‘टूटा शिवलिंग, खंडित गणेश-हनुमान की मूर्तियां…’, ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्ट की तस्वीर में दिखे कई सच, ओवैसी ने बोला तीखा हमला

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उत्तरप्रदेश
वाराणसी/स्वराज टुडे: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट ने विवाद की एक नई लहर पैदा कर दी है। एएसआई रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण वाली जगह पर एक हिंदू मंदिर था।

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर हिंदू देवताओं की मूर्तियों और अन्य प्रतिमाओं के टुकड़े दिखाई देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। एएसआई रिपोर्ट में इन खंडित हिंदू देवताओं की मूर्तियों की तस्वीरें हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हनुमान, गणेश और नंदी जैसे हिंदू देवताओं की टूटी हुई मूर्तियों की तस्वीर सामने आई है। तस्वीरों में कई योनिपट्टों (शिवलिंग का आधार) की खोज के साथ-साथ एक शिव लिंग का भी पता चला है, जिसका निचला हिस्सा या आधार गायब है।

जानें किन-किन देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित मिली

● एएसआई रिपोर्ट द्वारा जारी की गयी एक तस्वीर में संगमरमर से बनी भगवान हनुमान की मूर्ति दिखाई दी है, जिसका बायां हाथ गायब है।
● एक अन्य तस्वीर जो सामने आई है, उसे रिपोर्ट में टेराकोटा से बनी भगवान गणेश की मूर्ति बताया गया है। जो खंडित है।
● एएसआई की सर्वेक्षण टीम द्वारा ली गई तस्वीर में एक ‘योनिपट्ट’ दिखाया गया है जिसके पतले हिस्से पर एक सांप की आकृति दर्शाई गई है।
● एएसआई की सर्वेक्षण टीम द्वारा ली गई तस्वीर में एक टूटा हुआ ‘शिव लिंग’ भी दिख रहा है…जिसका ‘योनिपट्ट’ गायब दिख रहा है।
● इसके अलावा सिक्के, फारसी में खुदा हुआ एक बलुआ पत्थर का स्लैब, एक मूसल और अलग-अलग अवस्था में क्षतिग्रस्त मूर्तियों के अवशेष भी बरामद हुए हैं।
● हिंदू पक्ष का दावा है कि 839 पन्नों की रिपोर्ट और तस्वीरें इस बात का सबूत देते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के खंडहरों के ऊपर बनाई गई थी।

मस्जिद बनाने के लिए मंदिर के शिलालेखों का ही किया गया उपयोग

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। सर्वे में कई बड़े चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि ASI ने कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। उसके शिलालेख को पुन: उपयोग कर ये मस्जिद बनाया गया। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख मिले हैं। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं।

यह ASI का निर्णायक निष्कर्ष है। एएसआई की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से ही अब ज्ञानवापी का मुद्दा गरमाने लगा है। इस पूरे मामले पर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भी बयान सामने आया है।

ASI रिपोर्ट पर भड़के ओवैसी

एएसआई रिपोर्ट के एक हिस्से में कहा गया है कि वैज्ञानिक अध्ययन/सर्वेक्षण के आधार पर वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों शिलालेखों, कला और मूर्तियों का अध्ययन किया गया। यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा है कि यह रिपोर्ट पेशेवर पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में टिक नहीं पाएगा। रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मज़ाक उड़ाती है। जैसा कि एक महान विद्वान ने एक बार कहा था एएसआई हिंदुत्व की गुलाम है।

दीपक साहू

संपादक

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