सहायक ग्रंथपाल को शिक्षक कर्मचारी के समकक्ष नहीं माना जा सकता- हाई कोर्ट; जानिए क्या है पूरा मामला

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छत्तीसगढ़
बिलासपुर/स्वराज टुडे: छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग से सेवानिवृत तीन सहायक ग्रंथपालों की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है, जिन्होंने यूजीसी के नियमों के आधार पर अपनी रिटायरमेंट 62 की जगह 60 वर्ष में करने को चुनौती दी थी।

वर्ष 1978 में सहायक ग्रंथपाल के पद पर राजनांदगांव में नियुक्त अजय शर्मा सहित दो अन्य ने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी सेवा शतें, सेवा एवं भर्ती नियम 1990 के अंतर्गत थी। यूजीसी के वर्ष 2006 में जारी सर्कुलर के अनुसार वे उच्च शिक्षा विभाग के कर्मचारी थे और उनकी सेवानिवृत्ति शिक्षकीय-गैर शिक्षकीय कर्मचारियों की तरह 62 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद होनी थी, लेकिन उनको 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद रिटायर कर दिया गया। इसके खिलाफ वर्ष 2011 में उन्होंने याचिका लगाई थी।

राज्य सरकार की ओर से जवाब में बताया गया कि याचिकाकर्ता वर्ग-3 मिनिस्ट्रियल संवर्ग में नियुक्त किए गए थे। इसके तहत 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति दी गई। डॉ. जे विजयन विरुद्ध केरल राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया कि राज्य सरकार शिक्षा से संबंधित कानून बनाने के लिए स्वतंत्र है।  यूजीसी द्वारा बनाए गए नियमों को स्वीकार करने और पालन करने के लिए बाध्य नहीं है।

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सहायक ग्रंथपाल को शिक्षक कर्मचारी के समकक्ष नहीं माना जा सकता। राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के लिए यूजीसी के नियमों को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

दीपक साहू

संपादक

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