झारखंड
घाटशिला/स्वराज टुडे: ‘जियत म मारे डंडा अउ मरे म लेजे गंगा’ यह कहावत छत्तीसगढ़ में अत्यंत लोकप्रिय है । इसका अर्थ है कि यह समाज जीते जी तो सम्मान नहीं देता लेकिन मरने के बाद आत्मा की मुक्ति के लिए सारी औपचारिकताओं की पूर्ति गंभीरता पूर्वक करता है। इसका ताजा उदाहरण झारखंड के घाटशिला में देखने को मिला जहां दो प्रेमियों को पहले तो एक न होने दिया लेकिन जब दोनो ने मौत को गले लगा लिया तो फिर समाज ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने शवों की शादी करवाई।
समाज के ठेकेदारों के चलते प्रेम कहानी का दुखद अंत
घाटशिला की नरसिंहगढ़ पंचायत के रहने वाले लक्ष्मण सोरेन और सलमा किस्कू एक दूसरे से अथाह प्यार करते थे, लेकिन समाज के ठेकेदारों ने दोनों को एक न होने दिया। यही कारण था कि उनके परिवारों को भी यह रिश्ता मंजूर नहीं था। रविवार को लक्ष्मण और सलमा ने रेलवे ट्रैक पर अपनी जान दे दी।
अपने बच्चों की मौत से दुखी दोनों परिवारों ने सोमवार को बड़ा फैसला लिया और दोनों के शवों को आदिवासी रीति-रिवाज से शादी करा दी।
कश्मीर में काम करता था लक्ष्मण, सलमा 9वीं की छात्रा थी
लक्ष्मण सोरेन कश्मीर में काम करता था और 10 दिन पहले ही घर लौटा था। वहीं, सलमा 9वीं की छात्रा थी। गुरुवार की सुबह वह परीक्षा देने की बात कहकर स्कूल के लिए निकली थी। रविवार को दोनों ने रेलवे पटरी पर जान दे दी।
1 वर्ष पूर्व भी ऐसा ही मामला महाराष्ट्र में सामने आया था
अगस्त 2021 में महाराष्ट्र (Maharashtra) के जलगांव जिले (Jalgaon) के वाडे गांव के रहने वाले एक प्रेमी जोड़े की शादी (Marriage) करने की तमन्ना जिंदा रहते पूरी नहीं हो पाई। परिवार की ओर से शादी के लिए मना करने पर दोनों ने सुसाइड कर लिया। फिर उनके मरने के बाद परिवारवालों ने सांकेतिक तौर पर उनकी शादी कराई और दोनों को दुनिया से रुखसत किया।
माडे गांव में रह रहे 22 साल के मुकेश सोनावणे और पलाड की रहने वाली नेहा ठाकरे के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे। मुकेश और नेहा शादी करके अपना जीवन साथ बिताना चाहते थे। उन्होंने इसके लिए अपने परिवारों से बात की, लेकिन दोनों के परिवारों ने उनकी शादी के लिए राजी नहीं हुए, जबकि दोनों एक ही समुदाय के थे।
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