डैमेज कंट्रोल में जुटा कमला नेहरू महाविद्यालय प्रबंधन, प्रेसवार्ता आयोजित कर गिनाई कॉलेज की उपलब्धियां…लेकिन समस्याएं जस की तस

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: कमला नेहरू महाविद्यालय समिति कोरबा के अध्यक्ष किशोर शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ आर.सी. पांडेय, सचिव सुरेंद्र लांबा, सहसचिव उमेश लांबा और प्रभारी प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर की उपस्थिति में गुरुवार को प्रेस क्लब तुलसी भवन में प्रेसवार्ता आयोजित की गई ।
दरअसल पिछले कुछ सालों में महाविद्यालय परिसर में लगातार फर्जी नियुक्ति, दुर्व्यवहार, वेतन विसंगति, कदाचरण और एक दूसरे को साजिश के तहत झूठे मामलों में फंसाने को लेकर शिकायतें महाविद्यालय प्रबंधन, पुलिस और महिला आयोग से की गई है जिसके चलते महाविद्यालय की गरिमा धूमिल हुई । सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसका सीधा असर विद्यार्थियों के एडमिशन पर पड़ा है । आलम ये है कि महाविद्यालय के पास अपने स्टाफ को सैलरी देने के लिए फंड नहीं है । यही वजह है कि इस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रेस वार्ता आयोजित की गई।

इस दौरान अध्यक्ष किशोर शर्मा ने महाविद्यालय की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि यह प्रतिष्ठित महाविद्यालय अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ से संबद्धता व उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन से मान्यता प्राप्त है। इस महाविद्यालय के कैंपस से पढ़कर निकले युवा देश दुनिया में कोरबा और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं ।

संस्था का मूल ध्येय केवल क्षेत्र के आदिवासी युवाओं और हर वर्ग के लिए उच्च शिक्षा की उत्कृष्ट सेवा उपलब्ध कराना रहा है। इस महाविद्यालय ने अपनी सुविधाओं, संसाधनों, कुशल अकादमिक तंत्र और प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के निर्माण के अपने मिशन से प्रदेश स्तर पर भी एक पृथक पहचान स्थापित की है ।

श्री शर्मा ने बताया कि पिछले माह 9 विद्यार्थियों के 3 शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जनरल में प्रकाशित हुए हैं । वहीं 41 विद्यार्थी सीटेट में सफल हुए हैं । वहीं वर्ष 2021 से 2023 तक 17 विद्यार्थियों ने यूनिवर्सिटी टॉप किया है ।

इस प्रेसवार्ता के दौरान महाविद्यालय में व्याप्त समस्याओं को लेकर भी समिति के अध्यक्ष किशोर शर्मा से जवाब तलब किया गया जिसमें उन्होंने एक सधा हुआ जवाब दिया।

महाविद्यालय में दर्ज है शिकायतों की लंबी फेहरिस्त

आपको बता दें कि महाविद्यालय में अनेक शिकायतें लंबित है जिनके समाधान नहीं होने से प्रार्थी मानसिक रूप से काफी आहत और परेशान हैं । समस्त शिकायतों पर बिंदूवार नजर डालें :

1) यूजीसी नॉर्म्स के विरुद्ध एक लाइब्रेरियन को महाविद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया है । इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर की गई है । फिलहाल मामला हाईकोर्ट में लंबित है ।

2) CPE (colleges with potential for excellence) के नियमानुसार उसी महाविद्यालय को अनुदान देने का प्रावधान है जहां नियमित प्राचार्य की नियुक्ति हुई हो और उन्होंने उसी महाविद्यालय में कम से कम 3 वर्ष तक अपना कार्यकाल पूर्ण कर लिया हो लेकिन कमला नेहरू महाविद्यालय में तो नियमित प्राचार्य की नियुक्ति ही नहीं हुई है फिर वर्ष 2019 में महाविद्यालय को 90 लाख रुपए का अनुदान कैसे प्राप्त हो गया ये जांच का विषय है ।

3) कमला नेहरू महाविद्यालय में वेतन विसंगति एवं नियुक्ति संबंधी समस्त अनियमितताएं व्याप्त है। जिस के संबंध में महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों द्वारा महाविद्यालय प्रबंधन के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को समय-समय पर उनके साथ होने वाली समस्त घटनाओं का उल्लेख करते हुए मौखिक एवं लिखित रूप से जानकारी दी गई परंतु उस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही महाविद्यालय द्वारा ना किए जाने पर सहायक प्राध्यापकों के द्वारा विश्वविद्यालय स्तर पर शिकायत की गई है । इसमें प्रमुख रूप से उनकी वरिष्ठता एवं वेतनमान से जुड़े मुद्दे हैं।

4) वर्ष 2007 में नियुक्त हुई जंतु विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ सुनीरा वर्मा की 9 वर्षों तक अनुपस्थित रहने के बावजूद वर्ष 2017 में उन्हें उसी पद को जीवित रखते हुए नियुक्ति की गई। यह पूर्णतः सेवा संबंधी नियमों की अवहेलना परिलक्षित होती है जिस पर महाविद्यालय प्रशासन से सवाल पूछने पर मौन साधे हुए हैं। 06/5/2022 को सहायक प्राध्यापकगणों द्वारा जिसमें वेदव्रत उपाध्याय, रुपेश मिश्रा, दीप्ति सिंह , एम.मंजू, निधि सिंह, गायत्री साहू एवं सुमित बनर्जी एवं अन्य सहायक प्राध्यापकों जिसमें नितेश यादव, शंकर लाल यादव द्वारा भी की गई लेकिन इस पर भी प्रबंधन ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की।

5) विशेष रूप से यह भी स्पष्ट करते चलें कि इनमें से ही कुछ सहायक प्राध्यापकों के नियुक्ति एवं वेतन संबंधी प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ में लंबित हैं एवं कुछ के आदेश आ चुके हैं जिस पर प्रबंधन द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है यह देखना शेष है।

6) वर्ष 2017 में शिक्षा संकाय के शैक्षणिक भ्रमण के दौरान विभाग के ही चार सहायक प्राध्यापकों पर सहायक प्राध्यापिकाओं और छात्राओं से छेड़छाड़ का आरोप लगा। जिसमें कुछ छात्राओं से कोरे कागज पर उनका हस्ताक्षर लेकर उन्हें झूठा गवाह बनाया गया था। इसमें मुख्य साजिशकर्ता बीएड की ही सहायक प्राध्यापिका खुशबू राठौर का नाम सामने आया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारी प्रोफेसर एस.सी.तिवारी ने फर्जी शिकायत करने वाली सहायक प्राध्यापिकाओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की अनुशंसा महाविद्यालय प्रबंधन से की थी लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया । चारों पीड़ित प्राध्यापक आज भी न्याय से वंचित हैं ।

7) मार्च 2022 में विद्यार्थियों ने विभागाध्यक्ष के नाम लिखित में शिकायत की थी कि सहायक प्राध्यापिका खुशबू राठौर और कंप्यूटर के सहायक प्राध्यापक अभिषेक तिवारी को साइंस लैब में आपत्तिजनक हालत में देखे गए हैं । लेकिन प्रबंधन के संज्ञान में आने के बाद भी ना तो इस शिकायत की जांच की गई और ना उन दोनों पर कोई कार्रवाई । नतीजा ये हुआ कि 5 नवंबर 2022 को सहायक प्राध्यापक अभिषेक तिवारी की पत्नी ने दोनों को साइंस लैब में ही संदेहास्पद स्थिति में पकड़ लिया जिससे महाविद्यालय में काफी हंगामा हुआ और मामले को तूल पकड़ता देख 9 नवंबर 2022 को प्रबंधन ने आनन फानन में दोनों को निलंबित कर दिया । आंतरिक परिवाद समिति की बैठक में अभिषेक तिवारी द्वारा माफीनामा देने बाद दोनों सहायक प्राध्यापकों का निलंबन वापस ले लिया गया लेकिन उन दोनों के बीच प्रेम प्रसंग आज भी जारी है जिसकी तस्दीक महाविद्यालय के स्टाफ एवं विद्यार्थियों से गोपनीय रूप से पूछताछ करके की जा सकती है। हैरानी की बात ये है कि महाविद्यालय प्रबंधन को दोनों के प्रेम संबंधों की पूरी जानकारी है ।

8) बीएड की सहायक प्राध्यापिका खुशबू राठौर पर विभागाध्यक्ष, सहकर्मियों और विद्यार्थियों ने भी गाली गलौच और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है । इसके अलावा खुशबू राठौर पर छात्रों और सहायक प्राध्यापकों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनका शोषणकर उनकी गृहस्थी को बरबाद करने का भी आरोप है । उक्त सहायक प्राध्यापिका के पति उमाकांत राठौर ने भी अपनी पत्नी पर महाविद्यालय के एक अन्य सहायक प्राध्यापक के साथ प्रेम संबंध का आरोप लगाया था । बाद में 19 सितंबर 2020 को उमाकांत ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी । खुशबू राठौर के अनैतिक संबधों की शिकायत कोतवाली पुलिस और महिला आयोग के समक्ष भी दर्ज कराई गई हैं । वहीं महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपपुरकर का संरक्षण मिलने से खुशबू राठौर पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं हुई । बता दें कि उक्त सहायक प्राध्यापिका को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि वो बहुत ही खतरनाक महिला है जो किसी के भी साथ कुछ भी कर सकती अथवा करवा सकती है । उसका स्थान जेल होना चाहिए लेकिन वो महाविद्यालय में अध्यापन कार्य करा रही है ।

9) महाविद्यालय में चल रहे प्रेम प्रसंग की खबर नवंबर 2022 में प्रकाशित करने से नाराज सहायक प्राध्यापिका खुशबू राठौर के रिश्तेदार सहायक प्राध्यापक ओ.पी. साहू और अभिषेक तिवारी ने स्वराज टुडे न्यूज के संपादक को देख लेने की धमकी दी थी । लिहाजा जान का खतरा भांपते हुए संपादक द्वारा तत्काल इसकी शिकायत कोतवाली पुलिस और महाविद्यालय में दर्ज कराई गई है ।

10) महाविद्यालय के बीएड संकाय में पदस्थ सहायक प्राध्यापक कुणाल दास गुप्ता और राकेश गौतम पर फर्जी डिग्री के माध्यम से नौकरी करने का आरोप है जिस पर प्रबंधन का कहना है कि उनकी नियुक्ति समिति ने नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी ने की है इसलिए प्रबंध समिति पर आरोप लगाना गलत है ।

11) महाविद्यालय में पिछले सत्र हिंदी इंग्लिश, भौतिक और जूलॉजी विषयों की पढ़ाई नहीं हुई थी । परेशान विद्यार्थियों ने कहा था कि प्राध्यापक कॉलेज तो आते हैं लेकिन क्लास नहीं लेते । वहीं छात्र नेताओं ने भी 7 नवंबर 2022 को प्रबंधन को ज्ञापन सौंपकर संबंधित विषयों की नियमित अध्यापन की मांग की थी । आपको बता दें कि यहां के विद्यार्थी शिकायत करने खुलकर सामने आने से भी कतराते हैं क्योंकि उन्हें भय है कि प्रबंधन द्वारा उनके भविष्य को खराब कर दिया जाएगा ।

गुरुवार को आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान महाविद्यालय प्रबंधन को प्राप्त विभिन्न शिकायतों में से कुछ का जवाब समिति के अध्यक्ष किशोर शर्मा ने बखूबी दिया है जिसे आप भी सुनिए..

अगर कमला नेहरू महाविद्यालय प्रबंधन को अपने महाविद्यालय की गरिमा को बचाना है तो समस्त शिकायकर्ताओं की शिकायतों पर गंभीरता से विचार करते हुए उसका तत्काल निराकरण करना अति आवश्यक है । वहीं जिन प्राध्यापकों के चरित्र पर दाग  है उन्हें संरक्षण देने की बजाय तत्काल बाहर का रास्ता दिखाएं ताकि शिक्षा के मंदिर की पवित्रता को बरकरार रखा जा सके ।

 

 

दीपक साहू

संपादक

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