
नई दिल्ली/स्वराज टुडे: इस बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हैं. यह 5वीं बार है, जब गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडोनेशिया के नेता मुख्य अतिथि बनेंगे.
26 जनवरी 1950 को भारत ने सबसे पहला गणतंत्र दिवस मनाया था। उस वक्त के कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो आए थे। भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते काफी पुराने हैं। 27 करोड़ की आबादी वाले देश में 90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। एक वक्त ऐसा भी था जब यहां पर हिंदू राजाओं का काफी दबदबा हुआ करता था। लोगों के मन में एक ही सवाल है कि आखिर हिंदू और बौद्ध प्रभाव वाले इंडोनेशिया में मुस्लिम धर्म कैसे पहुंच गया और यह दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश कैसे बन गया।
इंडोनेशिया हमेशा से व्यापार के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण रहा है। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक ये सभ्यता काफी विकास कर चुकी थी। हिंदू और बौद्ध धर्म मानने वाले ऋषि परंपरा का पालन करते थे। यहां पर करीब दो हजार सालों तक हिंदू और बौद्ध धर्म का दबदबा कायम था। इतना ही नहीं यहां पर हिंदू और बौद्ध धर्म मानने वाले राजाओं का शासन हुआ करता था। चीन और भारत का इंडोनेशिया से काफी पुराना रिश्ता था। इंडोनेशिया में काफी अच्छी मात्रा में संसाधन मौजूद हैं। इसी वजह से यह व्यापार के लिहाज से सभी देशों के लिए काफी प्राथमिकता वाला रहा है। इंडोनेशिया में बाकी धर्मों के मानने वाले लोग भी धीरे-धीरे पहुंचने लगे।
बड़े घरानों ने भी अपनाया इस्लाम
13वीं सदी के अंत में पूर्वी जावा में हिंदू माजापाहित साम्राज्य का उदय हुआ। इसके चीफ गजाह मदा थे। उनके इस दौर को इंडोनेशिया का सुनहरा काल भी बोला जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 8वीं सदी में अरबी मुस्लिम व्यापारी इंडोनेशिया पहुंचे थे। लेकिन यहां पर इस्लाम का प्रचार और प्रसार 13वी सदी के आखिर में शुरू हुआ। सबसे पहले तो इस्लाम धर्म स्थानीय शासकों ने ही अपनाया। इतना ही नहीं फिर कुछ बड़े घरानों ने इस्लाम धर्म अपना लिया। 13वीं सदी में सुमात्रा के उत्तरी तट पर इस्लामी राज्यों का निर्माण शुरू हुआ था। सुल्तान मलिक अल-सालेह को यहां के पहले मुस्लिम शासक के तौर पर जाना जाता है। धीरे-धीरे यहां पर इस्लाम ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया।
मुस्लिम व्यापारियों ने स्थानीय महिलाओं से की शादी
व्यापारी और शासकों ने इस्लाम धर्म को अपनाना शुरू कर दिया। मुस्लिम व्यापारी यहां की स्थानीय महिलाओं से शादी करते थे। कुछ व्यापारी शाही परिवारों में भी विवाह करते थे। जब यहां के शासकों ने इस्लाम धर्म को अपनाना शुरू कर दिया तो वैसे-वैसे अन्य लोगों ने भी इसे अपनाया। इस्लामी धर्म का प्रसार 15वीं सदी में मलक्का सुलतानत के शासन के दौरान और भी तेजी से होना लग गया। सबसे खास बात ये है कि कुछ जगहों पर तलवारों के बलबूते पर भी इस्लाम धर्म लाया गया। साथ ही लोगों का धर्मांतरण कराया गया।
इंडोनेशिया में इस्लाम सबसे बड़ा धर्म
इंडोनेशिया का अगर सबसे बड़ा कोई धर्म है तो वह इस्लाम ही है। प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, 2011 में देश की मुस्लिम आबादी का 99 फीसदी सुन्नी मुस्लिम की थी। बाकी 1 फीसदी शिया मुस्लिम हैं। चार लाख की आबादी अहमदी मुस्लिम की है। इंडोनेशिया में मुस्लिम बहुमत है। हालांकि, यह संवैधानिक तौर पर एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। इसमें सरकार की तरफ से 6 धर्मों को ऑफिशियल तौर पर मान्यता दी है।
हिंदू धर्म की जड़े मजबूत
भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते काफी पुराने हैं। यही वजह है कि इंडोनेशिया और भारत में काफी समानताएं नजर आती हैं। इसको अब एक उदाहरण के तौर पर समझने की कोशिश करें तो अगर इंडोनेशिया में रामायण या महाभारत का जिक्र किया जाए तो ये कहेंगे कि यह तो हमारे यहां के ग्रंथ हैं। इतना ही नहीं इंडोनेशिया में हिंदू धर्म की कथाएं आज भी यहां की संस्कृति का भाग हैं।
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