मानव और मानव अधिकार दिवस: आओ मिलकर गान करें, मानव अधिकारों का सम्मान

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हिमाचल प्रदेश
कांगड़ा/स्वराज टुडे: मानव अधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है।यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाने का जश्न मनाता है। तब से भारत सहित तमाम देश 10 दिसंबर को अपना राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाते हैं।मानव अधिकार दिवस मानव को अपने अधिकारों की प्रति जगाना तथा साथ ही जो लोग मानव अधिकारों को नजर अंदाज करते हुए। दूसरे व्यक्तियों के अधिकारों पर अपना कब्जा कर उनके साथ अमानवीय कार्य करते है,उनको भी यह विदित करवाना है कि मानव अधिकार उनके लिए ही नहीं है हर उस एक व्यक्ति के लिए है जो इस धरा पर विराजमान है।

सरकारें और कुछ गैर-सरकारी संगठन भी इनकी जांच करते हैं। तो जो कोई भी व्यक्ति अपनी अधिकारों से वंचित न रह सके और साथ ही कोई दूसरा व्यक्ति किसी के अधिकारों का हनन न कर सकें। भारतीय संविधान में भी भारतीय नागरिकों को संविधान के भाग 3 (अनुच्छेद 12 से 35) तहत नागरिकों को अधिकार दिए गए हैं जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते हैं और जिनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय है।समाज के गरीब और दबे-कुचले तबकों में मानवाधिकारों के उल्लंघन की आशंका अधिक रहती है। कई मानवाधिकार संगठन यह सुनिश्चित करने के लिए रचनात्मक संचालन योजनाओं का चार्ट तैयार करते हैं कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के हर मुद्दे पर कैसे ध्यान दिया जाए।

सार्वभौमिक मानवाधिकार इस प्रकार है:

जिंदगी जीने, आज़ादी और निजी सुरक्षा का अधिकार,समानता का अधिकार,सक्षम न्यायाधिकरण द्वारा बचाव का अधिकार,कानून के सामने व्यक्ति के रूप में मान्यता के अधिकार,भेदभाव से स्वतंत्रता,दासता से स्वतंत्रता,अत्याचार से स्वतंत्रता,मनमानी गिरफ्तारी और निर्वासन से स्वतंत्रता,अपराध सिद्ध न होने तक निर्दोष माने जाने का अधिकार, उचित सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार,आंदोलन की स्वतंत्रता,गोपनीयता, परिवार, गृह और पत्राचार में हस्तक्षेप से स्वतंत्रता,अन्य देशों में शरण का अधिकार,राष्ट्रीयता को बदलने की स्वतंत्रता का अधिकार,विवाह और परिवार के अधिकार,शिक्षा का अधिकार,खुद की संपत्ति रखने का अधिकार
,शांतिपूर्ण सभा और एसोसिएशन बनाने का अधिकार,सरकार में और नि: शुल्क चुनावों में भाग लेने का अधिकार,विश्वास और धर्म की स्वतंत्रता,सही तरीके से रहने/जीने का अधिकार, समुदाय के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार,सामाजिक सुरक्षा का अधिकार,वांछनीय कार्य और ट्रेड यूनियनों में शामिल होने का अधिकार,अवकाश और विश्राम का अधिकार।

ऊपर दिए अधिकारों में राज्य या व्यक्तिगत हस्तक्षेप से स्वतंत्रता है। मानव अधिकारों के दुरुपयोग की निगरानी के लिए कई संस्थान बनाए गए हैं। हम फिर भी देखते हैं कहीं न कहीं हमें मानव अधिकारों की उल्लंघन होते मिल ही जाती है। जैसी बाल शोषण और जात बिरादरी से अलग करना इत्यादि मगर जब हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे तभी हम अपने अधिकारों की सुरक्षा कर सकेंगे और दूसरों को भी जागरूक कर सकेंगे। आओ हम मानव अधिकार दिवस पर यह संकल्प करें कि हम अपने मानव अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करेंगे।

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय
गाहलिया
ग्राम- जनयानकड़
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

दीपक साहू

संपादक

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