पहली डोज लगवाने के बाद फिर नहीं गए अस्पताल, 2 महीने बाद दिखने लगा रेबीज के लक्षण

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उत्तरप्रदेश
बुलंदशहर/स्वराज टुडे: राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की रेबीज से हुई मौत का गम अभी कम भी नहीं हुआ था कि रेबीज को लेकर लापरवाही का एक और मामला सामने आ गया। लखावटी क्षेत्र के गांव ख्वाजपुर निवासी कन्हैयालाल (55) ने कुत्ते के काटने के बाद रेबीज की पहली डोज तो लगवा ली लेकिन इसके बाद अस्पताल नहीं गए। दो महीने बाद अब उनमें रेबीज के लक्षण दिखने लगे हैं।

पालतू कुत्ते ने काट लिया था

कन्हैयालाल को दो महीने पहले नाई की दुकान में एक पालतू कुत्ते ने काट लिया था। बेटे परविंद्र ने बताया कि उसके दूसरे दिन पिता ने एआरवी की पहली डोज लगवा ली थी। इसके बाद पिता काम-काज में व्यस्त हो गए। रविवार को अचानक पानी देखकर डरने लगे। इसके बाद उन्हें लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लखावटी पहुंचे, वहां से बुलंदशहर।

एक-दो चिकित्सकों को दिखाया लेकिन दिल्ली ले जाने की सलाह दी। दिल्ली सफदरजंग लेकर पहुंचे तो वहां जख्म पर कुछ दवा लगाने के बाद घर भेज दिया। हालत में किसी तरह का सुधार नहीं होने पर परिजन अब इलाज कराने के लिए उन्हें लेकर मेरठ गए हैं। बेटे ने बताया कि इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं मिल रहा है।

न बरतें लापरवाही 

जिला अस्पताल के नोडल अधिकारी ने बताया कि कुत्ता-बंदर, बिल्ली या अन्य जंगली जानवर के काटने से हल्का जख्म होने पर एआरवी की चार डोज लगवानी होती है। अधिकांश लोग जागरूकता और जानकारी के अभाव में पहली डोज जहां देरी से लगवा रहे हैं तो दूसरी, तीसरी व चौथी डोज लगवाने में लापरवाही बरत रहे हैं। अधिकांश लोग दी गई तिथि पर एआरवी लगवाने नहीं आते। 30 फीसदी लोग हैं जो पहली डोज लगवाने के बाद दोबारा अस्पताल नहीं आते।

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कबड्डी खिलाड़ी की चली गई थी जान

खुर्जा क्षेत्र के फराना गांव निवासी राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की 27 जून को रेबीज से मौत हो गई थी। बृजेश ने नाली में गिरे पिल्ले को बचाया था। निकालते समय पिल्ले ने हाथ में काट लिया था। इसे मामूली चोट समझकर बृजेश ने नजरअंदाज कर दिया था और एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई थी।
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“पहली डोज कब लगी और इसके बाद डोज नहीं लगवाने की जानकारी ली जाएगी। अगर किसी को कुत्ता, बंदर, बिल्ली या अन्य जंगली जानवर काटे तो रेबीज से बचाव के लिए एआरवी का पूरा कोर्स लेना चाहिए।”डॉ. रमित कुमार, नोडल अधिकारीI

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दीपक साहू

संपादक

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