महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर मतदान आज, झारखंड में भी आखिरी चरण की वोटिंग; दांव पर कई क्षत्रपों का चुनावी भविष्य

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मुम्बई/स्वराज टुडे: महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए बुधवार यानी आज मतदान होगा। इस चुनाव में जहां सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है, वहीं विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) को सत्ता में शानदार वापसी की उम्मीद है।

महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 सीट पर मतदान सुबह सात बजे शुरू होगा और शाम छह बजे समाप्त होगा। मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और कई केन्द्रीय मंत्रियों जैसे प्रमुख नेताओं ने अपने अपने उम्मीदवारों के लिए राज्य में प्रचार किया।

खूब गूंजे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे

सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) घटक हैं। गठबंधन को महिलाओं के लिए शुरू की गई ‘माझी लाडकी बहिण’ जैसी अपनी लोकप्रिय योजनाओं की बदौलत सत्ता में बने रहने की उम्मीद है। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रमुखता से ”बंटेंगे तो कटेंगे” और ”एक हैं तो सेफ हैं” जैसे नारे लगाए। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि महायुति इन नारों के जरिये धार्मिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के घटक वाले महा विकास आघाडी (एमवीए) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ”बंटेंगे तो कटेंगे” और प्रधानमंत्री मोदी के ”एक है तो सेफ हैं” नारे की आलोचना की। भाजपा के सभी सहयोगी दलों ने इन नारों का समर्थन नहीं किया। अजित पवार ने खुद को इनसे अलग कर लिया। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नारों का मतलब स्पष्ट करने का प्रयास किया, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।

एमवीए गठबंधन ने जाति आधारित गणना, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रचार का मुकाबला किया। विपक्ष का लक्ष्य उन मतदाताओं से अपील करना था जो सरकार द्वारा उपेक्षित महसूस करते थे। मतदान से पहले,भाजपा ने सोमवार को एक नया विज्ञापन अभियान शुरू किया। इसमें विपक्षी एमवीए पर हमला किया गया और मतदाताओं से ”कांग्रेस को ना कहने” का आग्रह किया गया है। विज्ञापन अभियान में अतीत की विभिन्न घटनाओं का उल्लेख किया गया है जिनमें 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला और पालघर में साधुओं की हत्या जैसी घटनाएं शामिल हैं।

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सत्तारूढ़ एमवीए में शामिल भाजपा 20 नवंबर को होने वाले चुनाव में 149 सीट पर चुनाव लड़ रही है जबकि एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना ने 81 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा 59 सीट पर चुनाव लड़ रही है। एमवीए में शामिल कांग्रेस 101 पर, शिवसेना (यूबीटी) 95 पर और राकांपा (शरदचंद्र पवार) 86 सीट पर चुनाव लड़ रही हैं। बहुजन समाज पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) सहित छोटी पार्टियां भी चुनाव लड़ रही हैं। बसपा ने 237 और एआईएमआईएम ने 17 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव (2019) की तुलना में इस बार उम्मीदवारों की संख्या में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस साल 4,136 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि 2019 में 3,239 उम्मीदवार मैदान में थे।

इन उम्मीदवारों में 2,086 निर्दलीय हैं। 150 से ज्यादा सीट पर बागी उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें महायुति और एमवीए के उम्मीदवार अपनी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि 30 अक्टूबर तक पंजीकृत मतदाताओं की अद्यतन संख्या 9,70,25,119 है। इनमें 5,00,22,739 पुरुष मतदाता, 4,69,96,279 महिला मतदाता और 6,101 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। इसके अलावा, दिव्यांग मतदाताओं की कुल संख्या 6,41,425 है, जबकि सशस्त्र बलों के सेवा मतदाताओं की संख्या 1,16,170 है।

महाराष्ट्र में इस बार 1,00,186 मतदान केंद्र होंगे, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में इनकी संख्या 96,654 थी। मतदाताओं की संख्या में वृद्धि के कारण यह वृद्धि की गई है। राज्य सरकार के लगभग छह लाख कर्मचारी चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात किए जाएंगे। राज्य में 15 अक्टूबर को आचार संहिता लागू होने के बाद से विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई में 252.42 करोड़ रुपये की नकदी और वस्तुएं जब्त की गईं। जब्त की गई वस्तुओं में 63.47 करोड़ रुपये नकद, 33.73 करोड़ रुपये मूल्य की 34,89,088 लीटर शराब शामिल है। इसके अतिरिक्त, 32.67 करोड़ रुपये मूल्य के मादक पदार्थ और 83.12 करोड़ रुपये मूल्य की कीमती धातु (सोना-चांदी) भी जब्त की गई है। इसी अवधि के दौरान ‘सी-विजिल’ ऐप के माध्यम से राज्य भर में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित 2,469 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से 2,452 शिकायतों (99.31 प्रतिशत) का तत्काल निस्तारण कर दिया गया।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कई क्षत्रपों का चुनावी भविष्य दांव पर लगा

महाराष्ट्र में बुधवार को होने वाले विधानसभा चुनावों में कई क्षत्रपों का चुनावी भविष्य दांव पर लगा हुआ है। राकांपा (एसपी) सुप्रीमो शरद पवार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपनी-अपनी पार्टियों के लिए लोगों का वोट हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। शरद पवार ने लोकसभा चुनाव में अजित पवार को बड़ा झटका दिया था, जिनके गुट को निर्वाचन आयोग ने असल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के रूप में मान्यता दी है। उन्हें विधानसभा चुनावों में भी प्रतिद्वंद्वी गुट को पटखनी देने का भरोसा है, जबकि अजित पवार अच्छे प्रदर्शन के साथ वापसी की उम्मीद कर रहे हैं।

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दूसरी ओर, शिवसेना के शिंदे और उद्धव गुटों की बात करें तो लोकसभा चुनाव में दोनों ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया था। ऐसे में जनता किसे पार्टी की विरासत का असल हकदार मानती है, इसका निर्धारण अब विधानसभा चुनाव के नतीजों से होने की उम्मीद है। निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को असल शिवसेना के रूप में मान्यता दी है। महाराष्ट्र में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार), उद्धव की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) का हिस्सा हैं। वहीं, सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं।

भाजपा महाराष्ट्र की 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना ने 81 और राकांपा ने 59 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, कांग्रेस 101, शिवसेना (उबाठा) 95 और राकांपा (एसपी) 86 सीटों पर किस्मत आजमा रही हैं। शिवसेना के दोनों धड़े 50 सीटों पर आमने-सामने हैं। वहीं, राकांपा के प्रतिद्वंद्वी गुटों ने 37 सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं। शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच की लड़ाई मुख्यत: ‘मुंबई का बादशाह कौन’ पर केंद्रित है। दरअसल, देश की आर्थिक राजधानी में पहले अविभाजित शिवसेना का दबदबा था, लेकिन अब पार्टी के दोनों गुट वहां आमने-सामने हैं।

वहीं, चाचा-भतीजे (शरद और अजित पवार) में पश्चिमी महाराष्ट्र में कांटे की टक्कर होने का अनुमान है, जिसे पवार परिवार का गढ़ माना जाता है। शरद पवार ने अपनी चुनावी रैलियों में क्षेत्र के मतदाताओं से बागियों (अजित पवार और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों) को हराने की अपील की है। वहीं, अजित पवार अपने चाचा के पक्ष में सहानुभूति की लहर पैदा होने के डर से उनके खिलाफ कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने से बचते दिखे हैं। लोकसभा चुनावों में राकांपा (एसपी) ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि राकांपा को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था। वहीं, शिवसेना (उबाठा) नौ सीटों पर विजयी रही थी, जबकि शिवसेना के खाते में सात सीटें गई थीं।

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झारखंड विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के लिए मंच तैयार

झारखंड में भी आज बुधवार को दूसरे और अंतिम चरण में कुल 81 विधानसभा सीटों में से 38 पर मतदान होगा, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) उम्मीदवार एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और विपक्ष के नेता एवं भाजपा उम्मीदवार अमर कुमार बाउरी सहित 528 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला होगा। राज्य में सत्तारूढ़ झामुमो नीत ‘इंडिया’ गठबंधन और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच कड़ी टक्कर है। पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को हुआ था।

बुधवार को 14,218 मतदान केंद्रों पर मतदान सुबह सात बजे शुरू होगा और शाम पांच बजे तक जारी रहेगा। इनमें से 31 मतदान केंद्रों पर मतदान शाम चार बजे समाप्त होगा। बुधवार को 60.79 लाख महिलाओं सहित कुल 1.23 करोड़ मतदाता मतदान करने के पात्र हैं। कुल मिलाकर 528 उम्मीदवार – 472 पुरुष, 55 महिलाएं और एक ट्रांसजेंडर- मैदान में हैं। झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन अपनी कल्याणकारी योजनाओं के दम पर सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है, जबकि भाजपा ने ”हिंदुत्व, बांग्लादेश से घुसपैठ और मौजूदा सरकार के भ्रष्टाचार” के मुद्दे उठाकर चुनावी मैदान में ताल ठोंकी है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी के. रवि कुमार ने कहा कि मतदान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और सभी बूथ के लिए मतदान कर्मियों को रवाना किया गया है। उन्होंने बताया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक करीब 200 करोड़ रुपये की अवैध सामग्री और नकदी जब्त की गई है। कुमार ने कहा कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित 90 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने बताया कि 38 सीट में से आठ अनुसूचित जनजातियों और तीन अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं।

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दीपक साहू

संपादक

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