लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों के विरुद्ध किसी भी तरह की पुलिस कार्यवाही से पहले पूरी पड़ताल कर लेने और फिर सक्षम अनुमति प्राप्त कर ही कार्यवाही की हिदायत दी गई है। कई मामलों में इसका पालन नहीं हो रहा जिससे अनावश्यक परेशानी का सामना पत्रकार व उनके परिजनों को गाहे-बगाहे करना पड़ जाता है।
छत्तीसगढ़
कोरबा-बिलासपुर/स्वराज टुडे: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों के विरुद्ध किसी भी तरह की पुलिस कार्यवाही से पहले पूरी पड़ताल कर लेने और फिर सक्षम अनुमति प्राप्त कर ही कार्यवाही की हिदायत दी गई है। कई मामलों में इसका पालन नहीं हो रहा जिससे अनावश्यक परेशानी का सामना पत्रकार व उनके परिजनों को गाहे-बगाहे करना पड़ जाता है।
प्रेस और पुलिस एक दूसरे के पूरक
प्रेस और पुलिस को एक दूसरे का पूरक कहा जाता है किंतु कुछ मामलों में जो कि आपसी विवाद के होते हैं और क्षणिक आवेश में आकर रिपोर्ट/शिकायत दर्ज कराई जाती है,ऐसे मामलों में पुलिस की अन्य मामलों की अपेक्षा बिना पड़ताल त्वरित कार्यवाही और गिरफ्तारी ने कार्यवाही की शैली पर सवाल उठाए हैं तो दूसरी तरफ इस पर निंदा प्रस्ताव भी पारित हुआ है।
सद्भाव पत्रकार संघ ने पाली थाना प्रभारी की कार्यशैली पर उठाए सवाल
दरअसल मामला पाली थाना क्षेत्र का है।यहां सद्भाव पत्रकार संघ की कोरबा जिला इकाई के उपाध्यक्ष कमल महंत को इसी तरह के एक मामले में पाली पुलिस ने शिकायत/रिपोर्ट पर बिना जांच किए उसके खिलाफ धारा 452,294, 506 भादवि के तहत अपराध दर्ज कर लिया और दूसरे दिन रात के वक्त चाय पिलाने के बहाने से थाना बुलाकर रात भर बिठाए रखा और गिरफ्तार कर दूसरे दिन रविवार को न्यायालय में पेश किया।
सड़क पर बिखरी गिट्टी को लेकर पड़ोसियों के मध्य आपसी क्षणिक आवेश में हुए विवाद की आड़ में पत्रकार कमल महंत के साथ समाचार प्रकाशन संबंधी दुर्भावना को जाहिर करते हुए उसका पक्ष भी नहीं सुना गया। हालांकि रिपोर्टकर्ता ने इस मामले में पारिवारिक हवालों से खेद प्रगट करते हुए स्वयं न्यायालय में उपस्थित होकर समझौता व्यक्त किया। जिसके बाद पत्रकार कमल महंत को न्यायालय से जमानत भी मिल गयी।
इस मुद्दे को लेकर सद्भाव पत्रकार संघ की आकस्मिक बैठक बिलासपुर और पाली में रखी गई
इस पूरे मामले को लेकर सद्भाव पत्रकार संघ बिलासपुर संभाग इकाई की आकस्मिक बैठक सोमवार को सर्किट हाउस,बिलासपुर व पाली में भी आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष आरडी गुप्ता एवं कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष देवदत्त तिवारी एवं संभाग अध्यक्ष विनय मिश्रा सहित सभी उपस्थित पदाधिकारियों और सदस्यों ने एक स्वर में इस मामले में विरोध जताते हुए पाली पुलिस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया।
व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए पुलिस ने की कारवाई- आर. डी.गुप्ता(प्रदेश अध्यक्ष)
बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष आर डी गुप्ता ने बताया कि घटना के 1 सप्ताह पूर्व पत्रकार कमल महंत ने पाली पुलिस की निष्क्रियता को लेकर कोयला तस्करी एवं जुआ,सट्टा पर लगाम नहीं लगा सकने संबंधित समाचार प्रकाशित किया था जिसे लेकर थाना प्रभारी और अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा कमल महंत से व्यक्तिगत खुन्नस निकालते हुए इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
हालांकि पड़ोसी महिला से विवाद हुआ था किंतु इस तरह के मामलों में जो ततपरता दिखाई गई वह भी सोचनीय है। पाली ब्लॉक अध्यक्ष दीपक शर्मा, ब्लॉक संरक्षक एवं वरिष्ठ पत्रकार कमल वैष्णव ने भी घटना की जानकारी देते हुए पाली पुलिस के असहयोगात्मक रवैये की कड़ी निंदा की और पूरी घटना को दुर्भाग्यजनक बताया।
पाली टीआई समेत अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित करने की मांग
इसी कड़ी में 2 जून गुरुवार को पाली में बैठक कर संघ के सभी सदस्यों ने पाली एसडीएम को मुख्यमंत्री, गृह मंत्री ,मुख्य सचिव एवं डीजीपी के नाम ज्ञापन सौंपा। पाली टीआई समेत अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित करने और घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई।
बैठक में इनकी रही उपस्थिति
बैठक और ज्ञापन सौंपने के दौरान प्रदेश सचिव उमाकांत मिश्रा ,संभागीय उपाध्यक्ष राजेंद्र यादव, संभागीय उपाध्यक्ष प्रकाश चंद्र अग्रवाल, जिला उपाध्यक्ष अखिल वर्मा, जिला महासचिव अनिल श्रीवास, सतीश प्रसाद ,आमिर खान, सुधीर तिवारी , अनीश गंधर्व सहित संभाग अध्यक्ष विनय मिश्रा रैली की शक्ल में पाली एसडीएम कार्यालय पहुंचे जहां पाली एसडीएम मोनिका यादव को मुख्यमंत्री ,गृह मंत्री, मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
इस दौरान बिलासपुर जिलाध्यक्ष मनीष शर्मा, पूर्व जिला अध्यक्ष सत्येंद्र वर्मा, श्याम पाठक, रमेश राजपूत, संजय यादव, रतनपुर से पत्रकार वाशित अली, अंकुश गुप्ता, विक्की अग्रवाल, गणेश दास महंत, फिरत दास महंत सहित बड़ी संख्या में पूरे संभाग के पत्रकार साथी उपस्थित थे।
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