74 साल की उम्र में कैंसर को हरा दिया! कभी डॉक्टर ने दे दिया था जवाब, रूटीन जानकर दंग रह जाएंगे

झारखंड
रांची/स्वराज टुडे: कहते हैं अगर हिम्मत के साथ कदम आगे बढ़ाया जाए तो फिर किसी भी मुसीबत से पार पाया जा सकता है. यह बात सिर्फ कहने की नहीं है, बल्कि इसको सच कर दिखाया है रांची की रहने वाली सुषमा देवी ने.
सुषमा देवी कभी बड़ी आंत के स्टेज 3 कैंसर से जूझ रही थीं. लेकिन, आज कैंसर मुक्त हैं. 74 वर्षीय सुषमा देवी की दिनचर्या सुनकर लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं.
धुर्वा की रहने वाली सुषमा देवी कभी बड़ी आंत के कैंसर से ग्रसित थीं. मात्र 3 महीने पहले ही वह इस बड़ी बीमारी से बाहर निकलने में सफल हुई हैं. सुषमा देवी ने लोकल 18 को बताया कि कुछ डॉक्टर ने तो जवाब दे दिया था. कहा था उम्र भी बहुत हो चली है. लेकिन, मेरे अंदर जीने की ललक बहुत ज्यादा थी. यही वजह थी कि मैंने हिम्मत नहीं हारी और कैंसर को मिटाने की कोशिश की.
आज घर का सारा काम करती हूं
सुषमा देवी ने बताया, मुझे और काम करना था. आज भी मैं सुबह 4:00 बजे उठती हूं. पूरा घर संभालती हूं. 5 किलोमीटर चलती हूं. मेरा मानना है कि व्यक्ति कैंसर से नहीं बल्कि, हिम्मत हारने की वजह से मरता है. अगर हिम्मत रहे तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. सुबह उठकर घर का सारा काम करती हूं. मैं झाड़ू-पोछा भी करती हूं. क्योंकि उम्र तो सिर्फ एक अंक होता है.
खाली बैठना पसंद नहीं था
आगे बताया, मेरे घर में मेरा बेटा है, जो CRPF में है. इसके अलावा बहू और पोता पोती हैं. लेकिन, शुरू से मैंने घर का आहार लिया. खूब काम किया. हाथ-पैर शुरू से चलाया करती थी, इसलिए बैठना अच्छा नहीं लगता. जितना हाथ चलाया जाए, उतना अच्छा होता है. तड़के 4 बजे उठकर 5 किलोमीटर तक मॉर्निंग वॉक करती हूं, इससे शरीर चुस्त और तंदुरुस्त रहता है.
डरे नहीं, डटकर सामना करें
सुषमा बताती हैं कि जब कैंसर का पता चला तो कई सारे डॉक्टर के पास गई. उन्होंने जवाब दे दिया. फिर पारस हॉस्पिटल आई. यहां पर आयुष्मान कार्ड के तहत मेरा इलाज हुआ. इलाज में भी पैसे खर्च नहीं हुए. बस मुझे एक ही बात पता था कि मुझे जीना है. खूब काम करना है और घूमना है. अंदर से हिम्मत पूरी थी और डट के पूरे इलाज का सामना किया. पता था यह बुरा वक्त है. इसको बीत जाना है. फिर किस बात का डर.
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