Featuredधर्म

भगवान की कथा मन से नहीं सुनने के कारण ही जीवन में पूरी तरह से धार्मिकता नहीं आ पाती – रमाकांत मिश्र जी महाराज

Spread the love

जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी – रमाकांत मिश्र जी महाराज

भोपाल /स्वराज टुडे: श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा वाचक रमाकांत जी महाराज ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।

कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।

मानव जीवन का उद्देश्य क्या है? जीवन भर जीव को क्या करना चाहिए ?

ये मानव जीवन बहुत दुर्लभ है। जिस व्यक्ति को मानव जीवन मिल जाये उसे सिर्फ भगवान की भक्ति करनी चाहिए। सच्चे माता- पिता वही होते है जो अपने बच्चों को धर्मात्मा बनाये और उन्हें भक्ति का सही मार्ग दिखाए। पूज्य महाराज श्री ने परीक्षित जी महाराज के प्रसंग को प्रारंम्भ करते हुए कहा कि जब परीक्षित जी महाराज को पता चला कि सातवें दिन उनकी मृत्यु निश्चित है तो अपना सब कुछ त्याग दिया और शुकदेव जी से पूछा जिसकी मृत्यु निश्चित हो उसे क्या करना चाहिए और मृत्यु हमारे जीवन का कटु सत्य है। हम इस संसार मे खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जायेंगे। यह पता होने के बावजूद भी हम अपना सारा जीवन सांसारिक भोगविलास में गुजार देते हैं। और प्रभु ने हमें जिस कार्य मानव जीवन दिया है उससे हम भटक जाते है। शुकदेव जी ने परिक्षित जी महाराज से कहा हे राजन जिसकी मृत्यु निश्चित हो उसे भागवत कथा श्रवण करनी चाहिए।उसी प्रकार हमें भी सच्चे मन से भागवत कथा श्रवण करनी चाहिए। और भगवान की भक्ति करनी चाहिए।

ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि किस तरह ध्रुव ने अपनी बाल अवस्था में भगवान के दर्शन किये। और जो चाहा वो अपने सच्चे दृढ़ निश्चय के साथ पा लिया। कथा के मध्य वामन अवतार की सुन्दर झल्की दिखाई गई जिसे देखकर सभी भक्त भाव विभोर हो गये। आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया जायेगा सभी भक्तों से आग्रह है कि आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर सभी भक्त सादर आमंत्रित है। कथा श्रवण के लिए जीव जंतु पशु कल्याण बोर्ड भारत सरकार के मानद प्रतिनिधि अनोखे लाल द्विवेदी भी सम्मिलित हुए। कथा के अंत में महाराज श्री एवं मुख्य यजमान अग्रवाल रिवार सहित आरती कर आर्शीवाद प्राप्त किया।

Deepak Sahu

Editor in Chief

Related Articles

Back to top button