आबकारी विभाग का गजब कारनामा, शराब विक्रेता को बना दिया ड्राइवर, अब विभाग के लिए करता है वसूली, 1200 से ज्यादा मामलों में गवाह भी !

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: कोरबा जिले के आबकारी विभाग अधिकारी अपने कारनामों की वजह से आजकल सुर्खियों में है। कोरबा जिले के आबकारी विभाग के अधिकारियों ने शराब व्यापारियों से पैसे वसूलने के लिए अनाधिकृत वाहन चालक रखा है। वाहन चालक का नाम प्रमोद देवांगन है जो की ग्राम पताड़ी का निवासी है।

आपको बता दे कि प्रमोद देवांगन पूर्व में शराब बिक्री का काम करता था और आज खुद आबकारी अधिकारियों को मोटी रकम देकर उनके साथ ड्राइवर बनकर आता है और शराब विक्रेताओं से मोटी रकम लेकर विभाग के अधिकारियों को देता है। आबकारी अधिकारियों ने प्रमोद देवांगन को अपना वसूली एजेंट बनाकर रखा है।

बता दें कि प्रमोद देवांगन के ख़िलाफ़ कई मामले थाना उरगा में दर्ज है और अनगिनत शिकायतें पुलिस अधीक्षक कोरबा के पास है जिसमें कई बार शराब विक्रेताओं से अवैध वसूली की शिकायत है। इतनी शिकायतों और आपराधिक प्रकृति के व्यक्ति को आबकारी विभाग अपने साथ ड्राइवर बनाकर सिर्फ इसलिए लेकर जाते है क्योंकि ये शराब विक्रेताओं से साथ सांठ गांठ कर अधिकारियों के लिए मोटी रकम वसूल सके। उरगा थाना क्षेत्र का ऐसा कोई गांव नहीं जहां से अवैध वसूली नहीं की जा रही होगी।

कई झूठे मामले बनाने की शिकायत

पूर्व में प्रमोद देवांगन द्वारा कई झूठे मामले में फंसाने की शिकायत भी हो चुकी है। आबकारी विभाग के लिए अनाधिकृत रूप से काम करते हुए विभाग ने 1200 से ज्यादा मामलों में इसे गवाही के रूप में प्रदर्शित किया है। आपको बता दे की आबकारी विभाग बिना कोई पंचनामा और गिरफ्तारी सूचना दिए ही फर्जी ढंग से शराब बिक्री का आरोप लगाकर लोगों को उठा लें जाते है फिर उनसे मोटी रकम लेकर छोटा मोटा केस बनाकर छोड़ देते है।

आबकारी विभाग देता है संरक्षण

पूर्व में शराब बिक्री करने वाले ऐसे व्यक्ति को अपने साथ रखकर आबकारी विभाग स्पष्ट रूप से ऐसे व्यक्ति का संरक्षक बना हुआ है और अपने वसूली एजेंट के रूप में कार्य ले रहा हैं जो विभाग की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है ?

गवाही के लिए लेता है मोटी रकम, ज्यादातर मामलों में हुआ हॉस्टाइल !

आबकारी विभाग के ज्यादातर मामलों में गवाह बने प्रमोद देवांगन आरोपी से उनके पक्ष में बयान देने के लिए मोटी रकम की मांग करता है। मनचाही रकम देने पर आरोपी के पक्ष में बयान देकर आरोपियों को बरी करा दिया जाता है। ज्यादातर मामलों की जांच की जाए तो कोर्ट में बयान हॉस्टाइल ही आता है इसकी जांच की जरूरत है। आदिवासी गरीब लोगों शराब बिक्री के नाम पर प्रताड़ित कर आए दिन उगाही करने की भी शिकायत सामने आई है।

*निमेष राठौर की रिपोर्ट*

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दीपक साहू

संपादक

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