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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: शहर की सड़कें वर्षों से बदहाल स्थिति में हैं, और अब यह मुद्दा इस नगर निगम चुनाव में जनता के गुस्से की बड़ी वजह बन सकता है। बीते पांच वर्षों में कांग्रेस की नगर सरकार सत्ता में रही, वहीं प्रदेश में भी कांग्रेस की ही भूपेश बघेल सरकार काबिज थी, इसके बावजूद शहर की सड़कें दयनीय स्थिति में बनी रहीं। टूटी-फूटी सड़कों पर चलते हुए बाइक सवारों को स्टंटमैन बनना पड़ता है, वहीं चारपहिया वाहन चालकों को हर सफर किसी चुनौती से कम नहीं लगता।
नगर निगम चुनाव के मतदान की तिथि जैसे-जैसे करीब आ रही हैं, वैसे-वैसे यह मुद्दा और गर्माता जा रहा है। शहर के नागरिकों में नगर निगम प्रशासन और महापौर के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि जनता की समस्याओं के समाधान की बजाय कमीशनखोरी में लगे रहे, जिससे सड़क निर्माण और मरम्मत कार्य प्रभावित होता रहा। नतीजा यह हुआ कि कोरबा की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गईं और जनता को उनकी बदहाली की कीमत चुकानी पड़ी। नगरीय निकाय चुनाव के मद्देनजर शहर की सड़कें सुधार दी गई यह अलग बात है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का हाल अब भी बेहाल है।
सड़कों पर राजनीति, जनता के मुद्दे गायब
नगर निगम चुनाव से पहले सभी दलों ने विकास के दावे तो किए, लेकिन जनता की बुनियादी जरूरतें अभी भी उपेक्षित हैं। कोरबा में सड़कों की जर्जर स्थिति को लेकर बीते वर्षों में कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुए, परंतु शासन-प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब प्रदेश और नगर निगम दोनों जगह कांग्रेस की ही सरकार थी, तब भी अगर शहर की सड़कों की स्थिति नहीं सुधरी, तो अब आगे क्या उम्मीद की जाए?
भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की नगर सरकार और राज्य सरकार ने कोरबा को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया, परंतु बुनियादी सुविधाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बीजेपी इस बार नगर निगम चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बना रही है और जनता को भरोसा दिला रही है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो कोरबा की सड़कों को सुधारने के लिए प्राथमिकता से काम होगा।
जनता की नाराजगी चुनावी नतीजों पर डालेगी असर
कोरबा के मतदाताओं के बीच अब एक सवाल उठ रहा है—क्या वे एक बार फिर उन्हीं जनप्रतिनिधियों पर भरोसा जताएंगे जिन्होंने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया, या फिर बदलाव की राह चुनेंगे? सड़कों की खस्ताहाल स्थिति के कारण जनता में नगर निगम प्रशासन के प्रति जबरदस्त नाराजगी देखने को मिल रही है, जिसका असर निश्चित रूप से चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है।
क्या इस बार सड़कों से निकलेगा चुनावी परिणाम?
कोरबा के नगर निगम चुनाव में इस बार सड़कों की बदहाली सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभर रहा है। आम जनता ने बदलाव की मांग तेज कर दी है और उनके निशाने पर वे जनप्रतिनिधि हैं जिन्होंने उनके विकास कार्यों की अनदेखी की। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बार किसे समर्थन देती है—क्या फिर से पुरानी सत्ता को मौका मिलेगा या मतदाता बदलाव की राह चुनेंगे? चुनावी नतीजे यह तय करेंगे कि कोरबा की टूटी सड़कों का दर्द अब भी जारी रहेगा या फिर इस बार कोई ठोस समाधान निकलेगा।
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