क्या कलयुग का अंत समीप है? जानिए क्या कहते हैं धर्मशास्त्र

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मित्रो हम आज इस कलयुग में जी रहे हैं उस कलयुग का अंत भी एक दिन जरूर होगा। उसका भविष्य जानने के लिए विज्ञान तरह तरह की खोज कर रहा है । लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस युग के शुरू होने से हजारों साल पहले ही हमारे धर्मग्रंथों में इसके बारे में कई ऐसी भविष्यवाणियां की गई है जो आज सच साबित हो रही है ।

धर्मशास्त्रों में कलयुग का अंत किस प्रकार होगा इसके बारे में कई तरह की भविष्यवाणियां की गई है । यहाँ तक कि इंसान की औसत आयु से लेकर उसके आचार व्यवहार और उसकी धर्मपरायणता को लेकर कई तरह की बातें हमारे धर्मशास्त्रों में भी मिल जाएगी । ऐसे ही सच हो रही कुछ भविष्यवाणियों के बारे में आपको आज बताऊँगा जिसे हजारों साल पहले हमारे धार्मिक भगवत पुराण में बताया गया है ।

आज इस युग में जो हम देख रहे हैं कि धर्म का लोप हो रहा है और लोग दिखावे की चीजों में लीन है। धर्मशास्त्र की कही गई बातों पर लोग सवाल उठा रहे हैं और विज्ञान की तरक्की हर चीज को साबित करने की होड़ मची है । इसके अलावा लिव इन रिलेशनशिप जैसे नए खयाल और खुद को ज्यादा ज्ञानी बताने वाले पाखंडी बाबाओं का दौर चल रहा है ।

इन सभी कलयुग के दुष्परिणामों और कलयुग का अंत किस प्रकार होगा इस के बारे में पहले ही हिन्दू धर्मग्रंथों में लिखा जा चुका है । अगर ये कहें कि हिंदू धर्मग्रंथों में जो लिखा जा चुका है, वही चीजे आज घटित हो रही है तो शायद आश्चर्य नहीं होगा। जिस तरह से आजकल के लोगों का आचार व्यवहार और एक दूसरे के प्रति नजरिया हो गया है, उन बातों का उल्लेख हमें धर्मग्रंथों में मिलता है ।

कलयुग के अंत में दिखेंगे यह लक्षण

कलयुग का अंत होते होते क्या लक्षण देखने को मिलेंगे
श्रीमद्भगवत महापुराण में लिखा है कि कलयुग में न्याय केवल शक्ति यानी ताकत के आधार पर लागू होगा । धर्म और न्याय की बातें अन्य युगों की तरह प्रासंगिक नहीं होगी । जो मनुष्य होगा जो रिश्वत देने में असमर्थ होगा उसे उचित न्याय नहीं मिल सकेगा । जिस व्यक्ति के पास जितना धन होगा वो उतना ही गुणवान और ज्ञानी माना जाएगा ।

विवाह का पवित्र बंधन हो जाएगा खत्म, लिव इन रिलेशनशिप की चलेगी परम्परा 

चालाक और स्वार्थी लोग ही इस युग में विद्वान माने जाएंगे । यहाँ तक कि ब्राह्मण एक धागा पहनकर विद्वान होने का दावा करेंगे । इसके अलावा आज जिससे हम और आप लिविंग रिलेशिनशिप कहते हैं उस बात की भविष्यवाणी पहले ही पुराणों में कर दी गई थी । श्रीमद्भगवत पुराण में लिखा है कि कलयुग में पुरुष और स्त्री बगैर विवाह के ही एक साथ रहेंगे और आपने पुराणों की इस भविष्यवाणी को सच साबित होते हुए देखा ही होगा ।

लोग बीमारियों से रहेंगे परेशान, उम्र भी घटेगी

सबसे खास बात जो कही गई है वो इंसानों की उम्र को लेकर है । इसमें लिखा गया है कि इस युग में इंसानों की उम्र कम हो जाएगी। और कलयुग के अंत होते होते इंसानों की उम्र घटकर बीस से तीस साल रह जाएगी । हो सकता है ये सुनकर आपको यकीन नहीं हो रहा हो लेकिन जरा सोचिए कि सतयुग, द्वापरयुग और त्रेता युग में कैसे ऋषिमुनि सैकड़ों सालों तक जीवित रहते थे और तपस्या करते थे । ऋषिमुनियों के साथ साथ ही आम इंसानों की जिंदगी भी कई सौ साल हुआ करती थी लेकिन समय के साथ यह घटता जा रहा है ।

कलयुग में बीमारियां बढ़ेगी और लोग अस्वस्थ रहेंगे
आपको याद हो तो बीसवीं सदी में ही कई ऐसे लोग होंगे जिनकी उम्र सौ साल तक रही होगी । लेकिन अब ऐसे लोग काम ही देखने को मिलते हैं । आजकल औसत उम्र पचास साठ वर्ष ही मानी जाती है । अभी कलयुग के पाँच हजार साल ही बीते है । ऐसे में तीन लाख छियानबे हजार साल बाद कलयुग के मध्य आते आते ये बातें भी सच होने लगेंगी ।

माता पिता का किया जाएगा तिरस्कार

मित्रों उम्र के अलावा लोगों में भी इस बात का भी जिक्र है कि लोग तरह तरह की बीमारियों से ग्रस्त रहेंगे । कोई भी सुखी नहीं रहेगा । जिस तरह बाकी के युगों में लोग बड़ों का सम्मान और माता पिता का सम्मान करते थे वैसा कलयुग में नहीं रह जाएगा । इस युग में लोग माता पिता की निंदा करेंगे । यहाँ तक की नदी, तालाबों और पत्थरों की लोग पूजा करेंगे लेकिन माँ बाप का सम्मान नहीं करेंगे।

बाड़ और सूखे से लोग परेशान रहेंगे

लोगों का लक्ष्य समाज का कल्याण नहीं बल्कि अपना पेट भरना होगा । शारीरिक सुंदरता ही सबसे बड़ी बात रह जाएगी। कलयुग का अंत आते आते उदर पोषण ही जीवन का लक्ष्य बन जायेगा और लोग अंतःकरण की बजाय शारीरिक शुद्धि को ही तवज्जो देंगे । लोगों के प्रकृति से विमुख होने का परिणाम ये होगा कि कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि यानी अत्यधिक बारिश की समस्या होगी ।।

धरती के किसी हिस्से में लोग बाढ़ से तबाह होंगे तो दूसरे हिस्से में सूखे के भीषण प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। यही नहीं बाड़ और सूखा कलयुग में विनाश का कारण बनेंगे और हाल ही के दिनों में जब अत्यधिक बारिश होती है तो कई राज्यों में यहाँ तक कि दुनिया के कई हिस्सों में बाड़ से तबाही मच जाती है ।

पूजा पाठ करने और धर्म को मानने का दिखावा

उधर सूखे का तो आपको पता ही होगा कि उत्पादन ना होने की वजह से किसान खुदकुशी तक कर लेते हैं । कुल मिलाकर हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि पृथ्वी पर धर्म का लोप हो जाएगा । लोग धर्म को दिल से मानने की बजाय दिखावे का नाटक करेंगे । यहाँ तक कि पंडितों का सम्मान से लेकर भगवान की पूजा तक लोग दिखावे के लिए करेंगे।

कालययुग का अंत आते आते लोग फर्जीबाड़े में लग जायेंगे

सत्ता हासिल करने के लिए लोग किसी भी हद तक गिर सकते हैं । यहाँ तक कि एक दूसरे की हत्या करने से भी नहीं चूकेंगे । ये ऐसा युग होगा जिसमें झूठी प्रतिष्ठा के लिए लोग कुछ भी करने पर उतारू हो जाएंगे । मित्रो श्रीमद भगवत महापुराण के अलावा रामचरितमानस में भी कलयुग का जिक्र किया गया है । जिसमें बताया गया है कि कलयुग में लोग किस तरह का आचार व्यवहार करेंगे ।

धर्म की बजाय धन का होगा बोलबाला

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि कलयुग में जो डींगें हाँकेगा वही पंडित होगा और जो आडंबर रचेगा उसे ही संत कहा जाएगा । यहाँ तक कि जिसे जो मन आएगा वो उसी मार्ग पर चलेगा । मित्रो इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो भविष्यवाणियां कलयुग को लेकर हजारों साल पहले की गई थी वो आज सच साबित हो रही हैं। कलयुग का अंत आते आते धर्म पूरी तरह विलुप्त हो जाएगा और लोग अन्य से धन कमाने में ही संतुष्ट रहेंगे।


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दीपक साहू

संपादक

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