मध्य प्रदेश के रायसेन में बड़ा धर्मांतरण कांड! 40 अनुसूचित जाति परिवारों ने अपनाया इस्लाम, जानिए पूरा मामला.

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मध्यप्रदेश
रायसेन/स्वराज टुडे: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के पापड़ा गांव में धर्मांतरण का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ अनुसूचित जाति के 40 परिवारों ने खुद को मुसलमान बताया है। अब तक ईसाई मिशनरियों पर लालच और धोखे से धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब इस्लाम को लेकर भी ऐसे ही सवाल उठने लगे हैं।

यह घटना समाज में नई बहस को जन्म दे रही है-क्या यह धर्मांतरण किसी दबाव, प्रलोभन या किसी खास रणनीति के तहत हुआ, या फिर इन परिवारों ने अपनी मर्जी से यह फैसला लिया? आइए विस्‍तार से समझते हैं इस मामले की गहराई।

पापड़ा गांव में नट समुदाय का धार्मिक परिवर्तन

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले का पापड़ा गांव ( गैरतगंज तहसील) एक दिलचस्प और संवेदनशील सामाजिक परिवर्तन का गवाह बन रहा है, जहां नट समुदाय के कुछ सदस्य अब खुद को मुस्लिम मानने लगे हैं। हालांकि उनके दस्तावेजों में वे अनुसूचित जाति (SC) के रूप में दर्ज हैं, लेकिन अब वे अपने बच्चों को कुरान की शिक्षा देने और इस्लामिक रीति-रिवाजों का पालन करने लगे हैं। इस परिवर्तन ने न केवल उनके धार्मिक जीवन को प्रभावित किया है बल्कि इससे प्रशासनिक और सामाजिक मुद्दे भी उत्पन्न हो रहे हैं।

बता दें पापड़ा गांव में नट समुदाय के लोग लंबे समय से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन अब बाहरी मौलवी और काजी इन समुदायों को इस्लामिक शिक्षा देने के लिए गांव में आते हैं। इसके परिणामस्वरूप अब ये परिवार अपने बच्चों को नमाज, कुरान और इस्लामिक शिक्षा दे रहे हैं।

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यह बदलाव केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। अब ये लोग मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद भी सरकारी योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति (एससी) के तहत ले रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ धर्मांतरण

पापड़ा गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि कुछ सालों पहले बाहरी मौलवी इस गांव में आकर इस्लाम की शिक्षा देने लगे थे। इसके बाद से गांव के नट समुदाय के कई परिवारों ने इस्लाम को अपनाना शुरू किया। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यह बदलाव बाहरी प्रभाव के कारण हुआ है।

आरक्षण और धर्मांतरण का मुद्दा

यह मामला समाज में आरक्षण, जाति और धर्मांतरण के बीच जटिल रिश्तों को उजागर करता है। एक ओर जहां यह धर्मांतरण धार्मिक विश्वास का प्रश्न है, वहीं दूसरी ओर यह आरक्षण के लाभ को लेकर भी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।

नट समुदाय के सदस्य अपनी जाति के आधार पर सरकारी सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं जबकि उनका धर्म परिवर्तन उनकी जाति और सामाजिक पहचान को प्रभावित कर रहा है।

धार्मिक विश्वास से लेकर सामाजिक और आर्थिक लाभ तक का सवाल?

धर्मांतरण ने पापड़ा गांव के समुदायों के धार्मिक जीवन को प्रभावित किया और समाज में कई सवाल खड़े किए हैं। बाहरी मौलवी और काजी इन हिंदू परिवारों को इस्लामिक शिक्षा दे रहे हैं जिससे बच्चों और परिवारों पर गहरा असर हो रहा है। यह घटना धर्म, जाति, आरक्षण और समाज में बदलाव की दिशा को लेकर बहस को जन्म देती है। यह सवाल उठाती है कि धर्मांतरण सिर्फ धार्मिक विश्वास का परिवर्तन है या एक सामाजिक और इस्लाम रणनीति का हिस्सा बन चुका है।

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यह कहानी एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे समाज में धर्म, जाति और आरक्षण के मुद्दे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। पापड़ा गांव की यह स्थिति उन मुद्दों को उजागर करती है जिन पर आजकल गंभीर विचार-विमर्श की आवश्यकता है। नट समुदाय के लोग तेजी से इस्लाम अपना रहे हैं। अब यह सवाल उठता है कि सरकार कब इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देगी। समाज में हो रहे इस बदलाव का समाधान ढ़ूंढ़ने के लिए सरकार और समाज को मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता है ।

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दीपक साहू

संपादक

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