छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: विश्व आदिवासी मूल निवासी दिवस दिनांक 9 अगस्त 2025 को सुदूर वनांचल गढ़ उपरोड़ा में शंभू शक्ति सेवा के तत्वाधान में विशाल कार्यक्रम रखा गया जिसमें रस्साकशी प्रतियोगिता और कबड्डी प्रतियोगिता मुख्य आकर्षण का केंद्र था । उपरोक्त अवसर पर मंचीय कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आदिवासी शक्तिपीठ के संरक्षक एवं आदिवासी मामलों के संवैधानिक जानकारी प्रखर वक्ता जिन्होंने अपने जिले प्रदेश नहीं अन्य प्रदेशों में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है उनको सुनने के लिए भारी संख्या में आसपास के पंचायत के ग्रामीण एवं पंच सरपंच ग्रामीण नेता उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मोहन सिंह प्रधान ने बताया कि विश्व आदिवासी मूल निवासी दिवस क्यों और किसलिए मनाया जाता है । उन्होंने कहा कि हम आदिवासियों को अपनी रूढ़ि जन परंपरा एवं कस्टमरी लॉ को जिंदा रखने के लिए अपने रीति नीति एवं सांस्कृतिक धरोहर को जिंदा रखना पड़ेगा। उन्होंने कहा शिक्षा लोगों में बराबरी का दर्जा देता है और पाखंड भेदभाव एवं उच्च नीच का संदेशवाहक है इसलिए अपने बच्चों को चाहे स्कूलों की दूरी कितनी भी हो अपना एक वक्त का पेट काटकर अपने बच्चों को स्कूलों तक अवश्य भेजें।
समाज का बुनियादी आभार एवं प्रगति का आधार शिक्षा के मार्ग से ही चलकर चल जाता है। उन्होंने नशा उन्मूलन पर अपनी बेवाक टिप्पणी की । उन्होंने कहा कि समाज की सबसे बड़ी बुराई नशा है । जिस दिन यह नशा समाज से हट जाएगा, उस दिन समाज फिर से अपने हजारों साल के पराक्रमी इतिहास एवं समृद्धि शाली इतिहास गौरवपूर्ण तरीके से दौर आएगा ।
उन्होंने पेसा कानून ,समता निर्णय, वन अधिकार अधिनियम एवं सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भी बखूबी से जिक्र किया और उन्होंने कहा हमारे पूर्वज एवं पुरखों ने 1857 के पहले भी कई लड़ाइयां लड़ी । शहीद होकर अमर हो गए एवं देश के आजादी में भी उन्होंने अपना बहुत बड़ा योगदान दिया । साथ ही अपने पुरखों टांटिया मामा, बिरसा मुंडा ,फूलों झानों, शहीद वीर नारायण सिंह ,गुंडाधुर, वीरांगना रानी दुर्गावती राणा पूंजा भील सहित सैकड़ो योद्धाओं को याद करते हुए उनकी अमर गाथा को लोगों के सामने रखा ।
साथ ही देश के नवनिर्माण में आदिवासियों का योगदान एवं देश के प्रगति में आदिवासियों का योगदान सहित भारत के विकास के मेरुदंड आदिवासी समाज को एवं उनके योगदान को बताया जल जंगल जमीन एवं प्रकृति कभी भी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती इसीलिए आदिवासी समाज प्रकृति के साथ रहकर प्रकृति की तरह किसी भी धर्म जात संप्रदाय के साथ भेदभाव नहीं करता कुछ यही उसकी सबसे बड़ी ढांचा गत सामाजिक बुनियाद है,
उन्होंने तकलीफ जताया सरकार विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन एवं जल जंगल जमीन को जिस तरह से संवैधानिक दर्जा देकर उजाड़ रही है आदिवासियों की आत्मा को झिझोरने वाला है। इसको प्रमुखता से संज्ञान में लेकर इस पर सरकार को भी आदिवासियों के हित चैतन्य होकर समझने की आवश्यकता है।
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उन्होंने कहा आदिवासी पुरखों को जिस तरह से पाठ्यक्रमों में बिसरा दिया गया यह एक साजिश का हिस्सा ही है आदिवासियों के सामने काल कपोल काल्पनिक तर्क विहीन वैज्ञानिक सिद्धांत के विपरीत सिद्धांतों को पुरस्कार उनको गुमराह करने की सैकड़ो वर्ष की साजिश चल रही है जो इस समाज का हिस्सा ही नहीं है इसलिए आदिवासी समाज को उन्होंने सतर्क किया कि आप सतर्क रहें आपकी विशिष्ट भाषा विशिष्ट शैली विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान दूरी जाने परंपरा और प्रथाथागत कानून आपके विशिष्ट के पहचान है और यही आपके संविधानिक अधिकारों की रक्षा करता है उन्हें कई मामलों में सावधान किया और सतर्क किया अनुसूचित क्षेत्र में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है ग्राम सभा को कमजोर किया जा रहा है इस पर भी उन्होंने बताया ग्राम सभा तो जरूर है लेकिन पंचायत ताकत एवं निर्माण संबंधी स्वायत्तता पर भी सवाल खड़ा किये।
उन्होंने कहा हमारे नेतृत्वकारी साथी कहते हैं राज्य में मुख्यमंत्री आदिवासी हैं और राष्ट्र में माननीय महामहिम राष्ट्रपति भी आदिवासी वर्ग से आते हैं फिर आदिवासी वर्ग से देकर इस समाज को बहुत बड़ा सम्मान दिया गया है यह स्वागत योग्य है लेकिन महामहिम सहित माननीय मुख्यमंत्री जी भी सामाज की अंतिम व्यक्ति की पीड़ा को समझ सके तो यह सफल हो सकता है आज भी वनांचल क्षेत्र में कई मामलों में भारी अभावग्रस्त है,,
उन्होंने विश्वास दिलाया की हमेशा एक जैसा समय नहीं रहता हम पुनः अपनी सामाजिक एकता वैचारिक एकता एवं अपनी परंपराओं को विकसित करते हुए नशा के खिलाफ काम करते हुए शिक्षा का महत्व को समझने एवं समझते हुए आर्थिक मामलों में अपनी समझ रखते हुए राजनीतिक दृष्टिकोण से अपने आप को मजबूत करना पड़ेगा उन्होंने अंत में कहा की आदिवासी समाज को संवैधानिक विधि का बल प्राप्त है इसका भी बहुत बड़ा कारण है लेकिन जो विधि का बल प्राप्त है इसका लाभ उसे संख्या में नहीं मिल पा रहा, पेसा एक्ट संता निर्णय वन अधिकार नियम कैसे कई कानून जिनका खुलेआम उल्लंघन वनांचल क्षेत्र में हो रहा है वनांचल क्षेत्र आदिवासियों का साम्राज्य था और कानून के तहत खरीद बिक्री पर रोक है लेकिन आज सुदूर वनांचल में भी हजारों एकड़ जमीन है गैर आदिवासियों की है यह सबसे गंभीर मामला है जिला प्रशासन एवं सरकार इसको संज्ञान में लेकर तत्काल चिन्हित कर इसमें कार्रवाई करने की पहल करें एवं प्राकृतिक का खरीद बिक्री और संधारण सहित पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आदिवासियों को सोप जाए इसलिए भी जरूरी है जल जंगल जमीन की लड़ाई सिर्फ आदिवासियों की नहीं है लोगों को भी समझना पड़ेगा शुद्ध हवा पानी शुद्ध पर्यावरण सब की जिम्मेदारी है इसलिए जो समाज इसको पृथक नजरिए से देखते हुए सिर्फ आदिवासी समाज की आंदोलन की तरफ देखते होंगे यह भी गलत है उन्होंने कई मामलों में अपनी बात रखी और हजारों की संख्या में भीड़ में उन्हें बड़ी तन्मयता से सुना भीड़ से आह्वान किया जिला एवं राज्य के साथ-साथ देश के विकास में इस समाज का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है इसलिए आप वनवासी नहीं आदिवासी हैं और भारत के मूल निवासी हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में निर्मल सिंह राज उपाध्यक्ष आदिवासी शक्तिपीठ कोरबा ने भी अपनी वजह से भाषण में अपनी राय रखी एवं विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की और उन्होंने कहा कब वक्त आ गया है समाज के नेतृत्व कारी लोगों को समझना एवं उनके योगदान को भी समझना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है भीड़ तंत्र का हिस्सा मत बनी काल्पनिक फैलाए हुए पाखंड के ब्रह्म जाल में ना फंसते हुए अपनी रीति नीति परंपरा को समझिए और उसको मानिए तभी आप एक खुशहाल जिंदगी की शुरुआत कर सकते हैं
उपरोक्त अवसर पर शंभू शक्ति सेवा के पदाधिकारी भारी संख्या में आसपास के सरपंच गण महिला पुरुष बच्चे सहित ग्रामीण जन उपस्थित रहे।
जब तक उद्बोधन होता रहा की पहली बार हुआ की कोई भी व्यक्ति मंच से श्रोता के रूप में सुन रहे लोग बड़ी तन्मयता से सुनते रहे और लोगों ने पहली बार कहा और स्वीकार किया बहुत सारी जानकारियां देश की आजादी के बाद भी हम तक नहीं पहुंच पाई थी सिर्फ हम पेपर के माध्यम से टीवी के माध्यम से या आसपास जो बातचीत होती थी उसे माध्यम से जानकारियां जुटा पाए थे, लेकिन आज पता चला कि हमारा समाज का जो प्राचीन इतिहास है बड़ा ही समृद्धशाली एवं गौरवशाली पराक्रमी इतिहास सहित कई रियासतों पर साम्राज्य स्थापित जो सुख शांति समृद्धि वैभव एवं पराक्रम का बेमिसाल इस देश में उदाहरण है
मुख्य अतिथि के रूप में मोहन सिंह प्रधान जी का विशिष्ट अतिथियों का परंपरागत तरीके से शानदार भारी संख्या में लोगों ने स्वागत किया साथ ही खेलकूद का भी आनंद लोगों ने लिया एवं अंत में शंभू शक्ति सेना के अध्यक्ष सरजू सरोठिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम की शुरुआत राजकीय गीत के साथ प्रारंभ हुआ ।

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