज्वेलर्स होते हुए जश्न रिसोर्ट पहुंचेगी। तत्पश्चात शाम 4 बजे से श्री तेजस राणा जी, मनोज शर्मा, प्रियंका गुप्ता, अपर्णा अग्रवाल के सुमधुर स्वरों के साथ दादी के गुणगानों की भजनसंध्या का आयोजन किया गया है ।

28 दिसंबर को संगीतमय मंगल पाठ का आयोजन

28 दिसंबर रविवार को 3100 दादी भक्त महिलाओं, पुरषों बच्चों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय भजन गायक एवं मंगल पाठ वाचक केशव-सौरभ मधुकर के साथ संगीत मय मंगलपाठ का वाचन किया जावेगा मंगल पाठ के दौरान भक्तों द्वारा सवमणी एवं 56 भोग अर्पित किया जाएगा मंगल पाठ के साथ साथ विभिन्न आकर्षक झांकी, चुनरी समर्पण तथा 12 महिनों के त्योहार का प्रतिकात्मक रूप से प्रस्तुति दी जावेगी

मंगलकार्यों के लिए सहयोग राशि निर्धारित

मंगलपाठ हेतु 501/-, दादी का खजाना 101/-, सवामणी 5100/- एवं छप्पन भोग हेतु 7100/- रूप का प्रतिकात्मक सहयोग राशि रखी गई है।

देश के अलग-अलग हिस्सों से शामिल होंगे दादी भक्त

उक्त 39 वां अंतरराष्ट्रीय मंगलपाठ और भजनोत्सव कार्यक्रम में कलकत्ता, दिल्ली, राउरकेला, झारसुगुड़ा, रायगढ़ रायपुर, अम्बिकापुर, जांजगीर-चांपा, बिलासपुर, भाटापारा, खरसिया, नैला अकलतरा मनेन्द्रगढ़ जगहों से दादी भक्तों की उपस्थिति सुनिश्चित हो चुकी है।

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बाहर से आने वाले दादी भक्तों के लिए रहने एवं भोजन की व्यवस्था

सम्पूर्ण कार्यक्रम के दौरान बाहर से आने वाले दादी भक्तों के रहने एवं भोजन की व्यवस्था नमो नारायणी समिति द्वारा रखी गई है । अधिक जानकारी के लिए समिति के सदस्यों से संपर्क किया जा सकता है ।

जानिए लोगों में क्यों है रानी सती दादी के प्रति असीम श्रद्धा 

रानी सती दादी एक राजस्थानी महिला थीं जो 13वीं और 17वीं शताब्दी के बीच रहती थीं। वह अपने पति की मृत्यु के बाद सती (आत्मदाह) हो गईं और बाद में उन्हें नारायणी देवी या दादीजी के नाम से पूजा जाने लगा। रानी सती दादी की कहानी महाभारत के समय से जुड़ी हुई है, जब वह अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के रूप में जन्मी थीं। जब अभिमन्यु की मृत्यु हो गई, तो उत्तरा सती होने जा रही थीं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें रोक दिया और कहा कि वह कलयुग में सती रूप को प्राप्त करेंगी और लोगों द्वारा पूजी जाएंगी ।

रानी सती दादी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:

जन्म और जीवन: रानी सती दादी का जन्म कलयुग में राजस्थान में गुरसामल सेठ के घर हुआ था, जिनका नाम नारायणी था।
विवाह: नारायणी का विवाह तनधन के साथ हुआ था।
सती होने की घटना: जब तनधन की मृत्यु हो गई, तो नारायणी सती होने जा रही थीं, लेकिन उनके सेवक राणा ने उनकी चिता के लिए लकड़ियां इकट्ठा कीं और उनकी चिता से एक त्रिशूल निकला, जो झुंझुनू में जाकर गिरा।
मंदिर: झुंझुनू में रानी सती दादी का विशाल मंदिर है, जो मारवाड़ी और अग्रवाल समाज का विशेष पूजा स्थल है।

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रानी सती दादी की पूजा आज भी बड़े धूमधाम से की जाती है, और उनके मंदिर में आरती और पूजा-अर्चना की जाती है।

इस आयोजन के सम्बंध में विस्तृत जानकारी के लिए 9425532123,  9893907585, 7389912761,  9827180908 पर सम्पर्क कर सकते हैं ।

दीपक साहू

संपादक

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