10 नवंबर से पूरे एक महीने मनाया जाएगा जनजातीय गौरव दिवस

- Advertisement -

*कॉलेजों में जनजातीय समाज के गौरव और उनके नायको के कृतित्व-व्यक्तित्व की दी जाएगी जानकारी

*बस्तर विश्व विद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

जगदलपुर/स्वराज टुडे:  दस नवंबर से अगले एक महीने तक बस्तर संभाग के सभी महाविद्यालयों में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा । पिछले वर्ष की तरह ही जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग के महाविद्यालयों में जनजातीय नायकों के सामाजिक उत्थान में योगदान , उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी दी जाएगी । अब तक अनजान रहे जनजातीय नायकों का भारत की आजादी में योगदान के बारे में भी बताया जाएगा।

IMG 20251106 WA0044

गुरूवार को शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में इस विषय को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत एवं उनके ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद महेश कश्यप, कुलपति प्रो एमके श्रीवास्तव, वनवासी विकास समिति के प्रांत संगठन मंत्री रामनाथ कश्यप एवं विवि कार्यपरिषद् के सदस्य राजीव शर्मा उपस्थित थे।

IMG 20251106 WA00451

अपने स्वागत उद्बोधन में कुलपति प्रो मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह, भगवान बिरसा मुंडा, टंटया भील, सिदो-कान्हो, रानी दुर्गावती जैसे जनजातीय समाज के अनगिनत वीर-वीरांगनाओं ने इतिहास में अदम्य साहस का परिचय देकर भारत मां की रक्षा के लिए पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। अपने स्वाभिमान एवं अस्मिता की रक्षा के लिए समाज के वीरों ने जो अप्रतिम साहस दिखाया वह प्रेरणीय है। प्रो. श्रीवास्वत ने कहा कि जनजातीय समाज में प्रत्येक मानव के प्रति आदर समानता का भाव है। उन्होंने कहा कि अब बस्तर नक्सलवाद जैसे प्रमुख समस्याओं से मुक्त हो रहा है। हम सभी अकादमिक लोगों को इस समाज के प्रति संवेदनशील होकर कार्य करने आगे आना चाहिए।

यह भी पढ़ें :  नमामि हसदेव सेवा समिति द्वारा 5 नवम्बर 2025 को आयोजित है भव्य महाआरती, हसदेव मैया को चढ़ाई जाएगी चुनरी

IMG 20251106 WA0046

माननीय सांसद महेश कश्यप ने कहा कि हमारे पूर्वज जनजातीय वीरों ने मुगलों और अंग्रेजों से लड़कर हमें बचाया है। हमें उनके चरित्र को अपने जीवन में उतारना चाहिए। आज के युवा पीढ़ी को उनके विचारों को जानने समझने का प्रयास करना चाहिए। श्री कश्यप ने देव-दानव के कर्म का जिक्र करते हुए बताया कि भारतीय धार्मिक पुस्तकों में जनजातीय समाज की प्रेरणीय भूमिका के कई वर्णन उपलब्ध हैं। आज षड़यंत्रपूर्वक समाज को रावण और महिसासुर से जोड़ा जा रहा है। श्री कश्यप ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाने का निरंतर प्रयास करना है। परंपराएं, विरासत व संस्कृति ही हम सभी जनजातीय समाज को सदियों से जोड़ कर रखा है।

मुख्य वक्ता रामनाथ कश्यप ने कहा कि अरण्यक संस्कृति ही भारत की मूल संस्कृति है। जो बाद में ग्राम संस्कृति कहलाई। रामायण, महाभारत, महराणा प्रताप का उदाहरण देते हुए श्री रामनाथ ने कहा कि जनजातीय समाज का जंगल में रहना स्वभाव है। यह समाज पूजा के माध्यम से मुख्य रूप से प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का कार्य करता है। इस समाज का सामाजिक और न्याय व्यवस्था बहुत प्रभावी और आसान है। घोटुल सामाजिक व्यवस्था की पाठशाला के रूप में था जिसमें युवा सामाजिक संस्कार सीखते थे। श्री रामनाथ ने कहा कि इतिहास में जनजातीय समाज के कई वीर अपने पुरषार्थ के बल पर राजा बने। उन्होंने कहा कि हम सभी ऐसे वीरों के योगदानों के लिए गौरव महसूस करें और खुद उनकी गौरवगाथा लिखने का प्रयास करें।

विवि कार्यपरिषद् के सदस्य राजीव शर्मा ने बताया कि 10 नवंबर से 10 दिसंबर तक विवि से सम्बद्ध महाविद्यालयों में जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम किया जाना है। इसमें सभी को जोड़कर विभिन्न तरह के आयोजन किए जाएं जिससे युवाओं में अपने अतीत व अस्तित्व के प्रति आत्मविश्वास जगे। समाज के युवा संगठित भारत के निर्माण में योगदान दें सकें। ऐसे आयोजन हों जिससे भारतीय जनजातीय समाज के प्रति विश्व में और बेहतर छबि बने।
कार्यक्रम का उद्देश्य की जनकारी देते हुए समन्वयक डॉ. सजीवन कुमार ने कहा कि बस्तर एक अनुपम भूमि है। जनजातीय महापुरूषों के योगदानों को स्मरण और इस समाज के मूल्यों को कार्यक्रमों के माध्यम से प्रसारित करने के लिए शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय ने प्रयास शुरू किया था। आज यह आयोजन पूरे देश में व्यापक तौर पर आयोजित किया जा रहा है। संचालन डॉ. कुश कुमार नायक एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ राजेश लालवानी ने किया। कार्यशाला के प्रारंभ में भारत के जनजातीय नायकों की चित्र-प्रदर्शनी का भी अतिथियों ने अवलोकन किया। इस अवसर पर समाजसेवी यज्ञ सिंह, सुब्रमण्यम राव, महेश राव, उमेश सिंह, प्रकाश ठाकुर, सत्यनारायण जी, विवि एवं सम्बद्ध महाविद्यालय के प्राध्यापक उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि जनजातीय चेतना के अगुआ भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में प्रति वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया जाता है।

यह भी पढ़ें :  डॉक्टर से सगाई के एक माह बाद गंगा नदी में कूद गई यूपीएससी की तैयारी कर रही छात्रा, सर्च ऑपरेशन जारी

यह भी पढ़ें: पत्नी की मौत का सदमा नहीं सह पाया पति, आया हार्ट अटैक, दोनों की एक साथ उठी अर्थी

यह भी पढ़ें: रायबरेली जिला अस्पताल में लापरवाही: घायल बुज़ुर्ग को नहीं मिला इलाज, वार्डबॉय वसूली में व्यस्त और दवाइयों का बड़ा खेल

यह भी पढ़ें: मेमू लोकल ट्रेन हादसे के बाद भी रेल प्रबंधन ने नहीं लिया सबक, एक ही ट्रैक पर आ गई दो मालगाड़ी और एक यात्री गाड़ी, नजारा देख हलक में ही अटक गईं यात्रियों की साँसें

दीपक साहू

संपादक

- Advertisement -

Must Read

- Advertisement -

Related News

- Advertisement -