नई दिल्ली/स्वराज टुडे: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को यूपी में बड़ा झटका लगा है। साल 2019 में यहां 62 लोकसभा सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 33 सीटों पर ही सिमट कर रह गयी। चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी अब चुनाव परिणाम का रिव्यू करने जा रही है।
यूपी में बीजेपी वोट न मिलने को लेकर कई बिंदुओं पर मंथन करेगी। इन्हीं सवालों में से एक सवाल पसमांदा मुस्लिम समाज द्वारा उसे पूरी तरह से नकार देना है। इस समाज ने बीजेपी की पूरी अपेक्षाओं पर पानी फेर दिया ।
बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिम समाज को दी थी खास तवज्जो
यूपी में बीजेपी पसमांदा मुस्लिम समाज को खास तौर पर टारगेट कर रही थी। पसमांदा मुसलमानों के लिए बीजेपी सरकार द्वारा खास दौर पर प्रोग्राम चलाए गए थे। मुसलमानों के इस समुदाय को कितनी तवज्जो दी गई थी, इसका अनुमान आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि इसके नेताओं को सरकार और पार्टी- दोनों में जगह दी गई थी। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी सभाओं में पसमांदा समाज के पिछड़ेपन का कई बार जिक्र किया और सपा व कांग्रेस पर इसकी उपेक्षा करने का आरोप लगा लगाया।
जानिए कौन हैं पसमांदा मुसलमान ?
पसमांदा एक पर्सियन शब्द है। इसका मतलब है “पीछे छूटे हुए लोग”। मुस्लिमों में पसमांदा शब्द का इस्तेमाल समाज में पिछड़े, दलित और आदिवासी तबके की पहचान बन गई है। पसमांदा मुसलमान उत्तर प्रदेश की मुस्लिम आबादी का लगभग 80% हैं। यूपी के जिन जिलों में पसमांदा मुस्लिमों की संख्या काफी ज्यादा है, उनमें मऊ, गाजीपुर, आज़मगढ़ और वाराणसी शामिल हैं।
मुस्लिमों के इस वर्ग को रिझाने के लिए बीजेपी कई तरह के आउटरीच प्रोग्राम चला रही थी। पार्टी द्वारा पसमांदाओं को अपने पाले में लाने के लिए कई तरह के सम्मेलन, स्नेह यात्राओं का आयोजन किया गया। पसमांदा मुसलमानों और मुस्लिमों के अन्य वर्गों में अंतर दिखाने के लिए बीजेपी ने इस साल की शुरुआत में कौमी चौपालों का भी आयोजन किया था।
जुलाई 2022 में हैदराबाद में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में पसमांदा मुसलमानों पर फोकस करने की योजना बनाई गई थी। इस योजना पर बीजेपी द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी की सभी समुदायों के “वंचित और दलित” वर्गों तक पहुंचने की अपील के बाद शुरू किया गया। उस समय यूपी बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, उस साल हुए विधानसभा चुनावों में पसमांदा समुदाय के करीब 8% वोटर्स द्वारा पार्टी का समर्थन किए जाने के बाद बीजेपी उत्साहित थी। लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस के गठबंधन होने के बाद भी बीजेपी को उम्मीद थी कि उसे पसमांदा मुसलमानों से और समर्थन मिलेगा।
दानिश आजाद को बनाया MLC, दिया मंत्री पद
विधानसभा चुनाव 2022 के बाद बीजेपी ने दानिश आजाद अंसारी को एमएलसी बनाया और फिर राज्य सरकार में मंत्री पद दिया। दानिश आजाद पसमांदा मुस्लिम समाज से आते हैं। वह वर्तमान में यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज राज्य मंत्री हैं। उनके अलावा बीजेपी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को भी एमएलसी बनाया और उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया। पिछले साल के स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान, बीजेपी ने 300 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से लगभग 90% पसमांदा थे।
मुस्लिम महिलाओं पर भी था बीजेपी का फोकस
अपने चुनावी भाषणों में पीएम नरेंद्र मोदी अकसर पसमांदा मुसलमानों का जिक्र करते थे। उन्होंने एक रैली में कहा था कि उन्हें मुस्लिम महिलाओं का आशीर्वाद भी प्राप्त है। बीजेपी मानती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं ने उन्हें वोट दिया है। बीजेपी यह भी आरोप लगाती है कि कांग्रेस और सपा दोनों ने तुष्टिकरण के नाम पर केवल चुनिंदा अल्पसंख्यक नेताओं को लाभ पहुंचाया और पसमांदाओं की उपेक्षा की।
हमें ऐसे परिणाम की उम्मीद नहीं थी- यूपी बीजेपी चीफ
हाल ही में लखनऊ स्थित बीजेपी दफ्तर में हुई एक रिव्यू मीटिंग के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि हमने नतीजों को स्वीकार कर लिया है और हम जनता के फैसले के आगे नतमस्तक हैं। लेकिन एक राजनीतिक संगठन के तौर पर हमने अपने सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से लोकसभा सीटवार कैंप करने और जानकारी जुटाने को कहा है। इस जानकारी के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे। हम उन सभी कारणों को समझने की कोशिश करेंगे, जिनकी वजह से हमें अपेक्षित नतीजे नहीं मिल पाए।
यूपी बीजेपी अल्पसंख्या मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बसित अली ने कहा कि यह सच है कि पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत कुछ किया गया है, संगठन में पद देने से लेकर MLC बनाने तक और यहां तक कि मंत्री पद भी दिए गए हैं। पसमांदा मुसलमानों को PM AWAS के तहत 20 लाख घर और 2.61 करोड़ राशन कार्ड प्रदान किए गए हैं। बुनकर समुदाय के लिए भी विशेष पहल की गई है… लेकिन इन सबके बावजूद, समुदाय ने शायद ही हमारे उम्मीदवारों को वोट दिया हो। हम कारणों का एनालिसिस कर रहे हैं।
पसमांदा मुस्लिमों का 1% वोट भी नहीं मिला?
बीजेपी सूत्रों की मानें तो यूपी के पश्चिमी हिस्से में पार्टी को पसमांदा मुसलमानों का कुछ वोट जरूर मिला है लेकिन यह कैराना, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर जीतने के लिए काफी नहीं था। सूत्रों की मानें तो काफी सीटों में बीेजपी को एक फीसदी वोट भी नहीं मिला।
सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पसमांदा मुस्लिम बहुल इलाकों में बूथ एनालिसिस से पता चला कि बीजेपी को समुदाय के सिर्फ 10% वोट मिले। हालांकि, बीजेपी को मुस्लिम राजपूतों, जाटों, त्यागियों, अशरफों, पठानों और तुर्कों सहित हाई कास्ट मुसलमानों के कुछ वोट मिले।
बीजेपी पसमांदा मुस्लिमों को मनाने में क्यों विफल रही, इस पर चिंतन की जरूरत की बात करते हुए पार्टी के एक नेता कहते हैं कि हमें बारीकी से विचार करने की जरूरत है। ओम प्रकाश राजभर के बेटे घोसी लोकसभा से चुनाव लड़े, यहां पसमांदा मुस्लिमों यानी अंसारियों की आबादी काफी ज्यादा है। इस सीट पर दानिश अंसारी को कैंप करवाया गया था फिर भी यहां सपा के भूमिहार नेता की जीत हुई।
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