ब्रेन ट्यूमर : विभिन्न वजहों से ब्रेन ट्यूमर के मामलों में पिछले कुछ वर्षों से लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। जब मस्तिष्क की कोशिकाएं किसी वजह से असामान्य रूप से वृद्धि करते हुए गुच्छा बना लेती हैं तो वह गांठ के तौर पर दिखाई देती हैं। इसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है।
ब्रेन ट्यूमर के क्या हैं लक्षण
किसी भी व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर होने पर सिरदर्द, उल्टी, चक्कर आना, धुंधला दिखाई देना, किसी एक अंग या चेहरे में शून्यता पैदा होना, बेहोशी होना या दौरे पड़ना, पढ़ने-लिखने में मुश्किल होना, याददाश्त कम होना, मूड रिवर्स होना, सुनने व बोलने में दिक्कत इत्यादि इसके कई लक्षण हो सकते हैं। अगर ये लक्षण किसी भी व्यक्ति में दिखाई देते हैं तो उसे तत्काल किसी अच्छे न्यूरो हॉस्पिटल में ले जाना चाहिए। जरा भी लापरवाही मरीज की जान के लिए खतरे का सबब बन सकती है।
क्या कहते हैं न्यूरो सर्जन
न्यूरो विशेषज्ञों के अनुसार ब्रेन ट्यूमर दिमाग के किसी भी हिस्से में हो सकता है। बिनाइन (कैंसर रहित) और मालिगनेंट(कैंसर युक्त) दोनों हो सकता है। इसके कैंसरयुक्त होने पर जीवन का खतरा अधिक हो जाता है। यह तेजी से शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकते हैं। ट्यूमर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में 2020 में करीब 4200 ऐसे बच्चों में ब्रेन ट्यूमर होने का पता चला जिनकी उम्र 15 वर्ष से भी कम थी।
ब्रेन ट्यूमर होने के हो सकते हैं कई कारण
नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी के डायरेक्टर व पीजीआइ चंडीगढ़ के पूर्व कंसल्टेंट रहे डा. राहुल गुप्ता कहते हैं कि ब्रेन ट्यूमर होने की कोई एक वजह नहीं है। इसके अनेकों कारण हो सकते हैं। मगर रसायनों और रेडिएशन के अधिक संपर्क में रहने, जेनेटिक कारणों और विभिन्न पर्यावरणीय खतरे इत्यादि वजह हो सकते हैं। कई बार यह अज्ञात कारणों से भी हो सकता है। दिमाग के किसी भी हिस्से में ब्रेन ट्यूमर विकसित हो सकता है। कई बार दिमाग में ऐसे जटिल स्थान पर हो सकता है, जहां से सर्जरी करके इसे निकालना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसलिए इसके इलाज के लिए अच्छे न्यूरो सर्जन और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का ही चुनाव करें। इसका इलाज दवा, सर्जरी और रेडिएशन के जरिये परिस्थिति के अनुसार किया जाता है।
ब्रेन ट्यूमर होने पर क्या होता है
डॉ. राहुल गुप्ता कहते हैं कि ब्रेन में आगे का हिस्सा फ्रंटल रिजन, बाईं तरफ का हिस्सा टेंपोरल रिजन, दाईं तरफ का हिस्सा पैरेंटल रिजन और दिमाग के पीछे का हिस्सा आक्सीपिटल रिजन कहलाता है। इनमें से जिस भी हिस्से में ट्यूमर होगा उससे संबंधित क्षेत्र प्रभावित होंगे। अगर दिमाग में बाईं ओर ट्यूमर है तो उस ओर का अंग प्रभावित होगा। इसमें सुनने में दिक्कत हो सकती है। इसी तरह दाईं ओर है तो उस ओर के अंग में दिक्कत आ सकती है। आक्सीपिटल एरिया में ट्यूमर होने पर दृष्टि में समस्या और सीखने में मुश्किल आ सकती है। फ्रंटल रिजन में होने पर बोलने में समस्या आ सकती है। ब्रेन ट्यूमर जितना जल्दी पकड़ में आता है, मरीज के ठीक होने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है। सीटी स्कैन या एमआरआइ करके इसका पता लगाया जाता है। इलाज में किसी तरह की लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
Editor in Chief